नई दिल्ली. टाटा, अंबानी, बिड़ला के किस्से तो हम जानते हैं लेकिन मल्टीनेशनल कंपनियों की नौकरियों का मोह छोड़ सिर्फ ऑनलाइन पढ़ाने के आइडिया ने दो लाख रुपए की कंपनी का वैल्यूएशन करीब 90 हजार करोड़ रुपए पहुंचा दिया. यह कहानी है भारत के दूसरे सबसे बड़े स्टार्टअप ऑनलाइन लर्निंग एप बायजूस और इसके फाउंडर बायजू रवीन्द्रन की. न्यूज18 से बातचीत में उन्होंने बताया कि किस तरह एजुकेशन को ऑनलाइन प्लेटफार्म पर लाने के आइडिया से इतनी बड़ी कामयाबी हासिल की. यही नहीं, कोरोनाकाल में जब सब स्कूल, कोचिंग और कॉलेज बंद हैं, तब बायजूस एप कैसे छात्रों को पढ़ा रहा है…
रवीन्द्रन से उन्हीं की जुबानी जानिए बायजूस की कहानी…
“मेरे दोस्त प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे थे. उन्होंने मुझसे पढ़ना चाहा तो मैंने उन्हें गाइड कर दिया. मेरा तरीका उन्हें पसंद आया और उन्होंने एक्जाम क्रेक कर लिया. उनके कहने पर इसी आइडिया को हमने 100 छात्रों की एक वर्कशॉप में आजमाया. आगे चलकर स्टेडियम में एक साथ 20,000 छात्रों के लिए सेशन भी किया. इस दौरान मैंने पाया कि छात्रों के सीखने के तरीके में बहुत बड़ा अंतर था. वे सिर्फ परीक्षा के डर की वजह से रट्टामार रहे थे. लिहाजा हम लोगों को विचार आया कि टेक्नोलॉजी के उपयोग के जरिए सीखने के प्रति उनमें प्यार को विकसित किया जाए. इसी बात को ध्यान में रखते हुए हमने 2011 में थिंक एंड लर्न प्राइवेट लिमिटेड बनाई। फिर अगस्त 2015 में बायजू एप लॉन्च किया. आज हमारे पास चार करोड़ सब्स्क्राइबर हैं जिनमें से 28 लाख पेड सब्स्क्राइबर हैं.
अब मैं आपको अपनी टीम के बारे में बताता हूं. जब हम शुरुआती दौर में थे तब मेरे छात्रों ने मुझे अपनी कक्षाओं का विस्तार करने में मदद की. इन्हीं छात्रों ने बाद में कंपनी की कोर टीम का गठन किया और यही टीम अब कंटेंट डेवलपमेंट, सेल्स और मार्केटिंग से लेकर कंपनी के सभी महत्वपूर्ण कार्यों को चला रही है. बायजू की टीम को सिर्फ एक लत है, वह है हमारे छात्रों में सीखने की लत की आदत डालना. यह जुनून कंपनी में ऊपर से नीचे तक देखा जा सकता है.
मैं पेशे से इंजीनियर, संयोग से उद्यमी और पसंद से शिक्षक बना हूं. मैंने कभी भी अपने काम को व्यवसाय के रूप में शुरू करने की योजना नहीं बनाई थी. मैंने बस अपने जुनून का पीछा किया और उसे पूरा करने के लिए अपनी ताकत पर निवेश किया. बाद में यह एक व्यवसाय बन गया. पैसा कमाने के जुनून से कोई व्यवसाय संचालित नहीं हो सकता बल्कि समाज को बदलने का जुनून कहीं अधिक महत्वपूर्ण है. मुझे लगता है कि यहां असली मजा एक बिलियन डॉलर कंपनी बनाने में नहीं, बल्कि एक बिलियन विचारक और सीखने वाले बनाने में है.
वैसे, आपको बताना चाहता हूं कि मैंने कोई बिजनेस नहीं किया था। इसलिए मैं और मेरी टीम काम करके सीखती है. हमने बिजनेस मॉडल से लेकर उसके विस्तार और धन जुटाने तक की कला सीखी. वैसे भी हम सिखाने का काम करते हैं तो फिर खुद भी सीख कर आंत्रप्रेन्योरशिप करते हैं.
आजकल मुझे सिखाने के लिए पहले जितना समय नहीं मिलता, लेकिन मुझे खुशी है कि मेरे कई छात्र आज मुझसे बेहतर काम कर रहे हैं. हमारे पास ऐसे शिक्षक हैं, जो आज मुझसे बेहतर हैं. टीचिंग सबसे रचनात्मक और शक्तिशाली कामों में से एक है. बच्चों पर शिक्षक का आजीवन प्रभाव पड़ता है, जो उनके दिमाग को आकार देने से लेकर उनके विचारों और कल्पनाओं के लिए उन्हें लॉन्च पैड देने तक में मदद करता है.
मैं अपने युवा साथियों से कहना चाहता हूं कि जब आप वह करते हैं जो आपका पसंदीदा व जुनूनी काम है तब आप स्व प्रेरित होते हैं. बड़ा सोचना, उच्च आकांक्षा, प्लान करना और तेजी से क्रियान्वयन करने का गुण होना चाहिए। यदि आप अपने विचार के लिए जुनूनी है तब शुरुआत से ही कड़ी मेहनत करें.”
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FIRST PUBLISHED : January 20, 2021, 16:24 IST