
कुत्ता
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दिवाली पर छोड़े गए पटाखों के शोर ने छोटे बच्चे और बुजुर्गों को ही परेशान नहीं किया, जीव-जंतु पर भी इसका प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है। शोर से हिंसक हुए कुत्तों ने पांच दिनों के भीतर 206 लोगों को शिकार बनाया है। इनके काटने के बाद लोगों ने हाथरस जिला अस्पताल पहुंचकर एआरवी( एंटी रेबीज वैक्सीन) लगवाई है।
पांच दिवसीय प्रकाश पर्व धनतेरस, छोटी दिवाली, बड़ी दिवाली, गोवर्धन पूर्जा और उसके बाद भैया दूज पर जिले में करीब 2.20 करोड़ रुपये की आतिशबाजी चलाई गई। पटाखों के शोर से कुत्तों के व्यवहार में भी परिवर्तन देखने को मिला और वह हिसंक हो गए। पांच दिनों में 206 लोगों पर कुत्तों ने हमला कर काट लिया। इन लोगों ने शहर के बागला संयुक्त जिला अस्पताल की इमरजेंसी व ओपीडी में पहुंचकर टीका लगवाया। यह आंकड़ा तो केवल जिला अस्पताल का है, अस्पताल बंद होने के कारण निजी चिकित्सकों और मेडिकल स्टोर से भी खरीदकर टीके लगवाए हैं। संवाद
बीते चार दिन में ओपीडी व इमरजेंसी में कुत्ते काटने के 206 व एक बंदर के काटने का मरीज पहुंचा। इन सभी मरीजों को इलाज देने के साथ ही एआरवी लगाया गया। -डॉ. सूर्य प्रकाश, मुख्य चिकित्सा अधीक्षक, बागला संयुक्त जिला अस्पताल
आमतौर पर देखने में आता है तेज शोर-गुल होने पर कुत्ते सुरक्षित स्थान पर जाकर छिप जाते हैं, लेकिन आतिशबाजी का शोर होने पर कुत्ते के व्यवहार में परिवर्तन आ जाता है। हो सकता है इस वजह से कुत्तों ने लोगों को काट लिया हो।-डॉ. प्रमोद कुमार, मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी
मनुष्य से ज्यादा होती है कुत्तों की सुनने की क्षमता
विशेषज्ञों की माने तो जानवरों खासकर कुत्तों के सुनने की क्षमता मनुष्यों से ज्यादा होती है। इन्सान को सुनाई देने वाली आवाज, कुत्ते को दस गुना अधिक पर सुनाई देती है। तेज रोशनी भी उसकी आंखों में चुभती है। ऐसे में उन्हें पटाखों की आवाज एक बड़े धमाके की तरह लगती है। ऐसे में उसके व्यवहार में बदलाव आ जाता है। वह डरकर छिप जाता है, लेकिन उसका ब्लड प्रेशर बढ़ जाता है और वह चिड़चिड़ा हो जाता है।