गुलशन कश्यप, जमुई: हिंदू धार्मिक मान्यताओं में किसी भी व्रत में उस व्रत की कथा सुनने का प्रावधान है. ऐसा माना जाता है कि कोई भी व्रत उसकी कथा के बगैर पूरा नहीं होता है. इसलिए हर प्रकार के व्रत एवं त्यौहार को लेकर कई प्राचीन कथाएं हैं. व्रत रखने वाली महिलाओं को इस दिन करवा चौथ व्रत का कथा सुननी चाहिए, इससे व्रत का पूरा लाभ मिलता है. ज्योतिषाचार्य प्रदीप आचार्य बताते हैं कि इस करवा चौथ जो भी महिलाएं करवा चौथ का व्रत रख रही हैं उन्हें व्रत की कथा अवश्य कहनी या सुननी चाहिए. उन्होंने बताया कि करवा चौथ सनातन काल से ही चल रहा है और इसे लेकर जो कथा है उसका श्रवण भी किया जाता रहा है.
क्या है करवा चौथ व्रत की पूरी कथा
ज्योतिषाचार्य प्रदीप आचार्य ने बताया कि एक साहूकार हुआ करते थे, इनको सात पुत्र और एक पुत्री थी. पुत्री की शादी होने के बाद वह अपने ससुराल चली गई थी. सातों भाई अपनी बहन से काफी स्नेह रखते थे. एक बार करवा चौथ के दिन साहूकार के सभी बेटे अपनी बहन से मिलने उसके घर गये. जब वह अपनी बहन के घर पहुंचे तो उन्होंने देखा कि उसकी बहन निर्जला उपवास में है और उसने उसने पूरे दिन अन्न जल का ग्रहण नहीं किया है. उसने अपनी बहन से पानी-पीने के लिए कहा तो उसने कहा कि चांद निकलने के बाद ही वह पानी पी सकती है.
भाई ने देखा आसमान में चांद नहीं निकला हुआ था. यह सब देखकर उसके छोटे भाई से रहा नहीं गया और उसने दूर एक पेड़ पर दीपक जलाकर चलनी की ओट में रख दिया. जिससे यह प्रतीत होने लगा कि चंद्रमा निकल आया है. उसके कहने पर उसकी बहन ने उसे चांद को देखकर व्रत खोल लिया. उसने जैसे ही अपना पहला निवाला मुंह में डाला, उसे छींक आ गई. जब उसने दूसरा निवाला अपने मुंह में डाला तो उसमें बाल निकल आया और तीसरा निवाला मुंह में डालते ही उसके पति की मृत्यु का समाचार उसे मिल गया. पति की मौत से वह काफी दुखी हो गई है और उसने निर्णय ले लिया कि वह अपने पति का अंतिम संस्कार ही नहीं करेगी.
एक साल तक अपने पति का शव लेकर बैठी रही
ज्योतिषाचार्य ने बताया कि उसने यह ठान लिया कि अपने सतीत्व से वह अपने पति को पुनर्जीवन दिलाकर ही रहेगी. इसके बाद वह एक साल तक अपने पति का शव लेकर वहीं बैठी रही तथा उसके ऊपर उगने वाली घास इकट्ठा करती रही. एक साल बाद करवा चौथ के दिन उसने चतुर्थी का व्रत किया और पूरे विधि-विधान से उसने निर्जला उपवास रखा.
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शाम को सुहागिनों से वह वही घास देकर अनुरोध करती रही कि घास लेकर उसे उसके पति की जान दे दे और उसे सुहागिन बना दे. उसके कठिन तपस्या और व्रत को देखकर भगवान के आशीर्वाद से उसका पति पुनः जीवित हो गया. ज्योतिषाचार्य ने बताया कि इस कथा को सुनने से जिस प्रकार साहूकार की बेटी का पति जिंदा हो गया. उसी तरह सभी महिलाओं का सुहाग सदा बरकरार रहता है.
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FIRST PUBLISHED : October 31, 2023, 07:18 IST