अनूप पासवान/कोरबा. माताएं अपने बच्चों की लंबी और सुखमय जीवन की कामना के लिए जीवितपुत्रिका व्रत का आयोजन करती हैं, जिसे ‘जितिया व्रत‘ भी कहा जाता है. यह व्रत आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है और उत्तर प्रदेश, बिहार, और झारखंड जैसे राज्यों में महत्वपूर्ण धार्मिक आयोजनों में शामिल होता है. यह व्रत महिलाओं की ओर से बड़े भक्ति और समर्पण के साथ किया जाता है और इसे बेहद कठिन माना जाता है, क्योंकि इसमें महिलाएं जल तक ग्रहण नहीं करती हैं.
कब और कैसे रखें जीवितपुत्रिका व्रत
जीवितपुत्रिका व्रत अत्यधिक कठिन माना जाता है, क्योंकि इसमें महिलाएं पूरे दिन जल नहीं पीतीं हैं. इस व्रत का आयोजन सप्तमी को ‘नहाएं-खाएं‘ से शुरू होता है और व्रत नवमी तिथि के दिन पारण करके खत्म होता है. इस वर्ष, माताएं 5 अक्टूबर को ‘नहाएं-खाएं‘ से व्रत शुरू करेंगी और नवमी तिथि के दिन, जो 7 अक्टूबर है, सुबह 10:21 बजे पारण करके व्रत तोड़ेंगी.
सुखमय जीवन की प्राप्ति के लिए व्रत
इस व्रत के पालन के साथ, माताएं अपने प्रेम और भक्ति के साथ अपने बच्चों के लिए लंबी और सुखमय जीवन की प्राप्ति के लिए प्रार्थना करती हैं, और इसे अपने परिवार के साथ मनाती हैं. इस व्रत को लेकर ज्योतिष आचार्य पंडित दशरथ नंदन द्विवेदी ने बताया कि 6 अक्टूबर को व्रत रखा जयेगा. सप्तमी को ‘नहाएं-खाएं‘ से शुरू होता है और व्रत नवमी तिथि के दिन पारण करके खत्म होता है.
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FIRST PUBLISHED : October 4, 2023, 16:32 IST