Iran Vs Israel: मिडिल ईस्ट बीते 50-60 सालों से अशांत क्षेत्र रहा है. कहीं सत्ता का संघर्ष तो कहीं कट्टरपंथियों में आगे बढ़ने की होड़ में यहां हजारों लोगों को असमय काल के गाल में समाना पड़ गया. यहां बात ईरान की जिसने सीरिया की राजधानी दमिश्क पर हुए इजरायली हमले में अपने ईरानी रिवोल्यूशनरी गार्ड्स (सीरिया) के खुफिया प्रमुख और उनके डिप्टी के साथ-साथ दो अन्य की मौत की पुष्टि करते हुए बदला लेने की कसम खाई है. ईरानी न्यूज़ एजेंसी ने अपने सोर्स के हवाले से लिखा ‘रिवोल्यूशनरी गार्ड्स के सीरिया इंटेल प्रमुख, उनके डिप्टी और दो अन्य गार्ड सदस्य इजरायल द्वारा सीरिया पर हमले में शहीद हो गए.’
रिवोल्यूशनरी गार्ड्स का बयान
वहीं ईरान के रिवोल्यूशनरी गार्ड्स ने अपने एक बयान में कहा, ‘रिवोल्यूशनरी गार्ड्स पर हुए अटैक में हमारे चार सदस्य मारे गए और हमला इजरायल ने किया. हम चुप नहीं बैठेंगे. ईरान अपने ऊपर हुई नाइंसाफी और हमले का जवाब देने का अधिकार रखता है. हम चुप नहीं बैठेंगे.’
वहीं सीरियाई की सरकारी न्यूज़ एजेंसी SANA ने इजरायली हमले को लेकर प्रकाशित अपनी रिपोर्ट में कहा, ‘इजरायल ने सीरिया की संप्रभुता का उल्लंघन करते हुए दमिश्क से सटे माज़ेह में एक रिहायशी इमारत को निशाना बनाया.’ इसके अलावा सीरियन ऑब्जर्वेटरी फॉर ह्यूमन राइट्स वॉर मॉनिटर ने कहा, ‘इजरायली हमले में ईरानी गार्ड्स के नेताओं के साथ-साथ ईरान समर्थक फिलिस्तीनी गुटों को शरण देने वाले नेताओं को निशाना बनाया गया.
मिडिल ईस्ट अशांत क्यों?
मिडिल ईस्ट जंग का अखाड़ा बन चुका है. इसका असर पश्चिमी एशिया पर भी पड़ रहा है. इजराइल और हमास को छोड़ दें तो ये साफ नहीं है कि आखिर लड़ कौन किससे रहा है? ईरान को रूस, चीन और पाकिस्तान और सीरिया का खुला समर्थन हासिल है. इजराइल सीरिया और लेबनान पर बम बरसा रहा है. आपको बताते चलें कि सीरिया की राजधानी पर इजराइल का हमला रिवोल्यूशनरी गार्ड के उस बयान के आने चार दिन बाद हुआ है जिसमें कहा गया था कि उसने इराक के कुर्दिस्तान की राजधानी आर्बिल में ‘इजरायली खुफिया मुख्यालय’ पर हमला किया है. इराकी अधिकारियों ने उस हमले में अपने चार नागरिकों की मौत और छह के घायल होने की पुष्टि की थी.
महाशक्तियों का टकराव
अमेरिका-ब्रिटेन समेत पश्चिमी देश इजराइल के समर्थन में हैं तो रूस-चीन ईरान का समर्थन कर रहे हैं. ईरान पर हूती और हिजबुल्लाह के सरपरस्त होने का आरोप लगा है. इजराइल के गाजा पर ताबड़तोड़ हमले जारी हैं. ऐसे में मुस्लिम ब्रदरहुड के चलते मुस्लिम देशों की स्वाभाविक सहानुभूति फिलिस्तीनियों के साथ है. सीरिया के राष्ट्रपति बसर अल असद के ऊपर रूस यानी पुतिन का हाथ है. अपने हितों की रक्षा के लिए कभी अमेरिका वहां हमले करा देता है तो कभी रूस के जेट मिसाइल डालकर चले जाते हैं.
इराक को लेकर ईरान और अमेरिका आमने-सामने थे, लेकिन अब ईरान ने भी ईराक पर हमला कर दिया है. इराक में इजरायल की टीम और अमेरिका का बेस है. इसलिए ईरान ने हमला ईराक पर बोला लेकिन चोट इजरायल को लगी. इसलिए इजरायल ने बदला लेते हुए सीरिया में ईरानी गार्ड्स के बेस को खत्म करने के लिए एक बड़ी चोट की है.
(एजेंसी इनपुट के साथ)