Leap year 2024: 29 फरवरी ही क्यों, किसी और तारीख को क्यों नहीं मनाया जाता लीप ईयर..? पक्का नहीं जानते होंगे 99 फीसदी लोग!

दुर्गेश सिंह राजपूत/नर्मदापुरम: आज वो तारीख है, जो इस साल 2024 को 366 दिन का बना रही है. सारिका घारू विज्ञान प्रसारिका ने स्कूली बच्चों के बीच जा कर उन्हें लीप ईयर के बारे से समझाया. कहा कि तीन साल बिताने के बाद हम चौथे साल लीप ईयर को देखते हैं. ये साल 365 की जगह 366 दिनों का होता है. नेशनल अवार्ड प्राप्‍त विज्ञान प्रसारक सारिका घारू ने बताया कि इसे लीप ईयर कहा जाता है.

पृथ्वी द्वारा सूर्य की परिक्रमा से समझाया
सारिका ने बताया कि आम तौर पर पृथ्वी द्वारा सूर्य की परिक्रमा करते हुए 365 दिन बीतने पर हैप्‍पी न्‍यू ईयर मनाया जाता है. जबकि इस परिक्रमा को पूरा होने में 365 दिन 5 घंटे 48 मिनट और 45 सेकंड लगते हैं. इसके अतिरिक्त लगभग 6 घंटे को समायोजित करने के लिये चार साल होने पर फरवरी माह में एक अतिरिक्त दिन जोड़कर लीप ईयर बनता है. इससे कैलेंडर के माह और उससे जुड़े मौसम का समायोजन बना रहता है.

फरवरी में ही क्यों जुड़ा एक दिन?
बता दें कि जूलियन कैलेंडर में दिसंबर की जगह फरवरी का महीना आखिरी माना जाता था. इसी वजह से एक अतिरिक्त दिन फरवरी के महीने में ही जोड़ा जाता.

सारिका ने बताया कि आम तौर पर किसी सन के अंक में 4 का पूरा भाग देकर लीप ईयर की पहचान की जाती है. लेकिन, अगर यह एक शताब्दी है तो इसे 400 से  भाग देना चाहिए. इसलिए, 100 वर्षों में 24 लीप वर्ष होते हैं. इसके अलावा सारिका ने बताया कि ये बेहद खास दिन होता है. क्योंकि, इसका इंतजार 4 साल तक करना होता है.

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