KK Pathak News: एक चंद्रशेखर से छूटा पाला, तो दूसरे ने दिखा दी आंख

मनीष वत्स/पटना. शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक अपने आदेशों को लेकर हमेशा सुर्खियों में बने रहते हैं. वे जब भी जिस भी विभाग में रहे हैं, अपने आदेश और फैसलों को लेकर चर्चित होते रहते हैं. इस कारण से कई बार उनके खुद के विभाग या फिर अन्य विभागीय अधिकारियों के सामने तनातनी की स्थिति भी बन जाती है. पूर्व शिक्षा मंत्री प्रोफेसर चंद्रशेखर से जुड़ा मामला अभी ठंड भी नहीं पड़ा था कि एक और चंद्रशेखर उनके सामने तन कर खड़े हो गए हैं. ये चंद्रशेखर पटना के जिला अधिकारी हैं. मामला अधिकार, दायित्व और जिलाधिकारी के रूप में प्राप्त शक्तियों की व्याख्या तक पर पहुंच गई है.

कहने वाले तो अब यह भी कहने लगे हैं की अपर मुख्य सचिव का एक चंद्रशेखर से पीछा छूटा ही था कि दूसरे चंद्रशेखर ने आंख दिखा दी है. बहरहाल, दोनों अधिकारियों के लिए आज का दिन महत्वपूर्ण है. स्कूलों में नौनिहाल पढ़ने आए तो माना जाएगा की अपर मुख्य सचिव का चला, अगर स्कूल में बच्चे नहीं आए, तो माना जाएगा की जिले के हर सरकारी संस्थान का बॉस जिलाधिकारी ही है.

क्या कहा था पटना के DM ने
पटना डीएम द्वारा जारी पत्र में कहा गया था कि धारा-144 के तहत पटना जिले के सभी निजी या सरकारी विद्यालयों (प्री-स्कूल, आंगनबाड़ी केन्द्रों एवं कोचिंग सेन्टर सहित) में वर्ग-8 तक शैक्षणिक गतिविधियों पर लगाए गए प्रतिबंध को 23 जनवरी तक विस्तारित किया जाता है. वर्ग-9 से ऊपर की कक्षाओं की शैक्षणिक गतिविधियां पूर्व के आदेश के अनुरूप पूर्वाह्न 09.00 से पूर्व एवं अपराह्न 03.30 बजे के पश्चात प्रतिबंधित रहेंगी. मिशन दक्ष तथा बोर्ड परीक्षा हेतु पर्याप्त सावधानी के साथ विशेष कक्षाओं का संचालन इससे मुक्त रहेगा. इस बार कोचिंग संस्थानों को भी बंद रखने का आदेश दिया गया था.

ACS ने लिखा था कमिश्नर को पत्र
राज्य के सभी प्रमंडलीय आयुक्त को लिखे पत्र में केके पाठक ने कहा था कि जिला दण्डाधिकारियों ने जिस तरह का आदेश धारा-144 में पारित किया है, उसमें केवल विद्यालयों को ही बन्द किया गया है. किन्तु अन्य संस्थानों का जिक्र नहीं किया गया है. जिले के कोचिंग संस्थाओं, सिनेमा हॉल, मॉल, दुकानें या व्यावसायिक संस्थानों इत्यादि की गतिविधियों या समयावधि को नियंत्रित नहीं किया गया. ऐसी स्थिति में संबंधित जिला प्रशासन से यह पूछा जा सकता है कि ये कैसी सर्दी या शीतलहर है, जो केवल विद्यालयों में ही गिरती है और कोचिंग संस्थाओं में नहीं गिरती है.

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केके पाठक ने तल्ख तेवर में लिखा कि पिछले दिनों इस प्रकार का आदेश जहां भी निकला है, उसे वापस लिया जाए. जहां तक सरकारी विद्यालयों का सवाल है, इस विभाग ने इन विद्यालयों की समयावधि 9 AM से 5 PM तय कर रखा है. इस समयावधि को बदलने के संबंध में कोई भी आदेश निकालने के पहले शिक्षा विभाग की अनुमति अवश्य प्राप्त कर ली जाए. साथ ही उन्होंने साफ कहा कि बात-बात पर विद्यालयों को बंद रखने की परम्परा पर रोक लगनी चाहिए.

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DEO को स्कूल खुलवाने का दिया आदेश
माध्यमिक शिक्षा विभाग के निदेशक कन्हैया प्रसाद श्रीवास्तव के द्वारा 22 जनवरी को पटना के जिला शिक्षा पदाधिकारी को एक पत्र लिखा गया. जिसमें कहा गया था कि पटना जिले के विद्यालयों को 23 जनवरी तक बंद करने का निर्देश दिया गया है. आपको ज्ञात है कि अपर मुख्य सचिव, शिक्षा विभाग के हस्ताक्षर से निर्गत विभागीय पत्र में किसी भी विद्यालय को बंद करने के पूर्व विभागीय अनुमति लेने की आवश्यकता है, जो पटना जिलाधिकारी के द्वारा नहीं ली गई है. इसीलिए विभागीय पत्र में दिए गए निर्देश का पालन नहीं होने की स्थिति में आप अपने जिले के सभी विद्यालयों को खुला रखने की कार्रवाई सुनिश्चित करें.

DM ने बता दिया दंडाधिकारी का पावर
स्कूल खोले रखने और बंद रखने का विवाद अब अधिकारी को मिले पावर की झलक दिखाने तक पहुंच गई है. डीएम डॉ. चंद्रशेखर सिंह ने माध्यमिक शिक्षा निदेशक को लिखे पत्र में कहा है कि कोल्ड डे के कारण बच्चों की सेहत विगड़ने की प्रबल संभावना है. ऐसे में एहतियात के तौर पर सीआरपीसी 1973 की धारा 144 में दी गई शक्तियों के तहत कक्षा 8 के स्कूलों को बंद रखने का न्यायिक आदेश जारी किया गया है.

इसमें न तो विभागीय आदेश लेने का प्रावधान है और न ही इसे किसी गैर-न्यायिक आदेश या पत्र से बदला जा सकता है. सिर्फ सक्षम न्यायालय ही आदेश की न्यायिक समीक्षा कर सकता है. इस प्रकार माध्यमिक शिक्षा निदेशक का पत्र विधि-विरुद्ध है. विभाग चाहे तो विधिक मंतव्य प्राप्त कर सकता है.

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