केरल पशु चिकित्सा एवं पशु विज्ञान विश्वविद्यालय के एक छात्र की हाल में हुई मौत की घटना ने राज्य की राजनीतिक हलचल बढ़ा दी है। कांग्रेस ने सत्तारूढ़ मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) की छात्र शाखा एसएफआई पर युवक की पीट-पीटकर हत्या करने का आरोप लगाया है।
कांग्रेस का यह आरोप छात्र के पिता के उस दावे के बाद आया है जिसमें उन्होंने कहा था कि स्टूडेंट्स फेडरेशन ऑफ इंडिया (एसएफआई) के कार्यकर्ताओं और स्थानीय नेताओं ने छात्रावास में उनके बेटे को तीन दिन तक पीटा था।
एसएफआई ने आरोप से इनकार किया है।
इस बीच, पुलिस ने आज उन 18 छात्रों में से छह को गिरफ्तार कर लिया, जिन पर 20 वर्षीय सिद्धार्थन की मौत के सिलसिले में विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया है।
पुलिस ने कहा कि गिरफ्तार छात्रों की उम्र 20 से 23 साल के बीच है।
हालांकि, पुलिस ने कहा कि मामले के 12 आरोपी अभी भी फरार हैं।
विश्वविद्यालय के द्वितीय वर्ष के छात्र 20 वर्षीय सिद्धार्थन का शव 18 फरवरी को छात्रावास के स्नानघर में लटका हुआ मिला था।
पिता के अनुसार, उनके बेटे के कुछ सहपाठियों ने उन्हें बताया कि सिद्धार्थन की उसी विश्वविद्यालय में पढ़ने वाले कुछ स्थानीय एसएफआई नेताओं और कार्यकर्ताओं ने कथित तौर पर हत्या कर दी थी।
सिद्धार्थन के पिता ने एक टीवी चैनल को बताया कि पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट के मुताबिक, उनके बेटे के शरीर पर कई चोटें थीं और पेट खाली था जिससे पता चलता है कि उसे दो-तीन दिन तक खाना नहीं खाने दिया गया।
उन्होंने यह भी कहा कि उन्हें पता चला है कि रैगिंग के दौरान उनके बेटे की पिटाई की गई।
पिता ने दावा किया, ‘‘चूंकि एसएफआई कार्यकर्ता और स्थानीय नेता शामिल हैं, इसलिए पार्टी उन्हें बचाएगी। मेरा मानना है कि राजनीतिक हस्तक्षेप है, अन्यथा पुलिस अपराधियों को जल्द पकड़ लेती। हमारी पुलिस सक्षम है, लेकिन उसे दबाव का सामना करना पड़ रहा होगा।’’
राज्य विधानसभा में विपक्ष के नेता वी.डी. सतीशन ने आरोप लगाया कि आरोपी एसएफआई कार्यकर्ता थे और उन्होंने छात्र को पीट-पीटकर मार डाला।
कांग्रेस नेता ने कहा कि पुलिस अभी तक इस मामले में आरोपियों को गिरफ्तार नहीं कर पाई है क्योंकि उन्हें संरक्षण दिया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि आरोपियों को जल्द पकड़ा जाए, अन्यथा कांग्रेस विरोध-प्रदर्शन करेगी।
एसएफआई की प्रदेश अध्यक्ष अनुश्री ने दावा किया कि मामले का कोई भी आरोपी वर्तमान में संगठन का सदस्य नहीं है।
उन्होंने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा कि एसएफआई ने शुरू से ही मामले की विस्तृत जांच की मांग की है और उसकी पुलिस जांच में हस्तक्षेप करने की कोई मंशा नहीं है।
पुलिस ने शुरू में अप्राकृतिक मौत का मामला दर्ज किया था, लेकिन बाद में आत्महत्या के लिए उकसाने सहित विभिन्न प्रावधानों के तहत मामला दर्ज किया गया।
डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।