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उत्तर प्रदेश के इटावा स्थित सैफई मेडिकल यूनिवर्सिटी के हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ समीर सर्राफ की गिरफ्तारी के बाद बड़ा खुलासा हुआ है. पुलिस की जांच में यह बात सामने आई है कि करीब 600 हृदय रोगियों को नकली पेसमेकर लगाया गया है. इनमें से 200 के आसपास मरीजों की मौत हो चुकी है.उन्हीं में से एक मरीज के परिजन अब सामने आए हैं. उन्होंने अपने दर्द को बयान किया है. मौत के शिकार बने मरीज के परिजन डॉक्टर समीर सर्राफ को हत्यारा घोषित करके कड़ी कार्रवाई की मांग कर रहे हैं.

परिवार को बिना बताए मरीज को लगाया पेसमेकर
डॉक्टर की गिरफ्तारी के बाद पीड़ित ने सामने आकर अपनी पत्नी की मृत्यु की वेदना प्रकट की. इटावा के वकील मोहम्मद ताहिर की 46 साल की बीबी रेशमा बेगम को 12 जून 2019 को कमजोरी महसूस हुई, जिसके बाद उनको रूटीन जांच पड़ताल के लिए सैफई मेडिकल यूनिवर्सिटी परिवार के द्वारा लाया गया. डॉक्टरों कुछ जांच पड़ताल की बात कही, जिसके बाद अचानक से परिवार को बिना किसी जानकारी के ओटी में ले जाकर टैंप्रेरी पेसमेकर इंप्लाटेशन (TPI) कर दिया गया.

लालच देकर पेसमेकर इंप्लांट के लिए किया मजबूर
जब तक रेशमा के पति वापस सैफई मेडिकल पहुंचे और पूछा कि ऐसा क्या हुआ मेरी पत्नी को कि उसको ICU में शिफ्ट किया गया, तो आरोपी डॉक्टर समीर सर्राफ ने बताया कि उनको (TPI) किया गया है.पीड़ित पति ताहिर ने कहा मुझे कुछ नही करवाना है, मैं जो भी इलाज है वह दिल्ली में करवाऊंगा. जिस पर समीर सर्राफ ने साफ तौर पर कहा कि आप इनको अब यहां से इस हालत में नहीं ले जा सकते और बड़े ही प्रलोभन देकर पेसमेकर इंप्लांट करने के लिए कहा गया. 

महज दो माह में पेसमेकर खराब होने से बिगड़ी तबियत
डॉक्टर की बात में आकर ताहिर  1 लाख 85 हजार रुपए का पेसमेकर लगवाने की तैयार हो गए. इसके दूसरे ही दिन कानपुर की कृष्णा हेल्थ केयर (फर्म) की हस्तलिखित रसीद थमा कर एजेंट पैसा लेकर चला गया.14 जून को मृतक रेशमा के डुप्लीकेट पेसमेकर लगाकर सैफई मेडिकल से डिस्चार्ज कर दिया गया था.पीड़ित मो ताहिर अंसारी एडवोकेट ने बताया कि डॉक्टर समीर सर्राफ ने 20 साल तक इस पेसमेकर की मियाद बताई थी. लेकिन महज दो माह में पेसमेकर खराब हो गया और रेशमा घर में बेहोश होकर गिर पड़ी.

क्या मरीज की मौत के पीछे पेसमेकर जिम्मेवार?
24 अगस्त को रेशमा को सैफई मेडिकल में गंभीर हालत में भर्ती करवाया गया, तो बताया गया कि इनका पेसमेकर खराब हो गया है जिसको तुरंत बदला गया. 5 दिन तक सैफई मेडिकल में भर्ती होने के बाद उनको 29 अगस्त को बाहर के लिए रिफर कर दिया गया. फिर रेशमा को दिल्ली के होली फैमिली हॉस्पिटल में भर्ती करवाया गया, जहां 13 दिन कोमा कि स्तिथि में उनका इलाज किया गया. जिसके बाद 10 सितंबर 2019 को डिस्चार्ज कर दिया गया. स्तिथि में सुधार न होने के कारण मरीज को 9 अक्टूबर 2019 को  एशिया के जाने माने न्यूरोसर्जन आरसी मिश्रा को दिखाया गया, जिसमें उन्होंने मरीज कि इस स्तिथि का कहीं न कहीं पेसमेकर की गड़बड़ी से दिमाग डैड होने की संभावना बताई थी. 

ताहिर ने बताया मेरी पत्नी की मौत के बाद मेरा पूरा परिवार बिखर गया. उसकी ऐसी उम्र भी नही थी जो इसको पेसमेकर लगाया जाता लेकिन डॉक्टर समीर ने चंद पैसों के खातिर न जाने कितनी हत्याएं कर दी. ऐसे हैवान को कड़ी सजा मिलना चाहिए.

जानें मरीज को कब लगाया जाता है पेसमेकर

सैफई मेडिकल यूनिवर्सिटी के हृदय रोग विशेषज्ञ डा सुभाष चंद्र ने पेसमेकर के बारे में बताया कि पेसमेकर मरीज को तब लगाया जाता है कि जब किसी मरीज के उम्र के कारण हार्ड की पंपिंग कम हो जाती है या किसी बीमारी के कारण हार्ड पंपिंग सही तरह से नही होता. ऐसे मरीज के ह्रदय को सही स्तिथि में रखने के लिए आर्टिफिशियल पेसमेकर लगाया जाता है.

उन्होंने बताया कि पेसमेकर की मियाद करीब दस वर्ष होती है. उसके बाद उसकी बैटरी बदली भी की सकती है और फिर से वह काम करने लगता है. अगर किसी मरीज को पेसमेकर एमआरआई वाला लगा है तो किसी कारण एमआरआई करना हो तो उसमे कोई दिक्कत नही होती है. वहीं, नॉन एमआरआई पेसमेकर में मरीज का एमआरआई नही करवाया जा सकता.

सैफई मेडिकल यूनिवर्सिटी के डॉक्टर की हुई गिरफ्तारी
बीते मंगलवार को सैफई मेडिकल यूनिवर्सिटी के डॉ समीर सर्राफ को पुलिस ने गिरफ्तार करके भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम न्यायालय में पेश करने के बाद जेल भेज दिया गया है. डॉक्टर पर मरीजों को महंगी दर का पेसमेकर लगाने के नाम पर सस्ती दर का पेसमेकर लगाने के आरोप है. डॉ समीर कार्डियोलॉजी विभाग में  सहायक प्रोफेसर पद पर तैनात था. बीते 7 फरवरी 2022 को तत्कालीन चिकित्सा अधीक्षक प्रोफेसर डॉक्टर आदेश कुमार द्वारा इटावा के सैफई थाने में विश्वविद्यालय के कार्डियोलॉजी विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ समीर सरार्फ व अन्य पर वित्तीय अनियमितता, पीड़ित मरीजों को वित्तीय हानि पहुंचाने और मरीजों की जान खतरे में डालने के आरोप में मामला दर्ज कराया था. जिसकी जांच क्षेत्राधिकार नागेंद्र चौबे के द्वारा की जा रही थी.
 

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