अनुच्छेद-370 के निस्तारण पर जम्मू-कश्मीर के अंतिम डोगरा शासक के वंशज क्या सोचते हैं। इसको लेकर वहां के अंतिम महाराजा हरि सिंह के पुत्र कर्ण सिंह से बातचीत करके जानना चाहा कि आखिर वह क्या चाहते हैं? उन्होंने स्पष्ट कहा कि जम्मू को केंद्र शासित नहीं, बल्कि पूर्ण राज्य स्थापित करना चाहिए। क्योंकि यूटी प्रदेशों में तमाम समस्याएं होती हैं, उन्होंने दिल्ली का उदाहरण दिया, बताया कि वहां आए दिन अधिकारों को लेकर मुख्यमंत्री और उप-राज्यपाल में जंग छिड़ती है। वैसी, स्थिति जम्मू में भी बन सकती है। कर्ण सिंह राजनेता के अलावा कूटनीतिज्ञ विशेषज्ञ भी हैं। पूर्व केंद्रीय मंत्री रहे, सियासत का लंबा अनुभव है। जम्मू को लेकर उपजी नई परिस्थितियों पर पत्रकार डॉ. रमेश ठाकुर ने उनसे लंबी गुफ्तगू की।
प्रश्नः केंद्र शासित राज्य की जगह आपका पूर्ण राज्य की डिमांड का क्या मकसद है?
उत्तर- तरक्की पूर्ण राज्य में ही मुमकिन होती है। यूटी प्रदेशों का क्या हाल है, उसका रिजल्ट हमारे समक्ष है। दिल्ली में केजरीवाल-एलजी के बीच लड़ाई इस बात का उदाहरण है। जम्मू-कश्मीर पूर्ण राज्य बने। चुनाव पूर्ण राज्य के तौर पर ही होना चाहिए, केंद्र शासित प्रदेश के लिए चुनाव न हों। केंद्र शासित प्रदेश के लिए मतदान करने और फिर राज्य बनने का कोई मतलब नहीं रह जाता। इस विषय पर केंद्र सरकार को मंथन करना चाहिए। वरना, ये समस्या हमेशा के लिए नासूर बन जाएगी जिसका खामियाजा प्रदेश के लोग भुगतेंगे।
प्रश्नः केंद्र सरकार को अब क्या करना होना चाहिए?
उत्तर- भारत सरकार को क्या करना है और क्या नहीं, शायद सब कुछ पहले से ही तय है। जहां, तक आप मेरा मत जानना चाहते हो, तो अनुच्छेद-370 हटने के बाद केंद्र सरकार को बिना देर किए पूर्ण राज्य का दर्जा बहाल करना चाहिए, इसके लिए जो भी संवैधानिक और कानूनी प्रक्रियाएं हों, उन्हें तत्काल प्रभाव से पूरा करें और उसके एकाध महीनों के भीतर निष्पक्ष चुनाव कराने चाहिए। चुनाव की तारीख भी वैसे सुप्रीम कोर्ट ने बता दी है कि कब तक करवाने हैं। क्योंकि बिना सरकार और चुनाव को काफी समय बीत चुका है। मुझे लगता पूर्ण राज्य के बिना चुनाव कराना उचित नहीं होगा। इन कामों में अब कोई दुश्वारियां आनी नहीं चाहिए।
प्रश्नः क्या बीते दिनों में आपको जम्मू-कश्मीर में कुछ सुधार होता दिखा?
उत्तर- देखिए, लंबे वक्त से राज्यपाल शासन लगा हुआ है प्रदेश सेना के हवाले है। जनमानस की सुरक्षा के लिए राज्य की कानून-व्यवस्था दुरुस्त हो, सभी चैन-अमन से अपना जीवन जिएं, इसकी कामना मैं करता हूं। रही बात सुधार की तो उसकी समीक्षा हम तभी कर पाएंगे जब प्रदेश में चुनी हुई सरकार आएगी। हालांकि, केंद्र की ओर से बहुतेरी नई योजनाओं का राज्य में श्रीणेश किया गया है। जैसे, तमाम उच्च शिक्षा केंद्र स्थापित हुए हैं, खेलों का आयोजन हुआ, जी-20 की बैठकें हुई, और भी तमाम एक्टिविटी आरंभ हो चुकी हैं। जम्मू-कश्मीर में विकास अन्य राज्यों की भांति तेजी से हो, इसकी कामना प्रत्येक प्रदेशवासी करते हैं।
प्रश्नः अगर देखा जाए तो अनुच्छेद-370 और 35ए के हटने के बाद आपकी ज्यादा प्रतिक्रियाएं नहीं आईं?
उत्तर- ऐसा नहीं है, मैंने शुरू से निर्णय का स्वागत किया और अब तो सुप्रीम कोर्ट ने भी जायज ठहरा दिया है तो प्रतिक्रियाएं देने का तुक नहीं बनता। सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हम सभी को स्वागत करना चाहिए। प्रदेश की खुशहाली जिसमें है मैं उसके साथ हूं। यही सोचकर मेरे पिता महाराजा हरि सिंह ने कभी भारत में विलय पत्र पर हस्ताक्षर किए थे। वह हमेशा कश्मीरियों के लिए फ्रिकमंद रहते थे।
प्रश्नः कोर्ट का निर्णय संवैधानिक रूप से वैध होते हुए भी कुछ कश्मीरी नेता विरोध पर अड़े हुए हैं?
उत्तर- देखिए, बदलाव प्रकृति का नियम है जिसे सभी को स्वीकार करना चाहिए। जो वक्त गुजर गया, उसे वापस बुलाने का कोई मतलब नहीं। प्रदेश में हमारी भी कभी रियासत होती थी। पर, वक्त पलट गया। पुराने समय को वापस नहीं मोड़ सकते। मुझे लगता है अनुच्छेद 370 को लेकर जिसके भी मन में थोड़ा बहुत संशय था, शीर्ष अदालत के फैसले के बाद समाप्त हो जाना चाहिए। सब कुछ संवैधानिक तौर तरीकों से वैध व्यवस्था की निगरानी में हुआ है।
प्रश्नः कांग्रेस में अब आपकी ज्यादा सक्रियता नहीं दिखती, कोई खास वजह?
उत्तर- मैं उम्र के जिस पड़ाव में हूं, वहां सक्रिय होना मुमकिन नहीं। मैं कट्टर कांग्रेसी था, हूं और ताउम्र रहूंगा, इसमें कोई शक नहीं? देखिए, जब से मेरा संसदीय कार्यकाल बीता है, उसके बाद से मेरा मन राजनीति से हट गया है। इसलिए 370 पर ये मेरे निजी विचार हैं इससे पार्टी का कोई लेना देना नहीं।
-डॉ. रमेश ठाकुर
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं)