Khalistan Pakistan: क्यों भारत ही नहीं पूरी दुनिया के लिए खतरा है खालिस्तान? पाकिस्तान से ऐसा है कनेक्शन

Canada- India Conflict: एक कहावत आपने जरूर सुनी होगी-चोर-चोर मौसेरे भाई. इसका अर्थ है कि समान स्वभाव वाले लोगों में जल्दी दोस्ती हो जाती है. कनाडा और पाकिस्तान पर ये कहावत बिल्कुल फिट बैठती है. इनका स्वभाव ही नहीं बल्कि काम भी एक जैसा ही है आतंकवाद को पालना.

कनाडा खालिस्तानियों का गढ़ है और पाकिस्तान आतंकवादियों का. आतंकवाद को पालने पोसने वाले दोनों देशों की सोच भी एक जैसी है, यानी कनाडा खुलकर खालिस्तानियों का बचाव करता है और पाकिस्तान आतंकवादियों का.इसलिए आतंकवाद की बात होते ही दोनों के सुर एक जैसे हो जाते हैं.

ट्रूडो ने लगाया झूठा आरोप

कनाडाई पीएम जस्टिन ट्रूडो ने भारत पर आरोप लगाया है कि भारत सरकार और उसकी खुफिया एजेंसी ने कनाडा के एक नागरिक की हत्या करवाई है. जैसे ही कनाडा ने भारत पर आरोप लगाया, पड़ोसी पाकिस्तान तुरंत एक्टिव हो गया. जांच पूरी होने से पहले ही पाकिस्तान ने कनाडा का समर्थन कर दिया और बिना सबूत के ही भारत को कसूरवार भी ठहरा दिया. जैसा वो अकसर करता रहा है.

कनाडा के आरोप लगाते ही पाकिस्तान को भारत के खिलाफ प्रोपेगेंडा फैलाने का मौका मिल गया है. खालिस्तान के हमदर्द बने कनाडा के प्रधानमंत्री ने अपने आरोप के समर्थन में अभी तक कोई सबूत नहीं दिया है. 

लेकिन पाकिस्तान दावा कर रहा है कि इसमें कुछ सच्चाई जरूर है. यानि ना जांच पूरी हुई, ना सबूत मिले और पाकिस्तान ने अपना फैसला सुना दिया. ये वही पाकिस्तान है जो खुद आतंकवाद को जन्म देता है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि खालिस्तान के नाम पर भारत के टुकड़े करने की कोशिश के पीछे कौन है? वो है हमारा पड़ोसी पाकिस्तान. 

चाहे पंजाब में टारगेट किलिंग्स के मामले हों या कनाडा में भारत विरोधी साजिश खालिस्तान को पाकिस्तान और वहां की खुफिया एजेंसी ISI का फुल सपोर्ट है.

कनाडा और निज्जर का नाम लेकर पाकिस्तान भारत को घेर रहा है, ऐसा लग रहा है जैसे पाकिस्तान की मन मांगी मुराद पूरी हो गई हो. आतंकवाद को समर्थन देने वाले दोनों देश एक मंच पर आकर भारत को घेरने की कोशिश कर रहे हैं वो भी मनगढ़ंत आरोप लगाकर, लेकिन आज भारत ने भी इसका जवाब दिया, बताया कि कैसे ISI इस साजिश का मास्टमाइंड है. यहां आपको खालिस्तान के बारे में भी जान लेना चाहिए.और ये समझना चाहिए कि खालिस्तान आज भारत के लिए ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया के लिए ख़तरा क्यों है…और कैसे इसकी जड़ें पाकिस्तान में है.

  • वर्ष 1947 में भारत को आज़ादी तो मिली…लेकिन देश के दो हिस्से हो गए. बंटवारे में पंजाब के भी दो हिस्से हुए, एक हिस्सा भारत में रह गया, जबकि एक बड़ा हिस्सा पाकिस्तान के पास चला गया.

  •  सीधे युद्ध में भारत से कई बार हारने के बाद पाकिस्तान ने अपने हिस्से वाले पंजाब और वहां रहने वाले सिखों को भारत के खिलाफ भड़काना शुरू कर दिया और यहीं से खालिस्तान के आइडिया को हवा मिली थी.

  • खालिस्तान मूवमेंट भारत के इतिहास के सबसे हिंसक अलगाववादी मूवमेंट में से एक है. और पाकिस्तान की तरफ़ से भड़काई गई आतंकवाद की इस आग में एक वक्त पूरा पंजाब झुलस गया था.  इस आतंकवाद की वजह से वर्ष 1980 से 1995 के बीच करीब साढ़े 21 हज़ार लोगों ने अपनी जान गंवाई थी.

  • जिसमें 8 हज़ार से ज़्यादा खालिस्तानी चरमपंथी, करीब 12 हज़ार आम लोग और 18 सौ के क़रीब सुरक्षाबल के लोग शामिल थे.

  • पाकिस्तान और खालिस्तान के इस गठजोड़ को आप इस बात से भी समझ सकते हैं कि खालिस्तानी आतंकी पाकिस्तान में बैठकर भारत के खिलाफ साजिश रचते रहे हैं.  पाकिस्तान के लाहौर में इसी वर्ष खालिस्तानी आतंकवादी परमजीत सिंह पंजवड़ मारा गया था. पजंवड़ खालिस्तान कमांडो फोर्स का सरगना था.

  • खालिस्तान लिबरेशन फोर्स का आतंकी हरमीत सिंह वर्ष 2020 में लाहौर में मारा गया था. रनजीत सिंह नीटा खालिस्तान जिंदाबाद फोर्स का मुखिया है, इसके भी पाकिस्तान में छिपे होने की खबर है

सच्चाई ये भी है कि आज ज़्यादातर सिख, चाहे वो कहीं के भी हो, वो खालिस्तानियों से कोई संबंध नहीं रखते. कनाडा को अपना गढ़ बनाए बैठे ये खालिस्तानी खुद को बेहद प्रभावशाली और ताकतवर दिखाने की कोशिश करते हैं. 

इसलिए कार्रवाई से डरते हैं ट्रूडो

इसलिए ट्रूडो जैसे नेता भी इनके आगे नतमस्क रहते हैं. इनके खिलाफ कार्रवाई करने से डरते हैं. कनाडा में खालिस्तानियों द्वारा हिंदू मंदिरों, हिंदुओं और भारतीय एम्बेसी को निशाना बनाने के न जाने कितने मामले हैं, लेकिन वहां की सरकार उन पर कभी कोई एक्शन नहीं लेती.

पिछले साल कनाडा में खालिस्तानियों ने एक जुलूस निकाला था और इस जुलूस में भारत की पूर्व पीएम इंदिरा गांधी की हत्या की झांकी दिखाई गई थी. ज़रा सोचिए…एक देश के प्रधानमंत्री की हत्या को महिमामंडित करना अभिव्यक्ति की आज़ादी कैसे हो गया. ये तो एक देश के ख़िलाफ़ खुली नफरत का सबसे बड़ा सबूत है. 

आज भले ही ट्रूडो को खालिस्तानी और उनका वोट बैंक दिख रहा हो…लेकिन उन्हे याद रखना चाहिए कि अगर आप अपने आंगन में सांप पालेंगे तो एक न एक दिन वो पलटकर आपको ही ढंसेगा…और पाकिस्तान इसका जीता जागता उदाहरण है.

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