जमशेदपुर. रघुवर दास और सरयू राय, झारखंड की राजनीति में ये दोनों नाम ऐसे हैं जिनकी आपस में कभी नहीं बनी है. बिहार के मूल निवासी सरयू राय से रघुवर दास का छत्तीस का रिश्ता रहा है लेकिन अब जो खबर मिल रही है वो ये है कि सरयू दास की घर वापसी यानी की बीजेपी में फिर से इंट्री हो सकती है. रघुवर दास की सरकार में राय को खाद्य आपूर्ति विभाग का मंत्री बनाया गया था, हालांकि अपने कार्यकाल में सरयू राय की कभी रघुवर दास से नहीं पटी. एक बार तो कैबिनेट की बैठक से राय गुस्से में बाहर निकल गए थे. बाद में उन्होंने कैबिनेट बैठक में हिस्सा लेना ही छोड़ दिया था. इस तनातनी का नतीजा यह हुआ कि 2019 के विधानसभा चुनाव में रघुवर दास की जिद पर सरयू राय को पार्टी ने टिकट नहीं दिया.
आखिरकार राय ने बीजेपी से बगावत कर निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में रघुवर दास के खिलाफ ही चुनाव लड़ा और रघुवर को हार का सामना करना पड़ा. सरयू राय जमशेदपुर (पूर्वी) सीट से निर्दलीय विधायक हैं. इससे पहले वो जमशेदपुर (पश्चिम) से विधायक होते थे. सरयू राय कहते रहे हैं कि रघुवर दास की जिद पर ही पार्टी ने उनका टिकट काट दिया था. गुस्से में वो निर्दलीय प्रत्याशी बन कर रघुवर दास की सीट जमशेदपुर (पूर्व) से ही चुनाव लड़ गए. रघुवर दास को हार का सामना करना पड़ा. उससे पहले भाजपा में रहते 2014 के चुनाव में सरयू राय ने कांग्रेस उम्मीदवार बन्ना गुप्ता को हराया था.
सरयू राय का संघ और पार्टी के नेताओं से अब भी संबंध बना हुआ है. उनको चिढ़ सिर्फ रघुवर दास से थी. अब चूंकि राघुवर दास को ओडिशा का राज्यपाल बना दिया गया है, इसलिए सरयू राय की भाजपा में पुनर्वापसी की संभावना भी बढ़ गई है. अटकलें लग रही हैं कि रघुवर को राज्यपाल बना कर बीजेपी ने सरयू राय के लिए रास्ता बनाया है. कुछ तो यह भी कहते हैं कि सरयू राय से पंगा लेना रघुवर दास को महंगा पड़ गया. वैसे भी राय का रिकॉर्ड है कि जिसके पीछे वो पड़े, उसे छका दिया.
लालू यादव से लेकर मधु कोड़ा तक सरयू राय के शिकार बने हैं. अविभाजित बिहार में चारा घोटाला और अलकतरा घोटाला उन्होंने ही उजागर किया था. जिसमें लालू यादव समेत कई लोगों को सजा हुई. मधु कोड़ा सरकार के भ्रष्टाचार की पोल भी राय ने खोली थी.
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FIRST PUBLISHED : October 21, 2023, 16:04 IST