LK Advani Birthday: भारतीय राजनीति के लौहपुरुष कहे जाते थे एल के आडवाणी, आज मना रहे 96वां जन्मदिन

आज यानी की 8 नवंबर को भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी अपना 96वां जन्मदिन मना रहे हैं। आडवाणी को राजनीति का लौहपुरुष कहा जाता था। लेकिन अब वह पहले की तरह राजनीति में सक्रिय नहीं हैं। एक दौर था जब आडवाणी प्रधानमंत्री पद के प्रबल दावेदार थे। लेकिन समय ने ऐसी करवट बदली कि वह पीएम इन वेटिंग ही रह गए।

हांलाकि उन्होंने उप-प्रधानमंत्री की कुर्सी जरूर संभाली। हांलाकि जब साल 2004 में उन्हें पीएम पद का उम्मीदवार बनाया गया तो बीजेपी चुनाव ही नहीं जीत पाई। वहीं आडवाणी अपने बयानों को लेकर भी विवादों में रहे। आइए जानते हैं उनके बर्थडे के मौके पर लाल कृष्ण आडवाणी के जीवन से जुड़ी कुछ रोचक बातों के बारे में…

जन्म

पाकिस्तान के कराची में 8 नवंबर 1927 को एक हिंदू सिंधी परिवार में लालकृष्ण आडवाणी का जन्म हुआ था। आडवाणी ने अपनी शिक्षा कराची से पूरी की। 19 साल की उम्र तक वह कराची में ही रहे। हांलाकि देश के बटवारे के बाद 12 सितंबर 1947 में उन्होंने हमेशा के लिए कराची छोड़ दिया था। वहीं आडवाणी के कराची छोड़ने के करीब एक महीने बाद उनके परिवार ने भी भारत में रहने का फैसला किया और उन्होंने भी कराची छोड़ दिया। बता दें कि लालकृष्ण आडवाणी भाजपा की स्थापना करने वाले प्रमुख नेताओं में से एक रहे। वह तीन बार भाजपा के अध्यक्ष पद पर भी रह चुके हैं।

राजनैतिक सफर

बता दें कि लाल कृष्ण आडवाणी चार बार राज्यसभा के और पांच बार लोकसभा के सदस्य रहे। वहीं वर्तमान समय में आडवाणी गुजरात के गांधीनगर संसदीय क्षेत्र से लोकसभा के सांसद हैं। साल 1977 से 1979 तक पहली बार उन्होंने केंद्रीय सरकार में कैबिनेट मंत्री की हैसियत से दायित्व संभाला था। इस दौरान आडवाणी सूचना प्रसारण मंत्री रहे। वहीं 2002 से 2204 तक वह वाजपेयी की सरकार में उप-प्रधानमंत्री रहे। साल 1998 से 2004 की एनडीए सरकार में उन्होंने गृहमंत्री पद की जिम्मेदारी संभाली। 

अटल और आडवाणी का रिश्ता

अटल बिहारी वाजपेयी और लाल कृष्ण आडवाणी एक सिक्के के दो पहलू की तरह रहे। जहां आडवाणी आक्रमक नेता के तौर पर जाने जाते थे, तो वहीं अटल की छवि एक उदारवादी नेता के तौर पर रही। अटल के साथ आडवाणी की जुगलबंदी देखने लायक होती थी। राम मंदिर के लिए निकाली गई रथ यात्रा ने आडवाणी को बेहद मशहूर कर दिया था। उस दौरान बीजेपी ने कांग्रेस की राजनीति को बहुत पीछे छोड़ दिया था। इस रथयात्रा के आंदोलन के सबसे बड़े सूत्रधार आडवाणी थे। आडवाणी ने गुजरात के सोमनाथ से लेकर अयोध्या तक रथयात्रा निकाली थी। जिसके बाद उनको बिहार में गिरफ्तार कर लिया गया था। उस दौरान बिहार में लालू यादव की सरकार थी।

बयानों को लेकर विवादों में घिरे 

बता दें कि साल 2005 में एल के आडवाणी पाकिस्तान दौरे पर गए थे। इस दौरान उन्होंने सिंध प्रांत के उन प्राथमिक स्कूलों का दौरा किया, जहां पर उन्होंने खुद प्राथमिक शिक्षा पाई थी। इसके बाद आडवाणी मो. अली जिन्ना की मजार पर गए। आडवाणी ने पाकिस्तानी कायदे आजम को धर्मनिरपेक्ष बताया। जिस पर विश्व हिन्दू परिषद और संघ से जुड़े नेताओं ने अपनी नाराजगी जाहिर की। इस बयान के कारण आडवाणी का संघ में कद छोटा हो गया। हांलाकि आडवाणी ने उस दौर में भारतीय राजनीति की दिशा और दशा दोनों को बदल दिया था।

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