Health Tips: पीरियड्स के दौरान होने वाली स्पॉटिंग को ना करें नजरअंदाज, हेल्थ पर पड़ सकता है बुरा असर

महिलाओं के सेहतमंद रहने के लिए उनके पीरियड्स का हेल्दी होना बहुत जरूरी होता है। इसलिए पीरियड से जुड़ी हर चीज को ट्रैक करना चाहिए। इस दौरान आपको कितना दर्द हो रहा, पीरियड साइकिल कितने दिनों का है, फ्लो कैसा है और पीएमएस में कितनी परेशानी हो रही है। यह सारी बातें आपके पीरियड हेल्थ से जुड़ी होती हैं। इनमें किसी भी तरह का बदलाव होने पर आपको उस पर फौरन ध्यान देना चाहिए। वहीं किसी भी तरह की परेशानी होने पर डॉक्टर से मिलने में कोताही नहीं बरतनी चाहिए। 

वहीं कुछ महिलाओं को पीरियड्स के दौरान स्पॉटिंग होने लगती है। ऐसे में अगर आपको भी यह समस्या है, तो सबसे पहले आपको यह जानना जरूरी है कि इसके पीछे क्या कारण होते हैं। आज इस आर्टिकल के जरिए आपको बताने जा रहे हैं कि स्पॉटिंग क्यों होती है और कब आपको डॉक्टर से इसके लिए संपर्क करना चाहिए। 

क्यों होती है स्पॉटिंग

हेल्थ एक्सपर्ट्स के मानें तो स्पॉटिंग के पीछे प्रोजेस्टेरोन और एस्ट्रोजन हार्मोन्स का असंतुलन होना शामिल है। जब हमारे शरीर में प्रोजेस्टेरोन हार्मोन के लेवल का कम होना, एस्ट्रोजन हार्मोन का बढ़ना स्पॉटिंग के लिए जिम्मेदार है। सबसे पहले तो आपको यह समझना चाहिए कि स्पॉटिंग ब्लीडिंग नहीं है। कई महिलाओं को पीरियड आने के कुछ समय पहले स्पॉटिंग होने लगती है। वहीं पीरियड के बाद कुछ दिनों तक ब्राउन डिस्चार्ज या स्पॉटिंग होता है। अगर आपको पीरियड की जगह पर स्पॉटिंग हो रही है, तो आपको इस पर ध्यान देने की जरूरत है। 

हार्मोन्स हैं जिम्मेदार

मेंस्ट्रुअल साइकिल के दौरान गर्भाशय की लाइनिंग में कुछ परिवर्तन होता है। ब्लड फ्लो सुगमता से हो सके, इसके लिए बॉडी में एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन के लेवल में उतार-चढ़ाव होता है। एस्ट्रोजन मुख्य रूप से गर्भाशय की लाइनिंग के सही विकास के लिए जिम्मेदार है। वहीं प्रोजेस्टेरोन फर्टिलाइज हुए एग के संभावित प्रत्यारोपण के लिए यूट्रस की लाइनिंग को स्थिर करने में मदद करता है। ऐसे में जब इन दोनों हार्मोंस में असंतुलन पैदा होता है। तो एस्ट्रोजन बढ़ जाता है और प्रोजेस्टेरोन कम हो जाता है। जिसका असर यूट्रस लाइनिंग की स्थिरता पर पड़ सकता है। 

डॉक्टर से लें सलाह

अगर आपको लंबे समय से स्पॉटिंग हो रही है, या फिर ब्लीडिंग कम या ज्यादा हो रही है। तो आपको डॉक्टर की सलाह जरूर लेना चाहिए। इसके अलावा अगर आपको नॉर्मल दिनों में भी किसी अलग रंग के डिस्चार्ज की समस्या होती है, तो इसे नजरअंदाज करने की गलती नहीं करनी चाहिए। ऐसी स्थिति होने पर आपको बिना देर किए फौरन डॉक्टर से संपर्क करें।

डिस्क्लेमर: इस लेख के सुझाव सामान्य जानकारी के लिए हैं। इन सुझावों और जानकारी को किसी डॉक्टर या मेडिकल प्रोफेशनल की सलाह के तौर पर न लें। किसी भी बीमारी के लक्षणों की स्थिति में डॉक्टर की सलाह जरूर लें।

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