IIT Alumni: तमाम स्टूडेंट 10वीं, 12वीं के बाद भी इंजीनियरिंग में एडमिशन का ख्वाब देखने लगते हैं, इनमें से अधिकतर आईआईटी में एडमिशन लेना चाहते हैं. आईआईटी यानी इंजीनियरिंग के लिए देश का सर्वश्रेष्ठ संस्थान. हर साल लाखों युवा आईआईटी में एडमिशन लेना चाहते हैं. आईआईटी से पढ़ाई करने के बाद लाखों-करोड़ों का पैकेज आसानी से मिल जाता है. कई IITian डिग्री लेते ही विदेश की राह पकड़ लेते हैं. लेकिन हम आपको बताने जा रहे हैं IIT से पासआउट 6 ऐसे लोगों की कहानियां हैं (Monks From IIT), जो सब मोह-माया त्यागकर संन्यासी बन गए. आप भी पढ़िए इंजीनियर से संन्यासी बने युवाओं की स्पेशल स्टोरी.
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Monks from IIT: हर साल लाखों युवा जेईई परीक्षा की तैयारी करते हैं. इसके लिए बहुत मेहनत और बहुत त्याग करना पड़ता है. जेईई परीक्षा में पास होकर वह आईआईटी में एडमिशन लेते हैं. 4 सालों तक सेमेस्टर एग्जाम और ग्रेड्स के साथ जूझते हुए इंजीनियर बन जाते हैं. आईआईटी का टैग लगते ही नौकरियों की दुनिया में उनकी वैल्यू बढ़ जाती है. लाखों-करोड़ों का पैकेज और कइयों को विदेश में नौकरी का ऑफर मिल जाता है. आईआईटी से पासआउट इन 6 लोगों की भी यही जिंदगी थी. लेकिन यह सबकुछ छोड़कर संन्यासी बन गए.
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Sandeep Kumar Bhatt IIT: संदीप कुमार भट्ट ने आईआईटी दिल्ली से इंजीनियरिंग की पढ़ाई की है. 2002 में वह अपने बैच के गोल्ड मेडलिस्ट थे. 2004 में एमटेक करने के बाद Larsen & Toubro में 3 साल तक नौकरी की. फिर अचानक ऐशोआराम वाली जिंदगी से उनका मोह भंग हो गया. 2007 में ही उन्होंने नौकरी छोड़ दी. सिर्फ 28 साल की उम्र में उन्होंने संन्यास की राह पकड़ ली. संन्यासी बबने के बाद उन्होंने अपना नाम स्वामी सुंदर गोपालदास रख लिया (Swami Sundar Gopaldas).
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Aviral Jain Monk From IIT: अविरल जैन दिल्ली के रहने वाले हैं. उन्होंने दयानंद विहार में स्थित डीएवी पब्लिक स्कूल से पढ़ाई की है. फिर जेईई परीक्षा देकर आईआईटी बीएचयू में दाखिला ले लिया था. वहां से सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग की डिग्री लेने के बाद उन्हें Walmart कंपनी में नौकरी मिल गई थी. उनका सालाना पैकेज 30 लाख रुपये था. फरवरी 2019 में नौकरी छोड़कर वह विशुद्ध सागरजी महाराज की शरण में चले गए थे. लंबे समय तक ध्यान और तपस्या करने के बाद वह संन्यासी बन गए.
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Sanket Parekh: संकेत पारेख सपनों की नगरी मुंबई के रहने वाले हैं. उन्होंने आईआईटी बॉम्बे से इंजीनियरिंग की पढ़ाई की है. उनके पास केमिकल इंजीनियरिंग की डिग्री है. वह अमेरिका की किसी यूनिवर्सिटी से पोस्ट ग्रेजुएशन करने की तैयारी में थे. लेकिन उससे पहले उनकी अपने एक सीनियर से बातचीत हुई. उस शख्स ने संकेत को जैन धर्म के बारे में बताया. संकेत उससे इतने प्रभावित हुए कि इंजीनियरिंग की राह छोड़कर संन्यास धारण कर लिया.
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Rasanath Das: मुंबई के रसनाथ दास आईआईटी बॉम्बे से पढ़ाई करने के बाद अमेरिका चले गए थे. साल 2000 में वहां स्थित Deloitte के ऑफिस में नौकरी की. उसके बाद कॉर्नेल यूनिवर्सिटी से एमबीए किया. 2006 में बतौर इन्वेस्टमेंट बैंकर बैंक ऑफ अमेरिका में नौकरी शुरू कर दी. फिर अचानक सबकुछ छोड़कर वह कृष्ण भक्ति में लीन हो गए. आज दुनिया उन्हें भगवान कृष्ण के लिए उनकी भक्ति के लिए ही जानती है.
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Swami Mukundananda: स्वामी मुकुंदानंद बचपन से ही मेडिटेशन में काफी रुचि रखते थे. उन्होंने आईआईटी दिल्ली से बीटेक की पढ़ाई की है. फिर आईआईएम कोलकाता से एमबीए की डिग्री भी हासिल की. उसके बाद जगदगुरु श्री कृपालुजी महाराज के गाइडेंस में उन्होंने वैदिक ग्रंथों का अध्ययन किया. वह आध्यात्मिक गुरु, लेखक, वेदों के जानकार के तौर पर मशहूर है. वह ‘द साइंस ऑफ माइंड मैनेजमेंट’ के बारे में लोगों को समझाते हैं.
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Gaurang Das: गौरांग दास प्रभु इस्कॉन से जुड़े हुए हैं. उन्होंने दुनियाभर के विभिन्न मंचों पर इस्कॉन की शिक्षाओं और उद्देश्यों को बढ़ावा दिया है. वह भारत के जाने-माने आध्यात्मिक गुरु के तौर पर अपनी पहचान बना चुके हैं. गौरांग दास ने 1989 से 1993 के बीच आईआईटी बॉम्बे से Metallurgical Engineering की पढ़ाई की थी. डिग्री मिलने के तुरंत बाद यानी 1993 में ही इस्कॉन मुंबई के साथ जुड़कर साधु बन गए थे.