नयी दिल्ली। सार्वजनिक क्षेत्र की तीनों पेट्रोलियम विपणन कंपनियों का लाभ चालू वित्त वर्ष के पहले नौ महीनों में 69,000 करोड़ रुपये से अधिक रहा है जो तेल संकट से पहले के वर्षों की उनकी वार्षिक कमाई से कहीं अधिक है। इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन (आईओसी), भारत पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लि. (बीपीसीएल) और हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉरपोरेशल लि. (एचपीसीएल) का शुद्ध लाभ वित्त वर्ष 2023-24 की अप्रैल-दिसंबर अवधि में संयुक्त रूप से तेल संकट से पहले के वर्षों में रही 39,356 करोड़ रुपये की वार्षिक कमाई से बेहतर है। सार्वजनिक क्षेत्र की इन पेट्रोलियम कंपनियों की तरफ से शेयर बाजारों को दी गई सूचना से यह आंकड़ा सामने आया है।
खुदरा पेट्रोलियम कंपनियों ने दैनिक मूल्य संशोधन व्यवस्था पर लौटने और उपभोक्ताओं को दरों में आई नकमी का लाभ देने की मांग का विरोध किया है। उनका तर्क है कि कीमतें बेहद अस्थिर बनी हुई हैं और उनके पिछले नुकसान की पूरी तरह से भरपाई नहीं हुई है। भारत के लगभग 90 प्रतिशत ईंधन बाजार को नियंत्रित करने वाली तीनों कंपनियों ने पेट्रोल, डीजल और रसोई गैस (एलपीजी) की कीमतों में ‘स्वेच्छा से’ लगभग दो साल से कोई बदलाव नहीं किया है। इसकी वजह से कच्चे तेल की लागत अधिक होने पर नुकसान होता है और कच्चे माल के दाम कम होने से मुनाफा होता है।
इन तेल कंपनियों को अप्रैल-सितंबर 2022 के दौरान रूस-यूक्रेन युद्ध की वजह से संयुक्त रूप से 21,201.18 करोड़ रुपये का शुद्ध घाटा हुआ था। इसका एक कारण बही-खाते में 22,000 करोड़ रुपये का प्रावधान था लेकिन पिछले दो साल के लिए एलपीजी सब्सिडी प्राप्त नहीं हुई। इसके बाद अंतरराष्ट्रीय कीमतों में नरमी और सरकार के एलपीजी सब्सिडी देने से आईओसी और बीपीसीएल को 2022-23 (अप्रैल 2022 से मार्च 2023) के दौरान सालाना लाभ प्राप्त करने में मदद मिली, लेकिन एचपीसीएल घाटे में रही। हालांकि चालू वित्त वर्ष में हालात बदले हैं।
तीनों कंपनियों ने पहली दो तिमाहियों (अप्रैल-जून और जुलाई-सितंबर) में रिकॉर्ड कमाई की। इसका कारण अंतरराष्ट्रीय तेल की कीमतें एक साल पहले की तुलना में लगभग आधी होकर 72 अमेरिकी डॉलर प्रति बैरल होना रहा। बाद की तिमाही में अंतरराष्ट्रीय कीमतें फिर से बढ़कर 90 अमेरिकी डॉलर हो गईं। इससे उनकी कमाई में कमी आई। लेकिन, कुल मिलाकर साल के दौरान उन्हें अच्छा लाभ हुआ। आईओसी ने चालू वित्त वर्ष के पहले नौ महीनों (अप्रैल-दिसंबर 2023) में एकल आधार पर 34,781.15 करोड़ रुपये का शुद्ध लाभ कमाया। कंपनी ने इसकी तुलना में 2022-23 में 8,241.82 करोड़ रुपये का शुद्ध लाभ कमाया था। आईओसी यह तर्क दे सकती है कि वित्त वर्ष 2022-23 तेल संकट से प्रभावित था। नौ महीने की कमाई संकट-पूर्व वर्षों की तुलना में भी अधिक है।
कंपनी को 2021-22 में 24,184 करोड़ रुपये और 2020-21 में 21,836 करोड़ रुपये का शुद्ध लाभ हुआ था। बीपीसीएल ने चालू वित्त वर्ष में नौ महीने महीने की अवधि में 22,449.32 करोड़ रुपये का शुद्ध लाभ कमाया, जबकि पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में उसे 4,607.64 करोड़ रुपये का घाटा हुआ था। यह लाभ 2022-23 में 1,870.10 करोड़ रुपये और वित्त वर्ष 2021-22 में 8,788.73 करोड़ रुपये की कमाई से अधिक है। एचपीसीएल का नौ महीने का मुनाफा 11,851.08 करोड़ रुपये रहा। जबकि उसे वित्त वर्ष 2022-23 में 8,974.03 करोड़ रुपये का घाटा और 2021-22 में 6,382.63 करोड़ रुपये का लाभ हुआ था।
ईंधन की कीमतों पर रोक छह अप्रैल, 2022 से लगी हुई है। उस वजह से 24 जून, 2022 को समाप्त सप्ताह में पेट्रोल पर 17.4 रुपये प्रति लीटर और डीजल पर 27.7 रुपये प्रति लीटर का नुकसान हुआ था। हालांकि, बाद में कच्चे तेल की कीमतें घटने से यह घाटा समाप्त हो गया। पिछले महीने तीनों कंपनियों का पेट्रोल पर 11 रुपये प्रति लीटर और डीजल परपर छह रुपये प्रति लीटर का मार्जिन मिला था। इक्रा लि. के वरिष्ठ उपाध्यक्ष और समूह प्रमुख (कॉरपोरेट रेटिंग्स) गिरीशकुमार कदम ने कहा कि तीनों तेल कंपनियों का वित्त वर्ष 2023-24 की पहली छमाही में परिचालन मार्जिन अच्छा रहा और उन्होंने वित्त वर्ष 2022-23 के दौरान हुए घाटे की भरपाई कर ली। उन्होंने कहा, ‘‘तेल विपणन कंपनियों का सकल परिचालन लाभ 2023-24 की पहली छमाही में 90,000 करोड़ रुपये रहा जबकि 2022-23 की पहली छमाही में 14,600 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ था।
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