अलगाववादी हुर्रियत कांफ्रेंस के अध्यक्ष मीरवाइज ने कुछ दिन पहले ही जम्मू-कश्मीर उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था। अदालत ने 15 सितंबर को जम्मू-कश्मीर प्रशासन को मीरवाइज की याचिका पर अपना जवाब दाखिल करने के लिए चार सप्ताह का समय दिया था।
हुर्रियत कांफ्रेंस के अध्यक्ष मीरवाइज उमर फारूक चार साल की नजरबंदी हटाये जाने के बाद जब शुक्रवार को रिहा होकर श्रीनगर की जामिया मस्जिद पहुँचे तो फूल बरसा कर उनका भव्य स्वागत किया गया। इस दौरान लोगों का उत्साह देखते ही बन रहा था। इसी के साथ ही राजनीतिक दलों ने भी उनकी रिहाई का स्वागत किया है। हम आपको याद दिला दें कि मीरवाइज उमर फारूक को अगस्त 2019 में संविधान के अनुच्छेद 370 के प्रावधान रद्द किए जाने के मद्देनजर नजरबंद किया गया था। अंजुमन औकाफ़ जामिया मस्जिद (मस्जिद की प्रबंधन समिति) के अधिकारियों ने बताया कि मीरवाइज को नौहट्टा इलाके में स्थित ऐतिहासिक जामिया मस्जिद में जुमे की नमाज अदा करने की अनुमति मिल गयी है।
हम आपको यह भी याद दिला दें कि विभिन्न धार्मिक संगठनों के प्रमुख और अलगाववादी हुर्रियत कांफ्रेंस के अध्यक्ष मीरवाइज ने कुछ दिन पहले ही जम्मू-कश्मीर उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था। अदालत ने 15 सितंबर को जम्मू-कश्मीर प्रशासन को मीरवाइज की याचिका पर अपना जवाब दाखिल करने के लिए चार सप्ताह का समय दिया था। हुर्रियत नेता पांच अगस्त, 2019 से नजरबंद थे।
इस बीच, कश्मीर के राजनीतिक दलों ने मीरवाइज उमर फारूक को चार साल से अधिक समय से नजरबंदी से रिहा किए जाने का स्वागत किया है। नेशनल कांफ्रेंस (नेकां) के उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला ने उम्मीद जताई कि मीरवाइज को स्वतंत्र रूप से घूमने, लोगों के साथ बातचीत करने और अपनी सामाजिक और धार्मिक जिम्मेदारियों को फिर से शुरू करने की अनुमति दी जाएगी।
वहीं महबूबा मुफ्ती ने भी मीरवाइज की रिहाई का स्वागत किया। पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) की प्रमुख ने कहा, ‘‘हिरासत में लिए जाने के बारे में एलजी प्रशासन के वर्षों के इनकार के बाद आखिरकार मीरवाइज उमर फारूक को रिहा किया गया। एक धार्मिक प्रमुख के रूप में उन्हें पूरे जम्मू और कश्मीर के मुसलमानों द्वारा उच्च सम्मान दिया जाता है। वहीं ‘अपनी पार्टी’ के प्रमुख अल्ताफ बुखारी ने उम्मीद जताई कि मीरवाइज बेहतर और शांतिपूर्ण कल के लिए समाज को सकारात्मक तरीके से आकार देने में अपनी भूमिका निभाएंगे। उन्होंने एक्स पर एक पोस्ट में कहा, ‘‘मैं ऐतिहासिक जामिया मस्जिद में मीरवाइज उमर फारूक को जुमे की नमाज का नेतृत्व करने की अनुमति देने के फैसले के लिए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और उपराज्यपाल मनोज सिन्हा को धन्यवाद देना चाहता हूं। उम्मीद है कि मीरवाइज साहब बेहतर और शांतिपूर्ण कल के लिए समाज को सकारात्मक तरीके से आकार देने में अपनी भूमिका निभाएंगे।’’
दूसरी ओर, डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव आजाद पार्टी (डीपीएपी) के मुख्य प्रवक्ता सलमान निजामी ने नजरबंद किए गए सभी मौलवियों की रिहाई की मांग की। उन्होंने कहा, ‘‘आज, सरकार ने मीरवाइज उमर फारूक साहिब को श्रीनगर में ऐतिहासिक जामिया मस्जिद में सामूहिक नमाज का नेतृत्व करने की अनुमति देने का फैसला किया है। यह एक स्वागत योग्य कदम है और हम बार-बार मौलवियों की रिहाई की मांग कर रहे हैं जो हमारे समाज में बेहद प्रभावशाली हैं। अगर उनके ज्ञान और प्रभाव का सकारात्मक उपयोग किया जाता है तो वे हमारे युवाओं पर पर्याप्त प्रभाव डाल सकते हैं। हम एक बार फिर सभी मौलवियों की रिहाई की मांग करते हैं ताकि उनके प्रयासों का सकारात्मक परिणाम के लिए इस्तेमाल किया जा सके।’’