Gyanvapi Case में Allahabad HC और Varanasi Court में हुई सुनवाई, वकीलों की दलीलों से मिले बड़े संकेत

ज्ञानवापी मामले में आज दो अदालतों में सुनवाई थी। एक सुनवाई इलाहाबाद हाईकोर्ट में हुई और दूसरी वाराणसी की जिला अदालत में। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने ज्ञानवापी परिसर में स्थित तहखाने में पूजा की अनुमति वाले वाराणसी की अदालत के आदेश के खिलाफ दायर अपील पर सुनवाई की। इस मामले में बुधवार को भी सुनवाई जारी रहेगी। यह आदेश अंजुमन इंतेजामिया कमेटी की अपील पर सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति रोहित रंजन अग्रवाल ने पारित किया। सुनवाई के दौरान मुस्लिम पक्ष की तरफ से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता एसएफ नकवी ने कहा कि 31 जनवरी, 2024 के आदेश के तहत जिला जज ने उस वाद में शुरुआती चरण में मांगी गई अंतिम राहत प्रदान की जिसकी अनुमति नहीं दी जा सकती है। नकवी ने आगे कहा कि यह आदेश बहुत जल्दबाजी में पारित किया और वह भी उस दिन जब संबंधित न्यायाधीश सेवानिवृत्त होने जा रहे थे। दूसरी ओर, हिंदू पक्ष की ओर से अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन ने नकवी की दलीलों पर आपत्ति जताई। हम आपको याद दिला दें कि इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पिछले सप्ताह इस मामले में मस्जिद कमेटी को तत्काल राहत देने से इंकार कर दिया था और सुनवाई के लिए आज की तारीख तय की थी। आज की सुनवाई के बाद अधिवक्ताओं ने मीडिया को जानकारी देते हुए बताया कि कल भी बहस जारी रहेगी।

वाराणसी अदालत में क्या हुआ?

उधर, उत्तर प्रदेश के वाराणसी की जिला अदालत ने ज्ञानवापी परिसर में बंद अन्य सभी तहखानों का भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) से सर्वे कराये जाने का आदेश देने के आग्रह वाली याचिका पर सुनवाई के लिए 15 फरवरी की तिथि तय की है। हिंदू पक्ष के अधिवक्ता ने बताया कि कार्यवाहक जिला जज अनिल कुमार (पंचम) की अदालत ने ज्ञानवापी परिसर में बंद अन्य सभी तहखानों का एएसआई से सर्वे कराये जाने का आदेश देने के आग्रह वाली याचिका पर सुनवाई के लिए 15 फरवरी की तिथि तय की है। उन्होंने बताया कि ज्ञानवापी—श्रंगार गौरी मामले में पक्षकार और विश्व वैदिक सनातन संघ की सदस्य राखी सिंह ने अपनी याचिका में काशी विश्वनाथ मंदिर से सटे ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में सभी बंद तहखानों का एएसआई से सर्वेक्षण करने का आदेश देने का आग्रह किया। उधर, राखी सिंह के वकील ने बताया कि याचिका में कहा गया है कि तहखानों के अंदर ‘गुप्त तहखाने’ हैं और उनका भी सर्वेक्षण करना जरूरी है ताकि ज्ञानवापी मस्जिद का पूरा सच सामने आ सके। याचिका में बंद तहखानों का नक्शा भी शामिल किया गया है। 

हिंदू पक्ष के अधिवक्ताओं ने अदालत से कहा कि वर्ष 1991 के मामले में उच्च न्यायालय ने शेष कार्यवाही (सर्वेक्षण) कराने का आदेश दिया है। इस आदेश के मद्देनजर बचे हुए तहखानों का भी सर्वे कराना जरूरी है। उन्होंने बताया कि इस पर मुस्लिम पक्ष यानी अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी के अधिवक्ताओं ने आपत्ति जताते हुए कहा कि उच्च न्यायालय का ऐसा कोई आदेश नहीं है। ऐसे में शेष तहखानों के सर्वेक्षण का आदेश देने का कोई आधार नहीं है। उन्होंने बताया कि दोनों पक्षों को सुनने के बाद जिला अदालत ने अगली तारीख दे दी।

गौरतलब है कि राखी सिंह सहित पांच महिला श्रद्धालुओं की पूर्व में दाखिल याचिका पर स्थानीय अदालत ने एएसआई को ज्ञानवापी मस्जिद के वजूखाने को छोड़कर बाकी परिसर का सर्वेक्षण करने का आदेश दिया था। जिला अदालत द्वारा हाल में ज्ञानवापी परिसर में स्थित व्यास जी के तहखाने में पूजा—पाठ का अधिकार दिये जाने के बाद तहखाने को पिछले हफ्ते खोला गया था और उसमें पूजा—अर्चना शुरू कर दी गयी थी। जिला अदालत ने शैलेन्द्र कुमार पाठक की याचिका पर तहखाने में नियमित प्रार्थना की अनुमति दी थी। पाठक ने दावा किया था कि उनके नाना पुजारी सोमनाथ व्यास दिसंबर 1993 तक उस तहखाने में पूजा करते थे। मगर उसके बाद उत्तर प्रदेश की तत्कालीन मुलायम सिंह यादव सरकार ने इस तहखाने को बंद करा दिया था। तहखाने में पूजा-अर्चना काशी विश्वनाथ मंदिर ट्रस्ट द्वारा नामित पुजारी द्वारा की जा रही है। मंदिर में आने वाले श्रद्धालु भी तहखाने की एक झलक पाने के लिए अदालत के आदेश के बाद बनाए गए बैरिकेड में खुले रास्ते से जाने लगे हैं। हिंदू पक्ष का दावा है कि औरंगजेब के शासनकाल के दौरान ज्ञानवापी मस्जिद बनाने के लिए एक मंदिर को नष्ट कर दिया गया था। दावा है कि ज्ञानवापी परिसर की हाल में सार्वजनिक एएसआई सर्वेक्षण की रिपोर्ट में भी कई ऐसी बातें सामने आयी हैं जो इसकी पुष्टि करती हैं।

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