परमजीत कुमार, देवघर. जन्माष्टमी हर साल भादो माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनायी जाती है. हिंदू धर्म में इस पर्व का खासा महत्व है. जन्माष्टमी के दिन कृष्ण भगवान के बाल स्वरूप की पूजा की जाती है. कृष्ण भगवान को विष्णु जी का आठवां अवतार माना जाता है. भगवान कृष्ण का जन्मोत्सव मध्य रात्रि को ही मनाया जाता है.
मान्यता है कि भगवान श्री कृष्ण का जन्म मध्यरात्रि को ही हुआ था. हर साल व्रत की तिथि को लेकर कंफ्यूज रहती है. वहीं, इस बार जन्माष्टमी पर 10 साल बाद विशेष योग भी बना रहा है. आइये बैद्यनाथ धाम के ज्योतिषी से जानते हैं कि कृष्णा जन्माष्टमी का व्रत किस दिन रखा जाएगा और पूजा का शुभ मुहूर्त क्या है.
बैद्यनाथ मंदिर के प्रसिद्ध तीर्थ पुरोहित सह ज्योतिषाचार्य प्रमोद श्रृंगारी ने लोकल 18 को बताया कि हर साल कृष्णा जन्माष्टमी भादो मास की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनायी जाती है. इस साल 6 सितंबर को व्रत रखकर जन्माष्टमी का पर्व मनाया जाएगा. इस दिन श्री कृष्ण भगवान के बाल स्वरूप नंद गोपाल की मध्य रात्री में पूजा अर्चना की जाएगा.पुत्र की प्राप्ति के लिए जन्माष्टमी के व्रत का खासा महत्व है.
क्या बन रहा है शुभ संयोग:
प्रमोद श्रृंगारी बताते हैं कि इस साल जन्माष्टमी के दिन अद्भुत संयोग बन रहा है. भगवान श्री कृष्ण का जन्म मथुरा में अष्टमी तिथि रोहिणी नक्षत्र वृषभ राशि बुधवार के दिन हुआ था. वहीं इस साल जन्माष्टमी भी बुधवार को पड़ रहा है. उन्होंने बताया कि यह संयोग 10 साल के बाद बन रहा है. जिसका खासा महत्व है.
पूजा का शुभ मुहूर्त :
भादो मास की अष्टमी तिथि की शुरुआत 6 सितंबर दिन बुधवार की रात 8 बजकर 12 मिनट से हो रही है. वहीं अष्टमी तिथि का समापन अगले दिन 7 सितंबर दिन बृहस्पतिवार की शाम 06 बजकर 12 मिनट पर होगा. क्योंकि बाल गोपाल का जन्मोत्सव मध्य रात्रि को मनाया जाता है. इसलिए 6 सितंबर को ही जन्माष्टमी का व्रत रखा जाएगा.
वहीं पूजा का शुभ मुहूर्त 6 सितंबर की रात 11 बजकर 32 मिनट से 01 बजकर 12 मिनट तक रहने वाला है.
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FIRST PUBLISHED : August 25, 2023, 18:42 IST