India-Canada Tension: कनाडा को क्यों पसंद करते हैं भारत के दुश्मन? खालिस्तानी नेटवर्क कैसे करता है काम?

How Khalistani network work: कनाडा में खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के बाद से भारत-कनाडा के रिश्तों में एक तल्खी आ गयी गयी है. कनाडा सरकार ने निज्जर की हत्या के लिये भारत सरकार की जांच एजेंसियों पर आरोप लगाया है और एक डिप्लोमेट को निष्काषित कर दिया. वहीं, भारत ने भी कनाडा में भारतीय वीजा पर फिलहाल के लिये रोक लगाते हुये भारत से कनाडा दूतावास के एक अधिकारी को देश छोड़ने के लिये कह दिया. 

ऐसे में सवाल यह उठता है कि आखिर कनाडा क्यों भारत के खिलाफ आवाज उठाने वालों की पसदींदा जगह बनता जा रहा है? क्यों पंजाब के गैंगस्टर और खालिस्तानी आराम से कनाडा पहुंच जाते हैं? जबकि किसी भी आम आदमी को अगर कनाडा का वीजा लेना हो तो उसे काफी मुश्किल झेलनी पड़ती है. 

दरअसल कनाडा में बैठे खालिस्तानी ही इस पूरे नेटवर्क को चला रहे हैं और वहां बैठकर मानव तस्करी कर रहे हैं. जांच एजेंसियों के मुताबिक कनाडा में हरदीप सिंह निज्जर(मारा जा चुका) बाकी खालिस्तानियों  मोनिंदर सिंह बुआल, परमिंदर पगली, भगत सिंह बरार के साथ मिल कर अपने खालिस्तानी एजेंडे को चलाते हैं. वहां पर इस एजेंडे को चलाने के लिये उन्हें सिख लड़कों की जरूरत होती है, जिसे वो सिस्टमेटिक तरीके से इस कमी को पूरा कर रहे हैं. इस कमी को  “मानव तस्करी” के जरिये पूरा किया जा रहा है जिसे ये लोग Foot Soldiers कहते हैं.

अपने खालिस्तानी एजेंडे को पूरा करने के लिये ये लोग पंजाब से लोगों को कनाडा में काम दिलाने का बहाना देकर बुलाते हैं और उनके लिये वीजा स्पोंसर भी करते हैं. इसे Demand and Supply का नाम दिया गया, यानी कनाडा में प्लंबर, ट्रक ड्राइवर, गुरूद्वारे में काम करने के लिये सेवादार, पाठी की लगातार जरूरत रहती है और इसी बहाने ये इन सबको बुलाते हैं. 

कनाडा में लगभर सभी बड़े गुरूद्वारों पर इन खालिस्तानियों ने कब्जा किया हुआ है. लड़कों को कनाडा बुलाने के बाद ये भारत विरोधी गतिविधियों में इनका इस्तेमाल करते हैं. जिसमें भारतीय दूतावास के बाहर विरोध प्रदर्शन करना और खालिस्तानी एजेंडा फैलाना शामिल है. इस काम में भारत में बैठे कुछ राजनितिक दल भी इनकी मदद करते हैं और पैसे लेकर इनके लिये कनाडा को चिट्ठी लिखकर कहते हैं कि ये उनकी पार्टी के सदस्य हैं और राजनितिक कारणों से इन लोगों को निशाना बनाया जा रहा है. ताकी इन लोगों को कनाडा में शरण मिल सके. इस काम के लिये वो 2 लाख से लेकर 5 लाख तक की रकम वसूलते हैं. 

इसके अलावा ये लोग कनाडा में पढ़ने गये बच्चों को भी अपना निशाना बनाते हैं. जो बच्चे वहां जाते हैं, पढ़ने-लिखने के बाद वहां नौकरी की तलाश करते हैं. लेकिन सबको अच्छी नौकरी नहीं मिल पाती. जिसका ये खालिस्तानी फायदा उठाते हैं. खालिस्तानी अपने नेटवर्क का फायदा उठाकर इन्हें गुरूद्वारे में रहने की जगह देते हैं. छोटा-मोटा काम दिलाकर अपने मकसद को पूरा करने में इनका इस्तेमाल करते हैं. 

इसका एक उदाहरण है कि जब सिख फॉर जस्टिस का आतंकी गुरपतवंत सिंह पन्नून पंजाब में खालिस्तानी जनमत संग्रह के लिये लगातार प्रदर्शन कर रहा था और ऑनलाइन एक्टिविटी चला रहा था तो उसे कनाडा में लोग नहीं मिल रहे थे, साथ दें. तब हरदीप सिंह निज्जर ने इन Foot Soldiers के जरिये ये मैसेज देने की कोशिश की कि इनकी खालिस्तान की मांग के सर्मथन में लोग हैं. ये सब इसलिये हो पाया क्योंकि निज्जर और इसके लोगों का कनाडा में 30 से ज्यादा गुरूद्वारों पर कंट्रोल है. जिसमें Surrey, Brampton, Edmonton जैसे शहर शामिल हैं. 

इतना ही नहीं, कनाडा में बैठे इन खालिस्तानियों ने पंजाब के गैंगस्टर को भी कनाडा में बुलाया और अपने खालिस्तानी एजेंडे में शामिल किया. देवेंद्र भाभिंया गैंग के बदमाश और आतंरी अर्श डाला के साथ मिल कर उन्हें कनाडा में बुलाया और इनके जरिये पंजाब में आतंकी हमले करवाये. यही वजह है कि साल 2016 के बाद से पंजाब में अचानक से आतंकी हमले बढ़ गये जिसमें हिंदूओं को खासतौर पर निशाना बनाया जाने लगा. 

इस सब के पीछे निज्जर, अर्श डाला और लखबीर सिंह लांडा के लोग शामिल हैं. कनाडा में बैठकर ये लोग लगातार भारत विरोधी गतिविधियों में शामिल रहे हैं और इस बारे में लगातार कनाडा सरकार को जानकारियां दी गयीं. जिसके बाद भी कनाडा सरकार इन आतंकियों के खिलाफ कोई कारवाई नहीं की, बल्कि उनके लिये ये सिर्फ Political Activist ही बने रहे. ये लोग कनाडा में बैठकर लगातार उगाही कर रहे थे और पाकिस्तान के रास्ते भारत के पंजाब में ड्रग्स का रैकेट चला रहे थे. जिससे होने वाली कमाई को कनाडा में हवाला के जरिये मंगाकर अपना खालिस्तानी एजेंडा पूरा करने में लगे थे. 

इसके अलावा कनाडा में लगातार गैंगवार हो रही थी और भारत सर्मथक जो भी सिख वहां पर हैं, उन्हें लगातार निशाना बनाया जा रहा है. जिसमें 2022 में रिपूदमन सिंह की हत्या भी शामिल है. लेकिन कनाडा सरकार को इस हत्या की जांच करना जरूरी नहीं लगा. सिर्फ दिखावे के लिये दो लोकल बदमाश गिरफ्तार किये गये. इतना ही नहीं, इन खालिस्तानी आतंकियों ने कनाडा के बड़े गुरूद्वारो में जितने भी भारतीय सर्मथक सिख थे उन्हें वहां से निकाल कर खालिस्तानी सर्मथकों को शामिल किया ताकी अपना कंट्रोल बना सके. इसके अलावा हिंदू समुदाय के लोग और भारत सर्मथकों को वहां डरा धमका के रखा जा रहा है ताकी कोई भी इनके खिलाफ ना बोल सके. यहां तक कि कनाडा में मंदिरों को भी निशाना बनाने से ये लोग पीछे नहीं हटते. यही वजह है कि इन खालिस्तानियों ने कनाडा में भारतीय उच्चायोग और वहां काम करने वाले राजनयिकों को धमकियां देनी शुरू कर दी है. जिसकी वजह से वहां उच्चायोग के बाहर सुरक्षा को बढ़ाया गया है.

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