Lok Sabha Election: कर्नाटक और तेलंगाना की तर्ज पर बिहार में कांग्रेस का बड़ा प्लान, सियासी संकेत समझिये

हाइलाइट्स

बिहार के 7 जिलों में 425 किलोमीटर की होगी राहुल गाधी की भारत जोड़ो न्याय यात्रा.
पूर्णिया, कटिहार, अररिया, किशनगंज, सासाराम, कैमूर और औरंगाबाद से गुजरेगी यात्रा.

पटना. वर्ष 2023 में कर्नाटक और तेलंगाना विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की जीत ने कांग्रेस की उम्मीदें वैसे प्रदेशों में भी जगा दी हैं जहां मुस्लिम मतदाओं की संख्या अच्छी खासी है. इसमें वर्तमान में आंध्र प्रदेश पर कांग्रेस ने फोकस करना शुरू भी कर दिया है. वाईएसआर कांग्रेस पार्टी (वाईएसआरसीपी) को पछाड़ने के लक्ष्य के साथ कांग्रेस इस अभियान में जुट गई है. वहीं, माना जा रहा है कि उत्तर प्रदेश और बिहार जैसे राज्यों को लेकर भी कांग्रेस लॉंग टर्म प्लान पर काम करना शुरू कर चुकी है. इसकी योजना कुछ हद तक बिहार में राहुल गांधी की भारत जोड़ो न्याय यात्रा के रूट चार्ट के तहत देखकर समझी जा सकती है.

दरअसल, राहुल गांधी की भारत जोड़ो न्याय यात्रा बिहार के 7 जिलों से गुजरेगी जो कुल 425 किलोमीटर की होगी. पहले चरण में पूर्णिया, अररिया, कटिहार और किशनगंज जैसे मुस्लिम बहुल जिलों से यह यात्रा पश्चिम बंगाल में प्रवेश करेगी. जाहिर है इसका प्रभाव सीमांचल और कोसी क्षेत्र के अन्य दूसरे जिलों पर भी जरूर पड़ेगा. यहां यह भी बता दें कि बिहार से एक मात्र कांग्रेस के सांसद किशनगंज से ही जीतकर आए हैं, जहां मुस्लिम आबादी 75 प्रतिशत से अधिक है. खास बात ये क्षेत्र मुख्य तौर पर राजद, जदयू और एआईएमआईएम का गढ़ कहा जाता है.

दो चरण की यात्रा से बनेगा माहौल
बता दें कि राहुल गांधी भारत जोड़ो न्याय यात्रा के दौरान दो बार बिहार आएंगे. इसमें से पहली बार इस यात्रा में वह पूर्णिया, अररिया और किशनगंज होते हुए पश्चिम बंगाल निकल जाएंगे. जबकि, वहां से झारखंड, छत्तीसगढ़ होते हुए दोबारा बिहार में प्रवेश करेंगे. दूसरे चरण में मुस्लिम वोट बैंक को ध्यान में रखते हुए तैयार किया गया है. इसमें सासाराम, कैमूर और औरंगाबाद से यह यात्रा गुजरेगी. ऐसे में मुस्लिम मतों को कांग्रेस की ओर लाने का लॉंग टर्म प्लान भी स्पष्ट है जो इंडिया अलायंस के दलों के लिए ही एक तरह से थ्रेट है.

बिखराव से गोलबंदी की रणनीति
गौरतलब है कि बीते वर्ष हुए जातिगत गणना सर्वे रिपोर्ट के अनुसार, बिहार में मुस्लिम समुदाय की आबादी करीब 18 प्रतिशत है. प्रदेश की कुल 243 विधानसभा सीटों में से 47 और लोकसभा की सीटें ऐसी हैं जहां मुस्लिम मतदाता निर्णायक स्थिति में हैं. वहीं, लोकसभा की कम से कम 7 से अधिक सीटें ऐसी हैं जहां मुस्लिम वोटरों की गोलबंदी या बिखराव के कारण परिणामों में अंतर आ जाता है. बता दें कि इन इलाकों में मुस्लिम आबादी 20 से 40 प्रतिशत या इससे भी अधिक है.
वहीं, सासाराम, कैमूर और औरंगाबाद में 17 से 20 प्रतिशत मुस्लिम आबादी है.

क्या कहता है सीमांचल का समीकरण?
बता दें कि बिहार की 11 विधानसभा सीटें हैं जहां 40 प्रतिशत से अधिक मुस्लिम मतदाता हैं और 7 सीटों पर 30 प्रतिशत से ज्यादा हैं. इसके अतिरिक्त 29 विधानसभा सीटों पर 20 से 30 प्रतिशत के बीच मुस्लिम मतदाता हैं. सीमांचल के चार जिलों, पूर्णिया, कटिहार, अररिया और किशनगंज में मुस्लिम समुदाय की आबादी 40 से 75 प्रतिशत के करीब है.  यहां यह भी बता दें कि बिहार के सीमांचल क्षेत्र में 4 लोकसभा सीटें और 24 विधानसभा सीटें आती हैं. वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में नीतीश कुमार की जदयू एनडीए के साथ रहते हुए दो सीटों पर जीती थी और बीजेपी ने एक सीट जीती थी. वहीं, एक सीट कांग्रेस को मिली थी.

कांग्रेस को अपना बेस बढ़ाने की चिंता
दूसरी ओर, 2020 के विधानसभा चुनाव में सीमांचल की 24 विधानसभा सीटों में से बीजेपी 8, कांग्रेस 6 और जेडीयू ने 4 सीटें जीती थीं. आरजेडी और भाकपा माले ने एक-एक सीट जीती थी, जबकि मुस्लिम परस्त राजनीति करने में माहिर माने जाने वाले असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम ने पांच सीटें जीत कर सबको चौंका दिया था. हालांकि, औवैसी को तब झटका लगा था जब पांच में से चार विधायकों ने पाला बदलते हुए पिछले साल आरजेडी का दामन थाम लिया था. ऐसे में अब आरजेडी के पांच और ओवैसी की पार्टी के एक विधायक सीमांचल में हैं.

आधार को पुख्ता करना चाहती है कांग्रेस
सवाल यह है कि इन आंकड़ों में कांग्रेस कहां है? 2020 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के विधायकों की संख्या 2015 के मुकाबले घटकर 27 से 19 हो गई थी, लेकिन वोट प्रतिशत 6.66 से 9.53 तक बढ़ाने में वह कामयाब रही थी. इनमें बड़ा हिस्सा मुस्लिम बहुल सीटों का है. राजनीति के जानकार बताते हैं कि फिलहाल कांग्रेस तो महागठबंधन में राजद के साथ है, लेकिन वह अपने लॉंग टर्म प्लान पर काम कर रही है. वह कर्नाटक और तेलंगाना की तर्ज पर बिहार में भी अपना पुराना आधार (विशेष तौर पर मुस्लिम मतदाता) पुख्ता (गोलबंद) करने की कवायद करती हुई दिख रही है. जाहिर तौर पर इसमें कांग्रेस के सबसे बड़े नेता राहुल गांधी की बिहार में भारत जोड़ो न्याय यात्रा की अहम भूमिका हो सकती है.

Tags: Bharat Jodo Yatra, Bihar politics, Congress leader Rahul Gandhi, Loksabha Election 2024

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