तनुज पाण्डे/नैनीताल. देवभूमि उत्तराखंड में पाया जाने वाला भांग का पौधा सेहत के लिए बेहद लाभदायक है. जी हां, भांग के पौधे का नाम सुनकर लोग अक्सर नशे से संबंधित चीजों के बारे में सोचते हैं. लेकिन, ऐसा बिल्कुल भी नहीं है. दरअसल भांग के पौधे में कई ऐसे पोषक तत्व होते हैं, जो सेहत के लिए बेहद लाभकारी हैं. पहाड़ों में अक्सर भांग के बीज का इस्तेमाल चटनी, नमक, नींबू सानने आदि चीजों में किया जाता है.
पहाड़ों में भांग के बीज की चटनी मुख्य तौर पर खाई जाती है. इसके साथ ही बीजों को सिलबट्टे में पीसकर नमक तैयार किया जाता है. नमक को ककड़ी में लगाकर या फिर खाने में सलाद के साथ मूली में लगाकर खाया जाता है. भांग का नमक खाने में स्वाद को और भी बढ़ा देता है. इसके साथ ही भांग के नमक में मौजूद पोषक तत्व शरीर के लिए बेहद लाभदायक भी होते हैं.
इन चीजों में भी होता है इस्तेमाल
नैनीताल के डीएसबी कॉलेज में वनस्पति विज्ञान विभाग के प्रोफेसर डॉक्टर ललित तिवारी ने बताया कि भांग पहाड़ की संस्कृति में समाया पौधा है, जिसे अंग्रेजी में हेंप कहा जाता है. भांग का पौधा उत्तराखंड के साथ ही साथ उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल में प्रचुर मात्रा में पाया जाता है. कई औषधीय गुणों से भरपूर इस पौधे की दानपुर और दसौली वैरायटी से कुथले, कंबल और जैकेट बनाई जाती हैं. इसके साथ ही रेशेदार होने के कारण इसकी रस्सी भी बनाई जाती है.
कई बीमारियों को करता है छूमंतर
प्रोफेसर तिवारी ने बताया कि भांग का पौधा दर्द निवारक है. इसके साथ ही यह इम्युनिटी बूस्टर का काम करता है. साथ ही पाचन में भी मदद करता है. इसमें ग्लोबुलिन, ओमेगा थ्री और कई तरह के एंटी बॉडीज पाए जाते हैं, जो शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाते हैं. इसके अलावा भांग कोलेस्ट्रॉल को कम करने, हाई ब्लडप्रेशर को कम करने, आर्थराइटिस को कम करने और त्वचा संबंधित रोगों में भी बेहद कारगर है. भांग के बीज को भूनकर इसका सेवन किया जाता है.
भांग के नमक में है ओमेगा थ्री
प्रोफेसर तिवारी ने बताया कि पहाड़ों में भांग के बीजों को पहले भूनकर उसके बाद सिलबट्टे पर पीसकर भांग का नमक तैयार किया जाता है. इसे सलाद या भोजन में डालकर खाया जाता है. भांग के नमक में कई तरह के एंटीऑक्साइड के साथ ही साथ ओमेगा थ्री भी पाया जाता है, जो शरीर के लिए बेहद लाभदायक होता है.
भांग की चटनी भी लाजवाब
पहाड़ों में भांग के बीजों को भूनकर सिलबट्टे पर नींबू, इमली इत्यादि के साथ पीसकर चटनी बनाई जाती है. इसे भोजन के साथ परोसा जाता है. स्वाद में खट्टी और हल्का मीठापन लिए यह चटनी उत्तराखंड में खूब पसंद की जाती है. भांग की चटनी में प्रोटीन, फैट, मैग्नीशियम, कैल्शियम, आयरन और कई तरह के पोषक तत्व पाए जाते हैं, जो पाचन में सुधार करते हैं. इसके अलावा भांग का तेल भी उत्तराखंड में बनाया जाता है, जो दर्द निवारक होता है.
(NOTE: इस खबर में दी गई जानकारी तथ्यों पर आधारित है. ‘लोकल 18’ इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
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FIRST PUBLISHED : November 29, 2023, 20:03 IST