Jhunjhunu: खेतड़ी में सात दिवसीय विशेष शिविर जारी,स्वयंसेवकों ने किया श्रमदान

Jhunjhunu news: राजस्थान के खेतड़ी कस्बे के राजकीय जय सिंह उच्च माध्यमिक विद्यालय की राष्ट्रीय सेवा योजना इकाई के तत्वावधान में सात दिवसीय विशेष शिविर का आयोजन किया जा रहा हैं.शिविर के छठें दिन आयोजित कार्यक्रम के मुख्य अतिथि वीरेंद्र सिंह अवाना थे. 

अशोक कुमार ने डाला प्रकाश 

अध्यक्षता जलेसिंह ने की.अतिथियों ने मां सरस्वती के चित्र के समक्ष दीप प्रज्जवलन कर छठें दिवस के प्रशिक्षण कार्यक्रम की शुरुआत की.इस मौके पर स्वयंसेवकों को स्वच्छता की शपथ दिलवाई गई.कार्यक्रम प्रभारी अशोक कुमार ने शिविर के कार्यक्रमों की रूपरेखा पर प्रकाश डालते हुए बताया कि स्वयंसेवकों ने कस्बे को स्वच्छता बनाने को लेकर श्रमदान करते हुए साफ सफाई की हैं.

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बलवंतपुरा में बेटा-बेटी एक समान की संदेशपरक तस्वीर

शेखावाटी में शादी हो और बेटा-बेटी एक समान का संदेश देने वाली तस्वीर सामने ना आए. ऐसा अब नहीं हो सकता. बेटियों को बराबर का दर्जा देने में हमेशा अग्रणी रहने वाले झुंझुनूं की बेटी का एक बार फिर सपना पूरा हुआ है. यह बेटी है बलवंतपुरा गांव की कोमल. जिसके सपने पूरे करने में परिवार ने हमेशा साथ दिया. अब जब कोमल का सपना था कि वह शादी के वक्त बेटों की तरह घोड़ी पर बैठें तो यह सपना भी कोमल की मां सुमित्रा देवी ने पूरा किया है. 

कोमल को घोड़ी पर बैठा कर निकाली बिंदौरी
कोमल की जब बिन्दौरी निकाली गई तो डीजे पर परिवार के सदस्य भी अपने आपको रोक नहीं पाए.सभी ने जमकर डांस किया.तो घोड़ी पर बैठी कोमल ने भी ठुमके लगाए. कोमल ने कहा कि बचपन से लेकर आज तक मेरे परिवार ने मेरे हर सपने में ना केवल मेरा साथ दिया है.बल्कि उसे पूरा भी करवाया है. आज बेटियां किसी भी क्षेत्र में पीछे नहीं है.

परिवार के साथ जमकर लगाए बिंदौरी में ठुमके
झुंझुनूं समेत शेखावाटी में बेटियों की बिन्दौरी से पूरा देश जान गया है कि शेखावाटी में बेटा-बेटी एक समान अब हर परिवार के लिए सम्मान की बात है. बेटी को घोड़ी पर बिंदौरी निकालने पर सुमित्रा देवी ने बताया कि शिक्षित समाज में बेटा और बेटी एक समान है.उन्होंने कहा कि आज के वर्तमान समय में बेटा और बेटी में कोई फर्क नहीं होना चाहिए. विशेषकर झुंझुनूं जिले में जहां लाखों लोगों ने बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ की शपथ ली हो. वहां पर बेटी की घोड़ी पर बिंदौरी निकालना सबसे बड़ा कार्य है.

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