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कर्नाटक उच्च न्यायालय, जो 2020 में कोविड महामारी के बाद मामलों की सुनवाई के लिए स्थायी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग (वीसी) प्रदान करने वाले देश के पहले उच्च न्यायालयों में से एक था, ने साइबर सुरक्षा के लिए मंगलवार को अदालती कार्यवाही की सुविधा और लाइव स्ट्रीमिंग को निलंबित कर दिया।
बेंगलुरु: कर्नाटक उच्च न्यायालय, जो 2020 में कोविड महामारी के बाद मामलों की सुनवाई के लिए स्थायी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग (वीसी) प्रदान करने वाले देश के पहले उच्च न्यायालयों में से एक था, ने साइबर सुरक्षा के लिए मंगलवार को अदालती कार्यवाही की सुविधा और लाइव स्ट्रीमिंग को निलंबित कर दिया। इसके पीछे का है कि कारण शरारती तत्वों ने सोमवार (4 दिसंबर) दोपहर को ज़ूम प्लेटफॉर्म को हैक करके कोर्ट के कुछ हॉलों में अश्लील सामग्री चला दी। हालांकि मंगलवार सुबह कुछ देर के लिए वीडियो कॉन्फ्रेंस से सुनवाई हुई, लेकिन पुलिस में शिकायत दर्ज होने के बाद उच्च न्यायालय प्रशासन ने इसे रोक दिया। जब मुख्य न्यायाधीश प्रसन्ना बी वराले और न्यायमूर्ति कृष्ण एस दीक्षित की खंडपीठ ने सुबह कार्यवाही शुरू की, तो मुख्य न्यायाधीश वराले ने अदालत में वादियों और अधिवक्ताओं को सूचित किया कि एक दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति पैदा हो गई है और लाइव-स्ट्रीमिंग और वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग को रोकना होगा।
कर्नाटक उच्च न्यायालय ने बयान जारी किया
कर्नाटक उच्च न्यायालय ने मंगलवार को बेंगलुरु स्थित प्रधान पीठ और धारवाड़ और कलबुर्गी स्थित सर्किट बेंच में वीडियो कॉन्फ्रेंस की सुविधा समेत यूट्यूब पर कार्यवाही के सीधे प्रसारण को ‘शरारतपूर्ण’ और ‘अभूतपूर्व स्थिति’ उत्पन्न होने का हवाल देकर निलंबित कर दिया। मुख्य न्यायाधीश प्रसन्ना बी. वराले ने आज सुबह यह घोषणा की। माना जाता है कि सोमवार को दोपहर के भोजन अवकाश से ठीक पहले कुछ लोगों ने वीडियो कॉन्फ्रेंस नेटवर्क को हैक कर लिया और शरारती वीडियो पोस्ट कर दिए।
कई कोर्ट चेंबर्स में चले अश्लील वीडियो
मुख्य न्यायाधीश वराले ने मंगलवार को कहा, दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति। हम सभी सीधे प्रसारण, वीडियो प्रसारण आदि और वीडियो कॉन्फ्रेंस की सुविधा रोक रहे हैं। दुर्भाग्य से किसी के द्वारा कुछ शरारत की जा रही है। कुछ शरारती तत्वों के स्तर पर या प्रौद्योगिकी के दुरुपयोग के स्तर पर कुछ हो सकता है।’’ लेकिन उन्होंने इस बारे में विस्तार से नहीं बताया। जिन अधिवक्ताओं के मामले सूचीबद्ध हैं उनसे मुख्य न्यायाधीश नेअनुरोध किया कि वे अपने सहयोगियों और समकक्षों को रद्दीकरण के बारे में सूचित करें और रजिस्ट्रार या वीडियो कॉन्फ्रेंस के कर्मियों के पास नहीं जाएं। उन्होंने कहा, “यह एक दुर्भाग्यपूर्ण और अभूतपूर्व स्थिति है। अन्यथा कर्नाटक उच्च न्यायालय हमेशा बड़े पैमाने पर जनता के साथ-साथ सुविज्ञ वकीलों के लिए बेहतर सेवाओं के लिए प्रौद्योगिकी का उपयोग करने के पक्ष में रहा है।
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