Income Tax Benefits: करें इस स्कीम में निवेश, टैक्स में 50 हजार की बचत और भारी लाभ

नई दिल्ली:

Income Tax Benefits: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के द्वारा अंतरिम बजट पेश कर दिया गया है. इस बजट भाषण में वित्त मंत्री ने कई बड़े अनाउंसमेंट किए हैं. वहीं इनकम टैक्स स्लैब में कोई बदलाव नहीं किया गया है. अभी करदाता अपने टैक्स की फाइलिंग करने में लगने वाले हैं. वहीं लोग अपना टैक्स बचाने के लिए नए नए तरह के ढूंढ रहे हैं. वो चाहते हैं कि ऐसे जगह पर निवेश किया जाए जिससे टैक्स में राहत मिल पाएं. ऐसे में हम आपको ऐसी जानकारी देंगे जहां आप निवेश कर टैक्स बचा सकते हैं.

राजीव गांधी इक्विटी स्कीम

अगर आप निवेश करने के साथ टैक्स में बचत और भविष्य के लिए लाभ देखते हैं तो ये स्कीम आपके लिए है. ये स्कीम है राजीव गांधी इक्विटी स्कीम. इससे निवेश करने से आपको कई तरह के लाभ हो सकते हैं. इस स्कीम को इसलिए शुरू किया गया था  कि आम आदमी या स्मॉल इंवेस्टर भी शेयर मार्केट में निवेश कर सके और शेयर बाजार से जुड़ सकें. 

50 हजार का टैक्स लाभ

राजीव गांधी इक्विटी सेविंग स्कीम(RGESS) की घोषणा साल 2012-13 के आम बजट के दौरान की गई थी. वहीं इस स्कीम को साल 2013-14 में बढ़ाया गया था. ये एक टैक्स बचाने वाला स्कीम है. इसे नए इंवेस्टर को ध्यान में रखकर बनाया गया था जिन्हें शेयर  मार्केट के बारे में जानकारी नहीं है या एक्सपीरियंस नहीं है. शुरुआत में इस स्कीम में निवेश करने की सीमा 10 लाख थी. लेकिन साल 2013-14 में इसका लिमिट बढ़ाकर 12 लाख रुपए कर दिया गया था. इनकम टैक्स एक्ट 1961 के 80CCG के मुताबिक निवेश करने पर कुल इनवेस्टेड अमाउंट का 50 फिसदी टैक्स बेनेफिट निवेशक को होता है. वहीं इसकी अधिकतम सीमा 50 हजार रुपए है. कोई निवेशक इस स्कीम का लाभ उठा सकता है. 

निवेशक की पात्रता

इस स्कीम में निवेश करने के लिए भारत सरकार द्वारा कुछ गाइडलाइन जारी की गई है. वहीं इस स्कीम का मकसद है कि अधिक से अधिक लोग शेयर मार्केट में निवेश करें. इससे मार्केट में स्थिरता आएगी. वहीं लोगों की भागेदारी भी बढ़ेगी. भारत सरकार डोमेस्टिक कैपिटल मार्केट को बढ़ावा देना चाहती है. इसके लिए निवेशक के पास भारत की नागरिकता हो. निवेशक ने इस स्कीम से पहले कभी भी शेयर मार्केट में निवेश नहीं किया हो. निवेशक की सालाना आय 10 लाख से अधिक नहीं होनी चाहिए. आप उन्हीं कंपनियों में निवेश कर सकते हैं जो बीएसई-100 या सीएनएक्स-100 में नाम दर्ज हो. इसके अलावा कंपनी में 51 प्रतिशत या उससे अधिक का शेयर सरकार के पास हो. 

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