Israel Hamas War: हमास के खात्मे के टारगेट के साथ इजरायल के हमले जारी, फिलिस्तीन से ज़ी न्यूज़ की एक्सक्लूसिव रिपोर्टिंग

Israel Hamas war latest update: देश के ज्यादातर न्यूज चैनल, इजरायल में रहकर वार की ग्राउंड रिपोर्टिंग कर रहे हैं. बहुत सारे रिपोर्टर फिलिस्तीन की सीमा से कई किलोमीटर दूर से युद्ध क्षेत्र के हालात बता रहे हैं. लेकिन ज़ी न्यूज (Zee News) की टीम आपको फिलस्तीन के अंदर का LIVE हाल बता रही है. दरअसल ज़ी न्यूज़ देश का पहला न्यूज चैनल हैं, जो फिलिस्तीन के वेस्ट बैंक पहुंचा है. गाजापट्टी पर हो रही बमबारी का असर, फिलिस्तीन के दूसरे हिस्से वेस्ट बैंक पर पड़ रहा है. वेस्ट बैंक, गाजा पट्टी की तरह ही सुलग रहा है. बस फर्क ये है कि यहां पर धमाकों से उठा धुआं नजर नहीं आ रहा है.

फिलिस्तीन के दो हिस्से एक हमेशा से शांत तो दूसरा युद्धप्रभावित

फिलिस्तीन के दो हिस्से हैं, पहला गाजा पट्टी, जहां जंग चल रही है. इसी पट्टी से हमास ने इजरायल पर हमला किया था, जिसके जवाब में युद्ध शुरू हो गया. गाजा पट्टी का प्रशासन, वहां का आतंकी संगठन हमास चलाता है. फिलिस्तीन का दूसरा हिस्सा है वेस्ट बैंक, जहां का प्रशासन फिलिस्तीन अथॉरिटी संचालित करती है. यहां भी इजरायल का विरोध होता है, लेकिन ये हिस्सा कभी भी हिंसक नहीं रहा. ज़ी न्यूज संवाददाता विशाल पांडेय, अपने कैमरामैन, एस जयदीप के साथ वेस्ट बैंक के रमल्ला (Ramalla) पहुंचे जो तीन तरफ से इजरायल तो एक तरफ से ये जॉर्डन (Jordan) से घिरा हुआ है.

‘इजरायल को वेस्ट बैंक की चिंता लेकिन सता रहा ये डर’

गाजा पट्टी से जिस तरह हमले हो रहे हैं. उसे देखते हुए इजरायल को वेस्ट बैंक चिंता सता रही है. दरअसल लेबनान सीमा से एक और आतंकवादी संगठन हिजबुल्लाह के हमलों के देखते हुए, अब इजरायल को डर है कि वेस्ट बैंक से भी आतंकी, इजरायल के खिलाफ युद्ध का मोर्चा खोल सकते हैं. वेस्ट बैंक में इजरायल के खिलाफ अभी केवल प्रदर्शन हो रहे हैं. इजरायल को डर है कि ये प्रदर्शन हिंसक रूप ले सकते हैं. हालांकि इजरायल ने उन लोगों को हिरासत में लिया है, जिनपर हिंसा भड़काने का डर था.

यहां इजरायल के खिलाफ लंबे समय से शांतिपूर्ण प्रदर्शन-सीधी जंग नहीं

गाजा पट्टी में जाना अगर बमबारी के लिहाज़ से खतरनाक है, तो वेस्ट बैंक के रमल्ला में मीडिया को हमास समर्थकों से खतरा है. ज़ी न्यूज़ संवाददाता विशाल जब वेस्ट बैंक पहुंचे तो सड़क पर ना के बराबर लोग थे. माहौल अघोषित कर्फ्यू की तरह था. यहां से इजरायल पर रॉकेट हमले नहीं किए जाते, लेकिन अक्सर लोग सड़कों पर उतरकर नाराजगी जताते हैं.

भौगोलिक इतिहास 

संयुक्त राष्ट्र ने 1947 में फिलिस्तीन के बंटवारे का जो प्रस्ताव पास किया था, उसमें गाजा पट्टी और वेस्ट बैंक, दोनों ही फिलिस्तीन का हिस्सा बनाए गए थे. जबकि वेस्ट बैंक में स्थित येरुशलम को संयुक्त राष्ट्र को नियंत्रित करना था. हालांकि 1947 में ही अरब देशों ने हमला कर दिया था. इस हमले में इजरायल की जीत हुई थी. इस जीत के बाद इजरायल ने फिलिस्तीन की और ज्यादा जमीन पर कब्जा कर लिया था. हालांकि वेस्ट बैंक पर उस वक्त जॉर्डन का नियंत्रण हो गया था.

लेकिन 1950 से 1967 तक वेस्ट बैंक पर जॉर्डन का नियंत्रण रहा. लेकिन 1967 में इजरायल और अरब देशों के बीच करीब 6 दिन तक चले एक युद्ध में इजरायल ने एकतरफा जीत दर्ज करते हुए वेस्ट बैंक और गाजा पट्टी को भी अपने नियंत्रण में ले लिया था.

गाजा पट्टी में पहला ‘इंतिफादाह’

1987 में फिलिस्तीन पर इजरायल के नियंत्रण के खिलाफ, गाजा पट्टी में पहला ‘इंतिफादाह’ शुरू हुआ. ये इंतिफादाह 1988 आते आते वेस्ट बैंक में भी फैल गया . इंतिफादाह का मतलब होता है ‘व्यापक विद्रोह’. यानी गाजा पट्टी और वेस्ट बैंक के लोगों ने इजरायल के नियंत्रण के खिलाफ व्यापक विद्रोह किया. इसी विद्रोह के दौरान गाजा पट्टी में आतंकी संगठन हमास बना. आगे वेस्ट बैंक में यासिर अराफात की पार्टी PLO का नियंत्रण हो गया. 1973 में अमेरिका के बीच मध्यस्थता के बाद, OSLO ACCORD पर हस्ताक्षर किए गए. जिससे तहत PLO ने हिंसा का रास्ता छोड़ा तब इजरायल ने वेस्ट बैंक का नियंत्रण PLO को दे दिया. वेस्ट बैंक पर फिलिस्तीन अथॉरिटी का नियंत्रण है. वेस्ट बैंक में प्रशासन, भले ही फिलिस्तीन अथॉरिटी चला रही हो, लेकिन वहां की सुरक्षा, आने-जाने से जुड़े मसले, इजरायल ही देखता है. इजरायल, यहां बड़े पैमाने पर यहूदी बस्तियां बसा रहा है, जिसका फिलिस्तीनी लोग विरोध कर रहे हैं.

गाजा पट्टी का समीकरण

गाजा पट्टी की आबादी 23 लाख है, तो वेस्ट बैंक में 30 लाख फिलिस्तीनी रहते हैं. वेस्ट बैंक में 4 लाख 70 हजार यहूदी भी रहते हैं. ये यहूदी इजरायली कॉलोनियों में रहते हैं. करीब 3 लाख यहूदी येरुशलम के आसपास बनी, इजरायल के बसाए क्षेत्रों में रहते हैं. कुल मिलाकर अकेले वेस्ट बैंक में करीब 8 लाख यहूदी रहते हैं. फिलबाल वेस्ट बैंक में यहूदियों की 250 से ज्यादा बस्तियां हैं.

इन बस्तियों को संयुक्त राष्ट्र समेत कई देश गैरकानूनी मानते हैं. ये बस्तियां, वेस्ट बैंक के फिलिस्तीनियों और इजरायल के बीच विवाद की एक बड़ी वजह है. जानकारों का मानना है, कि वेस्ट बैंक में यहूदी बस्तियों के बढ़ने की वजह से, फिलिस्तीन का अलग स्वतंत्र देश बनना लगभग नामुमकिन हो गया है. यहूदी बस्तियां, वेस्ट बैंक के अलग-अलग क्षेत्रों में बसाई गई हैं.

रूस-अमेरिका आमने सामने 

इजरायल-हमास युद्ध ने एक बार फिर रूस-अमेरिका को आमने सामने लाकर खड़ा कर दिया है, अमेरिका हमास के खिलाफ इजरायल का खुलकर समर्थन कर रहा है, तो रूस इजरायल पर युद्ध अपराध का आरोप लगा रहा है. जिसने दोनों देशों के बीच तल्खी बढ़ा दी है. इससे पहले फरवरी 2022 को याद कीजिये, जब रूस ने पड़ोसी यूक्रेन पर हमला कर दिया था. तब भी अमेरिका खुलकर यूक्रेन के साथ खड़ा हो गया था. यूक्रेन को सैन्य और आर्थिक मदद दी थी और आज भी दे रहा है, जिससे दोनों देशों के बीच टकराव खत्म करने के बजाए बढ़ा हुआ है.

चाहे यूक्रेन युद्ध हो या दूसरा विश्व युद्ध अमेरिका के साथ रूस के संबंध हमेशा से ही तनाव भरे रहे हैं. दूसरे विश्व युद्ध के दौरान भी सोवियत संघ और अमेरिका के बीच तल्खी बनी रही थी और इसी के चलते दोनों एक दूसरे पर हमलावर थे.

COLD WAR
– सोवियत संघ के दौरान ही अमेरिका में खिचीं तलवार के चलते विश्व में 2 गुट बन गए थे.
– एक गुट अमेरिका, ब्रिटेन और यूरोप के मिलने से नाटो के रूप में बना.
– दूसरा गुट सोवियत संघ के ईस्टर्न यूरोप के साथ वॉरसा समझौते के तहत बना.
– दोनों देश हमेशा छोटे देशों पर अपना असर डालने की कोशिश में रहते हैं.
– दोनों दुनिया को अपनी तरह से चलाने की जदोजहद में ऐसा करते हैं.
– अब सोवियत संघ के टूटने के बाद बने रूस के रिश्ते अमेरिका के साथ और भी खराब हो गए हैं.

दूसरा विश्व युद्ध वर्ष 1939 से 1945 तक चला. 1945 में दूसरे विश्वयुद्ध के खत्म होने के साथ ही रूस और अमेरिका के बीच बढ़े तनाव और वर्चस्व की लड़ाई का पहला नतीजा दुनिया ने कोरिया के विभाजन के साथ देखा. कई सालों तक चले युद्ध के बाद जिसमें एक तरफ अमेरिका की सेनाएं भी शामिल थीं तो दूसरी ओर से रूस और चीन ने दखल दिया.

 कोरिया दो हिस्सों में टूटा

1953 में कोरिया दो हिस्सों में विभाजित हो गया. कम्युनिस्ट विचारधारा के साथ बने उत्तर कोरिया में तब से तानाशाही शासन है और वहां के लोग किस हाल में हैं इस बारे में दुनिया को ज्यादा कुछ पता नहीं है. दूसरी ओर अमेरिका की पूंजीवादी व्यवस्था के साथ आए दक्षिणी हिस्से के लोगों को दक्षिण कोरिया नाम का देश मिला. तब से अब तक के इन 70 सालों में ना तो कोरिया के इन दोनों देशों में तनाव कम हुआ है और ना ही हथियारों की होड़ खत्म हुई है. आज भी उत्तर कोरिया के पक्ष में रूस और चीन खड़े हैं तो दक्षिण कोरिया की सुरक्षा के लिए अमेरिकी सैनिक तैनात हैं.

एशिया में अगर देखा जाए तो अफगानिस्तान, अमेरिका और रूस के बीच दशकों से जारी कोल्ड वार का सबसे बड़ा शिकार है. 1970 के दशक में यहां रूसी समर्थन से सरकार चल रही थी तो उसे उखाड़ने के लिए और एशिया में अड्डा जमाने के लिए अमेरिका ने पाकिस्तान को जरिया बनाया और वहां तालिबान जैसी ताकत को जन्म दिया गया. जिसके जरिए 1990 के दशक में अमेरिका रूस समर्थक सत्ता को उखाड़ फेंकने में कामयाब भी रहा.

वहीं तालिबान बाद में अमेरिका के लिए संकट बन गया. 9/11 के हमले के बाद उसी अमेरिका ने अफगानिस्तान पर हमला किया और तालिबान को उखाड़ फेका. 21 साल बाद फिर वही तालिबान रूस-चीन के सपोर्ट के साथ पलटवार करता है और 15 अगस्त 2021 से अफगानिस्तान की सत्ता पर कब्जा जमा लेता है.

रूस के यूक्रेन के खिलाफ युद्ध छेड़ने और अमेरिका के यूक्रेन का साथ देने के बाद दोनों के रिश्तों में खटास कहीं ज्यादा बढ़ गई, और अब बाइडेन ने पुतिन को आतंकी संगठन हमास जैसा बताकर इजरायल-हमास की इस जंग के बवाल को नई हवा दी है. जिसके नतीजे भविष्य में बहुत घातक साबित हो सकते हैं.

Source link

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *