रांची. सोमवार का दिन झारखंड की राजनीति के लिहाज से काफी अहम माना जा रहा है. दरअसल विधानसभा में सोमवार को झारखंड की चंपाई सोरेन सरकार का फ्लोर टेस्ट होना है. झारखंड की नई सरकार विधानसभा में किस तरीके से विश्वास मत हासिल का पाती है, इस पर सभी की निगाहें टिकी हैं. विश्वास मत प्रस्ताव को लेकर सभी दलों ने अपने-अपने विधायकों को व्हिप जारी किया है वहीं इस प्रक्रिया में शामिल होने के लिए राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन भी पहुंच रहे हैं.
11 बजे से सदन की कार्यवाही शुरू होगी. इसके बाद अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा होगी और फिर वोटिंग की जाएगी. ऐसे में ये जानना जरूरी होता है कि फ्लोर टेस्ट यानी विश्वासमत प्रस्ताव क्या होता है. दरअसल जब किसी एक दल को विधानसभा में बहुमत प्राप्त होता है तो राज्यपाल उस दल के नेता को मुख्यमंत्री नियुक्त करता है. यदि बहुमत पर सवाल उठाया जाता है, तो बहुमत का दावा करने वाली पार्टी के नेता को विधानसभा में विश्वास मत देना होता है और उपस्थित तथा मतदान करने वालों के बीच बहुमत साबित करना होता है.
विधानसभा में बहुमत साबित करने में विफल रहने पर मुख्यमंत्री को इस्तीफा देना पड़ता है. फ्लोर टेस्ट यह जानने के लिए लिया जाता है कि क्या सरकार को अभी भी विधायिका का विश्वास प्राप्त है. सरल भाषा में कहें तो फ्लोर टेस्ट एक संवैधानिक प्रणाली है, जिसके तहत राज्यपाल द्वारा मुख्यमंत्री को राज्य विधानसभा में बहुमत साबित करने के लिए कहा जाता है. यह संसद और राज्य विधानसभा, दोनों में होता है.
अगर मामला किसी राज्य का है तो फ्लोर टेस्ट उस राज्य विधानसभा के अध्यक्ष कराते हैं. राज्यपाल सिर्फ आदेश देते हैं. फ्लोर टेस्ट में राज्यपाल का किसी तरह का हस्तक्षेप नहीं होता है. फ्लोर टेस्ट एक पारदर्शी प्रक्रिया है, जिसमें विधायक विधानसभा में पेश होकर अपना वोट देते हैं. जब भी फ्लोर टेस्ट होना होता है, सभी पार्टियां अपने विधायकों को व्हिप जारी करती हैं. इस व्हिप के जरिए पार्टियां अपने विधायकों को हर हाल में विधानसभा में मौजूद रहने के लिए कहती हैं. अगर कोई विधायक व्हिप का उल्लंघन करता है तो उसके खिलाफ दल बदल कानून के तहत कार्रवाई की जाती है.
झारखंड विधानसभा में अब तक दो बार ही अविश्वास प्रस्ताव आया है. सबसे पहले तत्कालीन नेता प्रतिपक्ष स्टीफन मरांडी तथा विधायक फुरकान अंसारी ने 17 मार्च को 2003 को तत्कालीन मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने की सूचना विधानसभा सचिवालय को दी थी, लेकिन अविश्वास प्रस्ताव आने से पहले ही बाबूलाल मरांडी ने 17 मार्च 2003 को ही मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था.
दूसरी बार नेता प्रतिपक्ष के रूप में अर्जुन मुंडा, विधायक सीपी सिंह तथा राधाकृष्ण किशोर ने 18 दिसंबर 2007 को तत्कालीन मुख्यमंत्री मधु कोड़ा के विरुद्ध अविश्वास प्रस्ताव लाया था जो अस्वीकृत हो गया था. इसमें मधु कोड़ा सरकार ने अपना बहुमत साबित कर दिया था.
.
Tags: CM Hemant Soren, Jharkhand Congress
FIRST PUBLISHED : February 5, 2024, 09:57 IST