Gyanvapi Case: व्यासजी के तहखाने में पूजा पर रोक वाली याचिका पर सुनवाई पूरी, हाईकोर्ट ने सुरक्षित रखा फैसला

नई दिल्ली:

Gyanvapi Case: वाराणसी की ज्ञानवाली मस्जिद के व्यास तहखाने में पूजा-पाठ की अनुमति देने के खिलाफ दायर की गई याचिका पर गुरुवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट में सुनवाई हुई. इस मामले में हाईकोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया. न्यायमूर्ति रोहित रंजन अग्रवाल की पीठ ने पहले दोनों पक्षों को सुना और उसके बाद अपना फैसला सुरक्षित रख लिया. बता दें कि वाराणसी की जिला कोर्ट ने हिंदू पक्ष को ज्ञानवापी के व्यास तहखाने में फिर से पूजा-पाठ करने की अनुमित दी थी. जिला अदालत के आदेश के बाद व्यास तहखाने में पूजा-पाठ शुरू भी हो गया. लेकिन मुस्लिम पक्ष ने जिला अदालत के इस फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दायक कर इसपर रोक लगाने की मांग की थी.

ये भी पढ़ें: Electoral Bonds Scheme Verdict: चुनावी बॉन्ड पर क्या है सुप्रीम कोर्ट का रुख, जानें फैसले की बड़ी बातें

पूजा की अनुमति को दी गई याचिका में चुनौती 

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने गुरुवार को वाराणसी स्थित ज्ञानवापी तहखाने में काशी विश्वनाथ मंदिर ट्रस्ट को पूजा की अनुमति देने की जिला जज के आदेश की वैधता को चुनौती देने वाली अपीलों पर सुनवाई हुई. इससे पहले पिछले सोमवार को भी तकरीबन डेढ़ घंटे इस मामले में चली सुनवाई में मस्जिद पक्ष ने आरोप लगाया था कि हिंदू पक्ष के प्रभाव में आकर जिला जज ने यह आदेश देया. हालांकि, मंदिर पक्ष के अधिवक्ता द्वारा इसका विरोध किया गया.

ये भी पढ़ें: US Firing: अमेरिका के कंसास सिटी और अटलांटा हाई स्कूल में गोलीबारी, एक शख्स की मौत, 22 घायल

हिंदू पक्ष ने कहा- 1993 तक होती थी तहखाने में पूजा

सुनवाई के दौरान हिंदू पक्ष की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता सीएस वैद्यनाथन ने कहा कि कहा ज्ञानवापी के दाहिने हिस्से में स्थिति तहखाने में 1993 तक हिंदू पूजा पाठ करते थे. सीपीसी के आदेश 40 नियम एक के तहत वाराणसी कोर्ट ने डीएम को रिसीवर नियुक्त किया है. वहीं मुस्लिम पक्ष की ओर से पेश हुए वकील सैयद फरमान अहमद नकवी ने कहा का कि हिंदू पक्ष ने सीपीसी की धारा 151. 152 को सही ढंग से पेश नहीं किया. उन्होंने दलील दी कि डीएम को रिसीवर नियुक्त करना वास्तव में हितों में विरोधाभास पैदा करना है. नकवी ने कहा कि जब डीएम पहले से ही काशी विश्वनाथ ट्रस्ट के पदेन सदस्य हैं तो उन्हें रिसीवर कैसे नियुक्त किया जा सकता है.

ये भी पढ़ें: IND vs ENG : टीम इंडिया की प्लेइंग-XI में कई बड़े बदलाव, 2 युवाओं का हुआ डेब्यू

जिला अदालत के आदेश की मूल प्रति पेश की

इसके पहले सुनवाई शुरू होते ही अपीलार्थी की ओर से पूरक हलफनामा दाखिल किया गया. उन्होंने आदेश की प्रमाणित प्रति दाखिल की. अपील दाखिले का दोष समाप्त कर कोर्ट ने नियमित नंबर देने का आदेश दिया. वहीं वादी विपक्षी अधिवक्ता ने धारा 107 की अर्जी दाखिल की, जिसे पत्रावली पर रखा गया. मस्जिद पक्ष के वकील पुनीत गुप्ता ने सुप्रीम कोर्ट की नजीरों के हवाले से तर्क दिया था कि अदालत अंतरिम आदेश से फाइनल रिलीफ नहीं दे सकती. 

Source link

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *