हम आपको बता दें कि जैसे ही घड़ी में 00:00 बजे का समय हुआ, श्रीनगर के लाल चौक पर लोग खुशी से थिरकने लगे। यह कुछ ऐसा अवसर था जिसे इस शहर के लोगों ने पहले कभी नहीं देखा था बल्कि कुछ साल पहले तक तो लोग यहां ऐसे जश्न की कल्पना भी नहीं करते थे।
कश्मीर घाटी में नये साल का जिस उत्साह के साथ स्वागत किया गया वह अद्भुत रहा। कुछ साल पहले तक शाम सात बजे के बाद घाटी में सड़कों पर लोग नहीं दिखाई देते थे लेकिन वक्त ने करवट बदली और अब हालात यह हैं कि कश्मीर में देर रात तक लोग उत्साह और उमंग से अपने त्योहारों और खास मौकों को सेलिब्रेट करते हैं। जिस कश्मीर में कट्टरपंथियों और अलगाववादियों के जमाने में लोग खुलकर नाच गा नहीं सकते थे वहां आज लोग दिल खोल कर नाच रहे हैं और सुरों की महफिल ऐसी जम रही है कि कश्मीर और कश्मीरियत की गूंज पूरी दुनिया में सुनाई दे रही है। हम आपको बता दें कि श्रीनगर का ऐतिहासिक लाल चौक जोकि आतंक से सर्वाधिक प्रभावित इलाका था वहां रविवार शाम नये साल का स्वागत करने के लिए बड़ी भीड़ उमड़ी और बैंड तथा तेज संगीत के बीच लोग झूमते नजर आये। यह दृश्य कश्मीर के लिए अनोखे थे क्योंकि श्रीनगर या कश्मीर के किसी इलाके ने ऐसी शाम और रात इससे पहले कभी नहीं देखी थी। नये साल के जश्न के दौरान स्थानीय कलाकारों की परफॉर्मेंस ने तो लोगों का मन मोहा ही साथ ही पर्यटक भी नाच गा रहे थे तो कश्मीरियों ने उनका खूब उत्साहवर्धन किया।
हम आपको बता दें कि जैसे ही घड़ी में 00:00 बजे का समय हुआ, श्रीनगर के लाल चौक पर लोग खुशी से थिरकने लगे। यह कुछ ऐसा अवसर था जिसे इस शहर के लोगों ने पहले कभी नहीं देखा था बल्कि कुछ साल पहले तक तो लोग यहां ऐसे जश्न की कल्पना भी नहीं करते थे। यहां आये पर्यटकों ने कहा कि वह यहां की सुरक्षा व्यवस्था से बहुत संतुष्ट हैं और कश्मीर ने उनका दिल जीत लिया है। हम आपको यह भी बता दें कि लाल चौक पर प्रतिष्ठित घंटाघर पर ‘वंदे मातरम’ का नारा भी लगाया गया। नये साल की पूर्व संध्या पर लाल चौक के आसपास की इमारतों को रंगबिरंगी रोशनी से सजाया गया था।
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