Janmashtami 2023: जन्माष्टमी पर श्रीकृष्ण की पूजा के साथ श्रृंगार है जरूरी, देवघर के ज्योतिषी से जानें विधि

परमजीत कुमार/देवघर. सनातन धर्म में जन्माष्टमी का बड़ा महत्व है. माना जाता है कि भगवान श्रीकृष्ण का जन्म भाद्र मास की अष्टमी तिथि को मथुरा में हुआ था. जन्माष्टमी का पर्व देश भर में पूरे उत्साह और धूमधाम से मनाया जाता है. कृष्ण भगवान के छोटे स्वरूप लड्डू गोपाल की प्रतिमा घर में लाकर अच्छी तरह से सजाया जाता है. फिर मध्य रात्रि में उनकी पूजा-अर्चना की जाती है.

झारखंड के देवघर के ज्योतिषाचार्य नंद किशोर मुद्गल बताते हैं कि कृष्ण भगवान को श्रृंगार बहुत पसंद है. जन्माष्टमी के दिन भगवान का श्रृंगार कर विधि विधान से पूजा करने से मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है. ज्योतिषाचार्य नंद किशोर मुद्गल ने न्यूज़ 18 लोकल को बताया कि इस साल जन्माष्टमी का पर्व 6 सितंबर को मनाया जाएगा. जो भी भक्त भगवान श्री कृष्ण की पूरे विधि विधान के साथ पूजा-आराधना करते हैं, उनकी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है. जन्माष्टमी के दिन जितना महत्व पूजा का है उतना ही महत्व श्रृंगार का भी है. क्योंकि भगवान श्रीकृष्ण को श्रृंगार अतिप्रिय है. इसलिए जन्माष्टमी के दिन भगवान कृष्ण के छोटे स्वरूप की श्रृंगार अवश्य करें.

इन चीजों से कन्हैया का करें श्रृंगार

वस्त्र- लड्डू गोपाल को पीला और हरा रंग का वस्त्र बेहद पसंद है. इसलिए किसी अन्य रंग के वस्त्र भगवान को ना पहनाएं. पीला और हरा रंग का वस्त्र शुभ माना गया है.

बांसुरी– जब भी लड्डू गोपाल की श्रृंगार करें तो उनको बांसुरी देना ना भूलें. बिना बांसुरी के लड्डू गोपाल का श्रृंगार अधूरा माना जाता है.

मोर मुकुट– श्रीकृष्ण के मुकुट पर हमेशा मोर पंख लगा रहता था. इसलिए जन्माष्टमी के दिन जब आप लड्डू गोपाल का श्रृंगार करें तो उन्हें मोर मुकुट अवश्य पहनाएं.

आभूषण– बिना आभूषण का श्रृंगार अधूरा होता है. इसलिए लड्डू गोपाल को आभूषण के साथ ही श्रृंगार करें.

केसर चंदन– जन्माष्टमी के दिन लड्डू गोपाल के माथे पर केसर चंदन का टीका अवश्य लगाएं. इससे शीतलता आती है.

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