कमल पिमोली/श्रीनगर गढ़वाल. सांस्कृतिक धरोहरों को संभाले गढ़वाल क्षेत्र की सांस्कृतिक राजधानी कहे जाने वाले श्रीनगर गढ़वाल में बड़े ही धूम-धाम से कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है. शायद ही ऐसा कोई त्यौहार हो, जिसे यहां हर्षों उल्लास के साथ न मनाया जाए. जनमाष्टमी से पहले श्रीनगर गढ़वाल में जन्माष्टमी की धूम देखने को मिल रही है, जहां बाजार सज चुके हैं. तो वहीं कृष्ण के पोशाक की बिक्री भी शुरू हो गई है. स्कूलों में जन्माष्टमी के अवसर पर कार्यक्रमों का आयोजन किया जा रहा है. जहां छोटे-छोटे बच्चे कृष्ण की वेशभूषा में सजे हुए दिख रहे हैं तो वहीं बालिकायें राधा व गोपियां बन डांडिया खेलते हुए दिख रहे हैं.
बीते कई सालों से श्रीनगर गढ़वाल में मटकी फोड कार्यक्रम का आयोजन कराने वाले होली एंजेल स्कूल में जनमाष्टमी हर्षोल्लास के साथ मनाई गई. यहां मटकी फोड कार्यक्रम का आयोजन किया गया. इससे पूर्व सभी छात्र-छात्राओं ने स्कूल परिसर से रानीहाट मार्ग पर शोभायात्रा निकाली गई. इस शोभायात्रा में जहां छात्र वासुदेव, बालकृष्ण के रूप में नजर आये वहीं छात्रांए गोपियां व राधा के रूप में. यहा राजस्थानी वेशभूषा में तैयार छात्राओं द्वारा डांडिया खेला गया. जिसमें छात्रों के साथ स्कूली शिक्षकों ने भी प्रतिभाग किया. यहां छात्रों द्वारा काफी मसक्कत के बाद दही हांडी मटकी फोड़ी गई.
हर साल होता है मटकी फोड़ कार्यक्रम
विद्यालय के प्राचार्य अजय प्रकाश जोशी बताते हैं कि वे प्रत्येक वर्ष जन्माष्टमी के अवसर पर ऐसे कार्यक्रमों का आयोजन करते हैं. जिससे छात्रों का जुडाव संस्कृति से होता है. उनकी इस पहल के बाद से श्रीनगर और कीर्तिनगर क्षेत्र के अन्य कई स्कूलों में इस तरह के आयोजनों की शुरुआत की गई. बताते हैं कि वर्तमान समय में छात्र पढ़ाई को लेकर काफी चिंतित रहते हैं. कई बार छात्र मानसिक तनाव में भी आ जाते हैं.
संस्कृति से रूबरू होते हैं युवा
ऐसे में इस बीच इस तरह के सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन उन्हें तनाव मुक्त रखता है. साथ ही कौशल विकास में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. आज के दौर में छात्रों का लगाव संस्कृति की तरफ कम ही देखने को मिलता है. ऐसे में युवा पीढ़ी में पारंपरिक त्यौहारों को नये क्लेवर में पेश कर उन्हें संस्कृति से जोड़े रखना आवश्यक है.
100 से अधिक छात्र हुए शामिल
होली एंजेल स्कूल के प्राचार्य अजय प्रकाश जोशी ने बताया कि विद्यालय द्वारा ऐसे कार्यक्रमों से बच्चों में अपनी संस्कृति को लेकर काफी उत्साह देखने को मिल रहा है. जिसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि विधालय में 100 से अधिक छात्र छात्राएं राधा-कृष्ण की तरह सजकर जन्माष्टमी मनाने यहां पहुंचे थे. स्थानीय संस्कृति के साथ-साथ देश के अन्य राज्यों की परंपरा और संस्कृति से भी छात्रों को रूबरू कराया जा रहा है. कार्यक्रम में उत्तराखण्ड के साथ-साथ राजस्थान के कल्चर को यहां पर दिखाया गया.
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FIRST PUBLISHED : September 06, 2023, 20:31 IST