Jet Airways Resolution: सुप्रीम कोर्ट ने वित्तीय संकट से जूझ रही जेट एयरवेज के लिए सफल समाधान पेशेवर बोली लगाने वाले जालान कालरॉक कंसोर्टियम (जेकेसी) को दो सप्ताह की अवधि के भीतर 150 करोड़ रुपये की राशि जमा करने का आदेश दिया. सीजेआई डी.वाई.चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि यह राशि भारतीय स्टेट बैंक और जेकेसी के संयुक्त रूप से रखे गए एस्क्रो खाते में रखी जाएगी.
पैसा जमा नहीं करने पर कानूनी परिणाम भुगतने होंगे
पीठ में न्यायमूर्ति जे.बी. पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा भी शामिल थे. पीठ ने चेतावनी दी कि यदि जेकेसी 31 जनवरी तक बैंक गारंटी पेश करने में विफल रहता है तो कानूनी परिणाम भुगतने होंगे. शीर्ष अदालत ने राष्ट्रीय कंपनी कानून अपीलीय न्यायाधिकरण (एनसीएलएटी) से जेकेसी को बंद पड़ी एयरवेज के स्वामित्व को चुनौती देने वाली ऋणदाताओं की याचिका पर मार्च 2024 के अंत तक फैसला करने को कहा.
350 करोड़ की इक्विटी का निवेश किया
जेट एयरवेज का स्वामित्व ग्रहण करने के लिए कंसोर्टियम ने अदालत द्वारा अनुमोदित समाधान योजना के अनुसार 350 करोड़ रुपये की इक्विटी का निवेश किया था. अपने विवादित आदेश में एनसीएलएटी की तीन सदस्यीय पीठ ने 350 करोड़ रुपये के भुगतान के लिए प्रदर्शन बैंक गारंटी (पीबीजी) से 150 करोड़ रुपये के समायोजन पर सहमति व्यक्त की थी. अपीलीय न्यायाधिकरण ने कंसोर्टियम द्वारा पिछले साल 31 अगस्त तक 100 करोड़ रुपये और 30 सितंबर, 2023 तक 100 करोड़ रुपये का भुगतान करने के वचन को भी स्वीकार कर लिया था.
टाइम लिमिट बढ़ाने से इनकार किया
एस्क्रो एक ऐसी अवधारणा है जिसमें तीसरे पक्ष के पास रखी संपत्ति या धन को लेनदेन पूरा करने की प्रक्रिया में दो अन्य पक्षों की तरफ से रखा जाता है. प्रदर्शन गारंटी के तहत, प्रदर्शन या संचालन में कोई देरी होने पर बैंक को मौद्रिक मुआवजे का भुगतान करना पड़ता है. सेवा अपर्याप्त रूप से वितरित होने पर भी भुगतान करना होगा. गठजोड़ की मांग के अनुरूप 150 करोड़ रुपये जमा करने का समय 31 जनवरी से बढ़ाकर 15 फरवरी करने से इनकार कर दिया.
शीर्ष अदालत ने मामले को शीघ्र निपटान के लिए एनसीएलएटी (NCLT) के पास वापस भेज दिया. इस बीच, शीर्ष अदालत ने भविष्य निधि (पीएफ) एवं ग्रेच्युटी के बकाया भुगतान की मांग करने वाली जेट एयरक्राफ्ट मेंटेनेंस इंजीनियर्स वेलफेयर एसोसिएशन की एक याचिका को स्वीकार करने से इनकार कर दिया. पीएफ एवं ग्रेच्युटी के बकाये के रूप में 200 करोड़ रुपये से अधिक का भुगतान किया जाना है.