Kisi Ka Bhai Kisi Ki Jaan Movie Review: सलमान खान (Salman Khan) की शुक्रवार को रिलीज हुई फिल्म ‘किसी का भाई किसी की जान’ उनके घनघोर फैंस के लिए तैयार की गई फिल्म है. पर अगर ये बात सिर्फ सलमान खान की होती तो शायद उनके फैंस को तो समझ में आ ही जाती. लेकिन इस फिल्म ‘उस स्तर’ पर पहुंचाने का असली काम किया है इसके निर्देशक फरहाद सामजी ने. फरहाद, जो इससे पहले ‘हाउसफुल 4’, ‘बच्चन पांडे’ और हाल ही में वेब सीरीज ‘पॉप कौन’ बना चुके हैं. (‘पॉप कौन’ जैसी वेब सीरीज बनाने के लिए तो लोग उन्हें ढूंढ भी रहे हैं) इस फिल्म में सिर्फ सलमान ही नहीं, बल्कि शहनाज गिल, पलक तिवारी, जस्सी गिल, राघव जुएल, सिद्धार्थ जैसे कई नए कलाकार हैं, जिनके साथ फरहाद सामजी ने ये खिलवाड़ किया है. जानिए क्या फरहाद इस बार समझ पाए कि ऑडियंस को कैसी फिल्म चाहिए.
कहानी की बात करें तो आपको इस कहानी के शुरुआती प्लॉट से प्रियदर्शन की कॉमेडी फिल्म ‘हलचल’ याद आ जाएगी. भाईजान (सलमान खान) और उनके तीन भाई मोह (जस्सी गिल), इश्क (राघव जुएल) लव (सिद्धार्थ). तीनों उन्हें ‘भाईजान’ कहते हैं और यही वजह है कि पूरा मोहल्ला ही उन्हें ‘भाईजान’ कहता है. इसी मोहल्ले की जमीन हथियाना चाहता है पावरफुल एमएलए महावीर (वीजेंद्र सिंह) लेकिन उसके लिए मुसीबत बनकर खड़ा है भाईजान. इनका असली नाम किसी को नहीं पता. दूसरी तरफ अपने भाइयों के लिए भाईजान ने कभी शादी नहीं की क्योंकि लड़की आकर घर तोड़ देगी. पर तीनों छोटे भाइयों की गर्लफ्रेंड बन गई है. वो शादी करना चाहते हैं और इलाज निकाला कि भाईजान की हो जाएगी तो छोटों की भी हो जाएगी. फिर एंट्री होती है साउथ इंडियन भाग्यलक्ष्मी (पूजा हेगड़े) की जिसे देखते ही छोटे भाई इसे भाभी मान लेते हैं. दूसरी तरफ भाग्यलक्ष्मी का भी भाई (वेंकटेश) है जो हिंसा से बहुत दूर है. ये परिवार मिलता है और फिर बदल जाती है पूरी कहानी. आगे क्या होता है, इसके लिए आपको सिनेमाघर जाना होगा.
2 सीन के बाद कहानी में क्या होगा, सब पता चल जाएगा
सबसे पहले तो ये साफ है कि ये एक पूरी तरह सलमान खान की फिल्म है, जिसमें सलमान के अलावा कुछ नहीं. वही रक्षक हैं, वहीं मारक शक्ति है. फिल्म का हर किरदार बस उन्हें ‘भाईजान’ बनाने में लगा है. बाकी किरदार क्यों हैं, उनकी कहानी क्या है, उनका कनेक्शन ऐसी गैर जरूरी चीजों को दिखाने या बताने की निर्देशक साबह ने कतई तकलीफ नहीं उठाई है. फिल्म का फर्स्ट हाफ कमजोर है और बहुत ही प्रिडिक्टेबल है. एक भी सीन ऐसा नहीं है जिसे देखकर आपको कुछ नयापन लगे. फर्स्ट हाफ से ज्यादा सेकंड हाफ इंगेजिंग है. हालांकि पूरी फिल्म में एक भी सीन या हिस्सा ऐसा नहीं है जो आपने इस फिल्म से पहले किसी और फिल्म में न देखा हो. इतना ही नहीं, दिल्ली की चलती हुई मेट्रो में दसियों गुंडों को मार डाला पर न तो मेट्रो ही रुकती है और न ही कोई पुलिस आती है. तो दिल्ली की ये जगह अगर कहानी दिलावरपुर की दिखाते तो शायद दर्शक कनवेंस हो जाएं.
पूजा हेगड़े इस फिल्म में पहली बार सलमान के साथ नजर आई हैं.
फरहाद सामजी को कोई तो रोक लो
इस फिल्म में एक्शन भरपूर है और आपको अगर सिर्फ एक्शन देखना है तो ये फिल्म आपके लिए है. लेकिन उससे ज्यादा कुछ नहीं. सलमान खान इस फिल्म में भी वही कर रहे हैं जो वह अपनी हर फिल्म में करते हैं. इसलिए उन्हें दोष नहीं दिया जा सकता. लेकिन निर्देशक फरहाद सामजी ने इस फिल्म को जिस तरीके से गुथा है, इससे साफ है कि उन्होंने अपनी पुरानी फ्लॉप फिल्मों से कुछ नहीं सीखा और एक और बेहद ‘ऐवरेज मसाला’ फिल्म बना दी है. इस फिल्म में निर्देशक ने किसी बारीकी से काम किया है, आप इस उदाहरण से समझिए कि एक सीन में एक्शन सीक्वेंस चल रहा है और सतीश कौशिक का किरदार चाचा को गोली लगती है. उनके दोस्त उठाकर उन्हें अंदर ले जाते हैं और उसी सीन के आखिर में जब सलमान खान एक्शन सीन कर रहे हैं तो वहीं चाचाजी ‘भाईजान’ के लिए पट्टी बांधकर तालियां बजाते दिख रहे हैं.
‘किसी का भाई किसी की जान’ साल 2014 में आई अजीत की फिल्म ‘वीरम’ के ईद-गिर्द है लेकिन ‘वीरम’ हिट थी. ‘किसी का भाई किसी की जान’ को फरहाद में बस सीन्स से जोड़ दिया है. सोचिए आपके सामने एक सब्जी परोसी जाए, जिसमें खूब मसाला पड़ा हो, तेल तैर रहा हो, झोंक कर मिर्च डाली गई हो, धनिया हो और हल्दी भी, लेकिन इसमें सब्जी ही मिसिंग हो… ? बॉलीवुड में मसाला फिल्मों का मतलब यही हो गया है. एक्शन है, फेमस एक्टर्स हैं, आजकल तो इनफ्लूएंजर भी हैं, गाने हैं और खूब सारा स्लो-मोशन और बाल्टी भर-भर के एक्शन सीन, बस कहानी और इमोशन नहीं है.
सलमान खान की इस फिल्म में भाग्यश्री और भूमिका चावला भी नजरआ रही हैं.
एक्टिंग की बात करें तो फिल्म में कई एक्टर्स को बर्बाद किया गया है. सलमान खान इस फिल्म में लंबे बालों से लेकर चिकने गालों तक, हर अवतार में नजर आए हैं. इतने ज्यादा कि बड़े बालों के बाद बाल कटने का जब सीन आता है और उसके पीछे का लॉजिक दिया जाता है तो खीज मचने लगती है. पूजा हेगड़े फिल्म में ठीक लगी हैं. बाकि तीन भाई और तीन गर्लफ्रेंड के ट्रैक में इन 6 एक्टरों के लिए बस जोड़ी बनाकर एक-साथ कई सीन्स में खड़ा किया गया है. इन किरदारों में कोई डेप्थ नहीं है और यही वजह है कि अच्छे एक्टर होने के बाद भी कोई उभर कर सामने नजर नहीं आता. शहनाज गिल और राघव जुएल, जो असल में बेहद फनी हैं वो भी इस फिल्म में बस साथ में खड़े ही नजर आए हैं. हालांकि इन 6 एक्टर्स में कोई नजरें रोक पाता है तो वह हैं पलक तिवारी.
सलमान खान की फिल्मों से आप अक्सर एक ऐसा डायलॉग लेकर निकलते हैं, जो दोस्तों के बीच बोला जाए. लेकिन ‘किसी का भाई किसी की जान’ में आपको ऐसा कोई डायलॉग नहीं मिलेगा. अपनी कहानियों से पर्दे पर हीरो को लार्जर देन लाइफ दिखाने वाले सलीम खान के बेटे सलमान को शायद अब कुछ अच्छी कहानियों और एक अच्छे निर्देशक की जरूरत है. कई स्तर पर 2023 में आकर ‘किसी का भाई किसी की जान’ देखना अपने आप में हमें सोचने को मजबूर करता है. मेरी तरफ से इस फिल्म को 2 स्टार.
डिटेल्ड रेटिंग
कहानी | : | |
स्क्रिनप्ल | : | |
डायरेक्शन | : | |
संगीत | : |
.
Tags: Pooja Hegde, Salman khan, Shehnaaz Gill
FIRST PUBLISHED : April 21, 2023, 16:14 IST