Jan Gan Man: Hardeep Singh Nijjar की मौत के गम में डूबे Justin Trudeau को Karima Baloch की हत्या क्यों नहीं दिखी?

कनाडा के प्रधानमंत्री के व्यक्तित्व के विरोधाभास को भी देखा जाना चाहिए। एक तरफ वह हरदीप सिंह निज्जर के मामले में बयान दे रहे हैं लेकिन उनके कार्यालय ने अब तक पाकिस्तानी मानवाधिकार कार्यकर्ता करीमा बलूच की हत्या के मामले का संज्ञान नहीं लिया है।

वोट बैंक की राजनीति, तुष्टिकरकण की राजनीति, आतंकवाद और अलगाववाद की राजनीति और दूसरे देशों में आतंक फैलाने के लिए अपने देश की सरजमीं का इस्तेमाल करने देने की राजनीति आज तक किसी भी देश का फायदा नहीं कर पाई। भले शुरुआत में ऐसी राजनीति से थोड़ा बहुत लाभ हो जाये लेकिन लंबी अवधि में इससे संबंधित देश को नुकसान ही होता है। कनाडा के प्रधानमंत्री जिस तरह अपने देश में भारत विरोधी गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए अलगाववादियों और आतंकवादियों को खुली छूट दे रहे हैं और अभिव्यक्ति की आजादी की दुहाई देकर खालिस्तानी तत्वों को पाल पोस रहे हैं वह निश्चित ही एक दिन उनके लिए भस्मासुर साबित होंगे। देखा जाये तो कनाडा के प्रधानमंत्री जो कुछ कर रहे हैं या कह रहे हैं उसके चलते उन्हें कनेडियन पप्पू भी कहा जाने लगा है।

निज्जर का वायरल वीडियो

इसके अलावा, अलगाववादी नेता हरदीप सिंह निज्जर की हत्या से गहरे दुख में डूबे कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो को एक वायरल हो रहा वीडियो अवश्य देखना चाहिए। इस वीडियो के बारे में दावा किया जा रहा है कि इसमें British Columbia में एक हथियार प्रशिक्षण शिविर में हरदीप सिंह निज्जर को फायरिंग करते हुए देखा जा सकता है। बताया यह भी जा रहा है कि इस हथियार प्रशिक्षण शिविर में पाकिस्तानी आतंकवादियों को भी भारत पर हमले के लिए प्रशिक्षण दिया जाता था। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो को यह पता नहीं था कि उनके देश में आतंकवाद को पनाह और आतंकवादियों को प्रशिक्षण दिया जा रहा है?

करीमा बलूच पर चुप्पी क्यों?

इसके अलावा, कनाडा के प्रधानमंत्री के व्यक्तित्व के विरोधाभास को भी देखा जाना चाहिए। एक तरफ वह हरदीप सिंह निज्जर के मामले में बयान दे रहे हैं लेकिन उनके कार्यालय ने अब तक पाकिस्तानी मानवाधिकार कार्यकर्ता करीमा बलूच की हत्या के मामले का संज्ञान नहीं लिया है। बताया जाता है कि पाकिस्तान की मदद से करीमा बलूच की हत्या हुई थी। देखा जाये तो इस तरह की राजनीति करके जस्टिन ट्रूडो अपने देश को खतरे में डाल रहे हैं। जस्टिन ट्रूडो को समझना होगा कि आग से खेलने के दौरान झुलसने का खतरा बना रहता है।

कनाडा में मौजूद चरमपंथी संगठनों का ब्यौरा

इसके अलावा, एक और चीज स्पष्ट है कि आतंकवादी समूहों का समर्थन करने वाले कम से कम नौ अलगाववादी संगठनों के ठिकाने कनाडा में हैं और कई निर्वासन अनुरोधों के बावजूद कनाडा ने लोकप्रिय पंजाबी गायक सिद्धू मूसेवाला की हत्या समेत जघन्य अपराधों में शामिल लोगों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की है। बताया जाता है कि कनाडा में वर्ल्ड सिख ऑर्गेनाइजेशन (डब्ल्यूएसओ), खालिस्तान टाइगर फोर्स (केटीएफ), सिख फॉर जस्टिस (एसएफजे) और बब्बर खालसा इंटरनेशनल (बीकेआई) जैसे खालिस्तान समर्थक संगठन पाकिस्तान के इशारे पर स्वतंत्र रूप से काम कर रहे हैं। भारतीय अधिकारियों ने वांछित आतंकवादियों और गैंगस्टरों के निर्वासन का मुद्दा कई राजनयिक और सुरक्षा वार्ताओं में उठाया है, लेकिन कनाडाई अधिकारी इन आतंकवादी तत्वों का समर्थन करते हुए आंखे मूंदे रहे। यही नहीं, कनाडा को कई दस्तावेज सौंपे गए हैं लेकिन भारत के निर्वासन अनुरोधों पर ध्यान नहीं दिया गया है। बताया जाता है कि आतंकवादी गतिविधियों में शामिल आठ लोगों और पाकिस्तान की आईएसआई के साथ साजिश रचने वाले कई गैंगस्टरों को कनाडा में सुरक्षित ठिकाना मिला हुआ है। जिन लोगों के निर्वासन के अनुरोध कनाडाई अधिकारियों के पास वर्षों से लंबित हैं उनमें गुरवंत सिंह भी शामिल है, जो 1990 के दशक की शुरुआत में आतंकवादी गतिविधियों में शामिल था और उसके खिलाफ इंटरपोल का रेड कॉर्नर नोटिस भी लंबित है। भारतीय अधिकारियों ने आतंकी मामलों में शामिल गुरप्रीत सिंह के निर्वासन का अनुरोध करते हुए कनाडा में उसका पता भी वहां की सरकार को प्रदान किया था, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गई। इसके अलावा, 16 आपराधिक मामलों में वांछित अर्शदीप सिंह उर्फ अर्श डल्ला, प्रसिद्ध पंजाबी गायक सिद्धू मूसेवाला की हत्या की जिम्मेदारी लेने वाले सतिंदरजीत सिंह बराड़ उर्फ गोल्डी बराड़ समेत खूंखार गैंगस्टरों के खिलाफ सबूत पेश कर उनके निर्वासन का अनुरोध किया गया था, लेकिन कनाडा सरकार ने कार्रवाई नहीं की।

देखा जाये तो कनाडा के प्रधानमंत्री ने अब जो कुछ किया है उससे उन्होंने अपने देश को तो खतरे में डाला ही है साथ ही पूरी दुनिया में रहने वाले सिख समाज के लिए भी मुश्किल पैदा कर दी है। इस संबंध में सिखों की शीर्ष धार्मिक संस्था शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (एसजीपीसी) ने कहा है कि हालांकि भारत सरकार ने कनाडाई सरकार के आरोपों को खारिज कर दिया और एक कनाडाई राजनयिक को निष्कासित कर दिया है, लेकिन यह मामला ‘बहुत गंभीर’ है और वैश्विक स्तर पर सिखों को प्रभावित करेगा। एसजीपीसी प्रमुख हरजिंदर सिंह धामी ने कहा है कि पूरी दुनिया में सिखों के अस्तित्व को देखते हुए कनाडा और भारत दोनों को हाथ मिलाने की जरूरत है, ताकि आरोप लगने पर सच्चाई सामने आ सके और दोनों देशों के बीच रिश्ते भी अच्छे बने रहें।

अमरिंदर सिंह का बड़ा बयान

इसके अलावा, पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री अमरिन्दर सिंह ने भी कहा है कि हरदीप सिंह निज्जर की हत्या कनाडा के सरे में गुरु नानक सिख गुरुद्वारा के प्रबंधन को लेकर दो गुटों के बीच झगड़े का परिणाम थी। अमरिन्दर सिंह ने कहा कि ट्रूडो दुर्भाग्य से वोट बैंक की राजनीति के कारण जाल में फंस गए हैं और उन्होंने भारत और कनाडा के बीच राजनयिक संबंधों को दांव पर लगा दिया है। उन्होंने कहा कि किसी देश के प्रधानमंत्री के लिए बिना किसी सबूत के केवल इसलिए बयान देना बेहद गैर-जिम्मेदाराना है, क्योंकि वह वोट बैंक की राजनीति कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि यह एक अकाट्य तथ्य है कि ट्रूडो प्रशासन ने कनाडा में भारत विरोधी ताकतों को खुली छूट दे दी है। भाजपा नेता अमरिंदर सिंह ने कहा कि वहां भारतीय मिशनों पर हमला किया गया और राजनयिकों को डराया गया, लेकिन कनाडा की सरकार ने कोई कार्रवाई नहीं की। अमरिंदर सिंह ने कहा कि उन्होंने ट्रूडो के ध्यान में यह बात लाई थी कि कैसे कनाडा की जमीन का इस्तेमाल भारत के खिलाफ किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि जब वह ट्रूडो से 2018 में भारत की उनकी यात्रा के दौरान अमृतसर के एक होटल में मिले थे, तो उन्होंने उनके साथ सारी जानकारी साझा की थी। उन्होंने कहा कि कनाडा की सरकार द्वारा इस संबंध में कोई सुधारात्मक कदम उठाने के बजाय, वहां भारत विरोधी गतिविधियों में वृद्धि हुई है।

भारत-कनाडा व्यापार

दूसरी ओर, जहां तक इस तनाव का दोनों देशों के बीच व्यापारिक संबंधों पर पड़ने वाले संभावित असर की बात है तो उसके बारे में विशेषज्ञों का कहना है कि तनावपूर्ण राजनयिक संबंधों का असर दोनों देशों के बीच व्यापार तथा निवेश पर पड़ने की संभावना नहीं है क्योंकि आर्थिक संबंध व्यावसायिक विचारों से प्रेरित होते हैं। हालांकि ताजा घटनाक्रम के बाद दोनों देशों के बीच मुक्त व्यापार समझौते पर वार्ता रुक गई है लेकिन जहां तक व्यापार संबंधों की बात है तो भारत और कनाडा के बीच द्विपक्षीय व्यापार हाल के वर्षों में उल्लेखनीय रूप से बढ़ा है, जो 2022-23 में 8.16 अरब अमेरिकी डॉलर तक पहुंच गया। कनाडा को भारत के निर्यात (4.1 अरब अमेरिकी डॉलर) में दवाएं, रत्न, आभूषण, कपड़ा तथा यंत्र शामिल हैं, जबकि कनाडा के भारत को निर्यात (4.06 अरब अमेरिकी डॉलर) में दालें, लकड़ी, लुगदी, कागज तथा खनन उत्पाद शामिल हैं।

भारत-कनाडा राजनयिक तनाव संबंधी घटनाक्रम

जहां तक इस पूरे घटनाक्रम की बात है तो आपको एक बार फिर बता दें कि खालिस्तान समर्थक अलगाववादी नेता हरदीप सिंह निज्जर की जून में हुई हत्या के तार भारत से जुड़े होने का आरोप लगाकर एक भारतीय अधिकारी को कनाडा द्वारा निष्कासित किए जाने के कुछ ही घंटे बाद, भारत ने ‘जैसे को तैसा’ की कार्रवाई करते हुए एक कनाडाई राजनयिक को निष्कासित करने की घोषणा कर डाली। इस प्रकरण से भारत-कनाडा संबंध सबसे खराब दौर में पहुँच गये हैं। हम आपको बता दें कि जस्टिन ट्रूडो ने कनाडाई संसद में कहा था कि जून महीने में निज्जर की हत्या और भारत सरकार के एजेंट के बीच ‘‘संभावित संबंध के पुख्ता आरोपों’’ की कनाडा की सुरक्षा एजेंसियां पूरी सक्रियता से जांच कर रही हैं। भारतीय विदेश मंत्रालय ने भारत पर लगाए गए आरोपों को लेकर कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए कहा था कि कनाडा में हिंसा के किसी भी कृत्य में भारत की संलिप्तता के आरोप ‘‘बेतुके’’ और ‘‘बेबुनियाद’’ हैं। विदेश मंत्रालय ने कहा, ‘‘इस तरह के बेबुनियाद आरोप खालिस्तानी आतंकवादियों और चरमपंथियों से ध्यान हटाने की कोशिश करते हैं, जिन्हें कनाडा में आश्रय प्रदान किया गया है और जो भारत की संप्रभुता एवं क्षेत्रीय अखंडता के लिए खतरा बने हुए हैं।’’ भारतीय विदेश मंत्रालय ने कहा कि कनाडा के नेताओं का ऐसे तत्वों के प्रति “खुलेआम सहानुभूति जताना” गहरी चिंता का विषय है। विदेश मंत्रालय ने कहा, ‘‘हत्या, मानव तस्करी और संगठित अपराध सहित कई अन्य अवैध गतिविधियों के लिए कनाडा में जगह मुहैया कराया जाना कोई नयी बात नहीं है।’’ विदेश मंत्रालय ने कहा, ‘‘ऐसे ही आरोप कनाडा के प्रधानमंत्री ने हमारे प्रधानमंत्री से बातचीत के दौरान भी लगाए थे, जिन्हें पूरी तरह से खारिज कर दिया गया था।” हम आपको याद दिला दें कि दिल्ली में आयोजित जी20 शिखर सम्मेलन से इतर प्रधानमंत्री मोदी और उनके कनाडाई समकक्ष ट्रूडो के बीच 10 सितंबर को द्विपक्षीय बातचीत हुई थी। मोदी ने 10 सितंबर को ट्रूडो के साथ बातचीत के दौरान उन्हें कनाडा में चरमपंथी तत्वों द्वारा जारी भारत विरोधी गतिविधियों को लेकर भारत की चिंताओं से अवगत कराया था क्योंकि ये तत्व अलगाववाद को बढ़ावा दे रहे हैं और भारतीय राजनयिकों के खिलाफ हिंसा भड़का रहे हैं तथा वहां भारतीय समुदाय को डरा रहे हैं।

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