Patna:
Bihar Politics News: बिहार में 12 फरवरी को बिहार विधानसभा में फ्लोर टेस्ट होना है, यानी नीतीश सरकार को विधानसभा में बहुमत साबित करना है, जिसको लेकर अब सियासी पारा हाई है. बता दें कि 12 फरवरी को बिहार विधानसभा की कार्यवाही शुरू होने से पहले सभी पार्टियां अपने-अपने विधायकों को एकजुट रखने में जुटी हैं. इस बीच नई सरकार में विश्वास मत के दौरान जेडीयू एमएलसी राधा चरण साह को मौजूद रहने की इजाजत देने के मामले पर पटना हाईकोर्ट ने फिलहाल उन्हें राहत देने से इनकार कर दिया है. साथ ही हाई कोर्ट ने केंद्र और राज्य सरकार को इस मामले में चार हफ्ते के भीतर हलफनामा दाखिल करने का आदेश दिया है.
आपको बता दें कि विधान पार्षद राधा चरण साह की रद्दीकरण याचिका पर न्यायमूर्ति सत्यव्रत वर्मा की एकल पीठ ने सुनवाई की. वइस याचिका के जरिए पीएमएलए स्पेशल कोर्ट, पटना द्वारा 2 फरवरी को पारित आदेश की वैधता को कोर्ट में चुनौती दी गई है, जिसके तहत पीएमएलए विशेष न्यायालय, पटना ने न्यायिक हिरासत में बिहार विधान परिषद के 206वें सत्र में उन्हें भाग लेने की अनुमति नहीं दी थी.
वकील का बड़ा बयान
वहीं आपको बता दें कि याचिकाकर्ता के वकील ने कोर्ट से मांग की है कि उन्हें विश्वास मत से पहले दोनों सदनों की संयुक्त बैठक में भाग लेने की अनुमति दी जाए. उन्होंने कहा है कि, ”ऐसे ही मामले में झारखंड के मंत्री हेमंत सोरेन और अन्य को राहत मिली है. इस आधार पर याचिकाकर्ता को भी राहत मिलनी चाहिए.”
इसके साथ ही याचिका का विरोध करते हुए एडिशनल सॉलिसिटर जनरल डॉ. केएन सिंह ने कोर्ट को बताया कि विश्वास मत में विधानसभा के विधायक पक्ष और विपक्ष में वोट करते हैं. बता दें कि आवेदक विधान परिषद के सदस्य हैं. वहीं उन्हें विश्वास मत में वोट देने का अधिकार नहीं है. उन्होंने कहा कि, ”12 फरवरी को विश्वासमत के दौरान उनकी उपस्थिति की जरूरत नहीं है. राज्य सरकार की ओर से सरकारी वकील अजय अदालत में मौजूद रहे.”
इसके साथ ही एकल पीठ ने इस पर कड़ी नाराजगी जताई है. उन्होंने कहा है कि, ”गलत जानकारी देने के बजाय सही जानकारी देने की बात कही.” वहीं कोर्ट को लेकर कहा कि, ”जब विधान परिषद के सदस्य को विश्वासमत कार्रवाई में भाग नहीं लेना है तो फिर इसे अति आवश्यक बता कर सुनवाई के लिए अनुरोध क्यों किया गया?” वहीं बता दें कि इस मामले पर अगली सुनवाई 18 मार्च को होगी.