
नेयवेली पावर प्लांट
– फोटो : अमर उजाला
विस्तार
कानपुर में स्थित नेयवेली पावर प्लांट में शनिवार को टरबाइन (ऑयल बेस टेस्ट) का सफल परीक्षण पूरा हो गया। जिससे बनी बिजली को संबंधित ग्रिड तक पहुंचाई गई। इससे पहले बायलर समेत अन्य जरूरी परीक्षण भी किए जा चुके हैं। सब कुछ ठीक रहा तो वर्ष के आखिर तक पावर प्लांट की एक यूनिट से बिजली उत्पादन शुरू होने जाएगा। अन्य दो यूनिटों का भी काम भी अलग पूरा हो चुका है।
सीईओ संतोष सीएस ने बताया कि नेयवेली उत्तर प्रदेश पावर लिमिटेड (एनयूपीपीएल) के 1980 मेगावाट का थर्मल पावर प्लांट का निर्माण अपने अंतिम चरण में है। यहां करीब 19237 करोड़ रुपये लागत से 660-660 मेगावाट की तीन यूनिट बन रही हैं। 660 मेगावाट की पहली यूनिट बनकर तैयार है। शनिवार भोर पहर करीब सवा चार बजे सिंक्रोनाइजेशन टेस्टिंग सफल रहा है, जिसके तहत टरबाइन का 24 घंटे का ऑयल बेस टेस्ट था। जिसमें तरल ईंधन के जरिए बायलर पर स्टीम बनाई गई और फिर उससे टरबाइन घूमी।
इसके बाद बिजली बनने लगी, जिससे संबंधित ग्रिडों तक पहुंचाया गया। इसके बाद परीक्षण को सफल माना गया। यह पावर प्लांट के लिए महत्वपूर्ण सफलता है। उन्होंने बताया कि अगले परीक्षण में टरबाइन चलाने के लिए ईंधन की जगह कोयला का इस्तेमाल होगा। इसके बाद पहली यूनिट से बिजली का उत्पादन प्रक्रिया शुरू हो जाएगी। म
उन्होंने बताया कि नेयवेली पावर प्लांट एनएलसी इंडिया लिमिटेड और उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उप्तादन निगम लिमिटेड का संयुक्त उपक्रम है। यह कंपनी झारखंड के दुमका जिले की पचवारा साउथ कोल ब्लाक को भी विकसित कर रही है।