रांची. हिट एंड रन मामले में केंद्र सरकार के संशोधित कानून का देश भर के साथ-साथ राजधानी रांची में भी विरोध जारी है. राजधानी रांची के कांटा टोली बस स्टैंड में बिहार, यूपी, बंगाल, छत्तीसगढ़ समेत दूसरी जगहों के लिए जाने वाली बसें 1 जनवरी से ही खड़ी हैं. इसमें सबसे खास बात यह है कि अभी तक यह विरोध प्रदर्शन देश भर में संगठित रूप से नहीं है बल्कि बस चालक अपने स्तर से इसको लेकर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं.
बस यूनियन से जुड़े लोग और चालक हिट एंड रन मामले में संशोधित कानून के तहत 10 साल की सजा और 10 लाख जुर्माने का विरोध कर रहे हैं. कांटा टोली बस स्टैंड में दो जनवरी की सुबह बस चालकों और यूनियन के लोगों ने केंद्र सरकार के इस कानून के खिलाफ नारेबाजी की और इसे काला कानून बताते हुए जल्द से जल्द इसे वापस लेने और उसमें संशोधन की मांग की. हाल यह है कि अलग-अलग जगह से खुली बसों को हाईवे और अन्य रास्तों पर ही खड़ा कर दिया गया है, जिससे यात्रियों की मुश्किलें भी काफी बढ़ गई है.
आलम यह है कि पब्लिक ट्रांसपोर्ट के साथ-साथ जरूरी सामानों को ढोने वाले चालकों ने भी अपने वाहनों को खड़ा कर दिया है, ऐसे में आशंका जताई जा रही है कि अगर अगले कुछ दिनों तक बस चालकों का यह विरोध प्रदर्शन जारी रहा तब देश भर में जरूरी खाद्य सामानों के लिए हाहाकार मच सकता है. बस चालक कल्याण संघ, रांची के सचिव राणा बजरंगी सिंह ने बताया कि रांची से पांच राज्यों के लिए खुलने वाली बस सेवाओं पर इसका असर पड़ा है.
बंगाल के सिलीगुड़ी, कोलकाता, आसनसोल और पुरूलिया जाने वाली बसें 1 जनवरी से ही कांटा टोली बस स्टैंड में खड़ी हैं. वर्तमान में रांची से पांच दूसरे राज्यों के लिए खुलने वाली बसों की संख्या की बात करें तो बिहार के लिए 200 बसें, बंगाल के लिए 40 बसें, यूपी के लिए 15 बसें, छत्तीसगढ़ के लिए 10 बसें, ओडिशा के लिए 10 बसें खुलती हैं.
बस चालक कल्याण संघ, रांची से जुड़े मो. महफूज ने बताया कि हिट एंड रन मामले में केंद्र सरकार की ओर से जो संशोधित कानून आया है वह कहीं से भी बस चालकों के हित में नहीं है. उन्होंने कहा कि 10 लाख जुर्माना चुकाना किसी बस चालक के लिए संभव नहीं है. बिहार के औरंगाबाद रूट पर चलने वाले बस के चालक हरिनंदन साह ने बताया कि एक्सीडेंट होने की स्थिति में बस ड्राइवर को ही भीड़ के गुस्से का सामना करना पड़ता है, जिसमें उनकी जान तक चली जाती है, ऐसे में हालात का सामना करना उनके लिए मौके पर बड़ी चुनौती होती है. ऊपर से केंद्र सरकार का यह कानून उनके लिए परेशानी बढ़ने वाला है.
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FIRST PUBLISHED : January 2, 2024, 10:39 IST