ICAR का अलर्ट! गेहूं की फसल में लग सकता है पीला रतुआ रोग, जानें बचाव के उपाय

सिमरनजीत सिंह/शाहजहांपुर : शाहजहांपुर में ठंड का प्रकोप लगातार जारी है. ठंड के चलते जहां एक ओर आम जनजीवन अस्त व्यस्त है. वहीं लगातार गिरते तापमान का बुरा असर फसलों पर भी पड़ रहा है. शाहजहांपुर में पिछले कई दिनों से तापमान 5 से 10 डिग्री बना हुआ है. कृषि वैज्ञानिकों ने गेहूं की खेती करने वाले किसानों को विशेष ध्यान देने की सलाह दी है. क्योंकि इन दिनों गेहूं में पीला रतुआ रोग (yellow rust in wheat) लगने का खतरा प्रबल हो जाता हैं. कृषि वैज्ञानिकों का कहना है कि अगर किसान समय रहते जरूरी उपचार कर लें तो गेहूं की फसल को इस रोग से बचाया जा सकता है.

कृषि विज्ञान केंद्र नियामतपुर के प्रभारी डॉक्टर एनसी त्रिपाठी ने जानकारी देते हुए बताया कि गिरते तापमान को ध्यान में रखते हुए भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद करनाल ने 15 जनवरी तक एक एडवाइजरी जारी की है. वैज्ञानिकों का कहना है कि इन दिनों गेहूं की फसल में पीला रतुआ लगने की आशंका बढ़ जाती हैं. ऐसे में किसानों को विशेष ध्यान रखने की जरूरत है. डॉक्टर एनसी त्रिपाठी ने बताया कि यह रोग तापमान में आई गिरावट और कोहरे की वजह से फसल को अपनी चपेट में लेता है.

क्या हैं इस रोग के लक्षण?
वैज्ञानिकों का कहना है कि जब मौसम में ठंड की वजह से कोहरा होता है. तो ऐसे में वातावरण में नमी बढ़ जाती है. नमी बढ़ने के कारण पीला रतुआ रोग गेहूं की फसल को अपनी चपेट में लेने लगता है. यह रोग लगने से गेहूं की पत्तियों के ऊपर हल्दी की तरह पीला पाउडर आ जाता है. उसके बाद पत्तियां भूरी होने के बाद सड़ने लगती हैं. गेहूं के पौधे के बढ़वार रुक जाती है. धीरे-धीरे पूरा पौधा नष्ट हो जाता है. जिसके बाद गेहूं की फसल के उत्पादन में भारी गिरावट आती है.

क्या है पीला रतुआ रोग का उपचार?
डॉ एनसी त्रिपाठी ने बताया कि खेत में पीला रतुआ के लक्षण दिखाई देते ही प्रोपकोनाजोल 200 मिलीलीटर को 200 लीटर पानी में मिलाकर तुरंत स्प्रे करें. यदि बीमारी ज्यादा फैल रही है तो आवश्यकता होने पर इसका दोबारा स्प्रे कर दें. यह बीमारी अधिकतर एचडी 2967, एचडी 2851, डब्ल्यू एच 711 किस्मों में अधिक आने की आशंका रहती है.

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