Gyanvapi में सील इलाके को खोलने की मांग, हिंदू पक्ष ने सुप्रीम कोर्ट में दायर की याचिका

ज्ञानवापी केस में  हिंदू पक्ष ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की है। ज्ञानवापी में तहखानों को खोलने की मांग की गई है। इसके साथ ही सील इलाके के वैज्ञानिक सर्वे की भी मांग की गई है। हिंदू वादी ने सुप्रीम कोर्ट में एक आवेदन दायर करते हुए 19 मई, 2023 के आदेश को रद्द करने का निर्देश देने की मांग की है, जिसके द्वारा उसने ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में पाए गए शिवलिंग के वैज्ञानिक सर्वेक्षण पर रोक लगा दी थी। आवेदन में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) के महानिदेशक से सील क्षेत्र के भीतर स्थित “शिवलिंग” को कोई नुकसान पहुंचाए बिना इसकी प्रकृति और संबंधित विशेषताओं को निर्धारित करने के लिए कथित “शिवलिंग” की आवश्यक जांच/सर्वेक्षण करने का निर्देश देने की मांग की गई है। 

आवेदन में कहा गया है कि शिवलिंग के आसपास की कृत्रिम/आधुनिक दीवारों/फर्शों को हटाकर सर्वेक्षण किया जाए और पूरे सील क्षेत्र का उत्खनन और अन्य वैज्ञानिक तरीकों का उपयोग करके सर्वेक्षण किया जाए और रिपोर्ट प्रस्तुत की जाए।

क्या कहती है 839 पेज की वैज्ञानिक सर्वे रिपोर्ट

काशी विश्वनाथ-ज्ञानवापी मामले की सुनवाई कर रही वाराणसी जिला अदालत को सौंपी गई एएसआई रिपोर्ट  मामले में याचिकाकर्ताओं को सौंप दी गई। रिपोर्ट के अनुसार,मौजूदा ढांचे के निर्माण से पहले वहां एक बड़ा हिंदू मंदिर मौजूद था। इसके कुछ हिस्सों का पुन: उपयोग किया गया था। एएसआई ने 839 पेज की वैज्ञानिक सर्वे रिपोर्ट में कहा है कि ज्ञानवापी परिसर में मौजूद ढांचा (मस्जिद) से पहले वहां हिंदू मंदिर था। आर्किटेक्ट, स्ट्रक्चर, बनावट और वर्तमान ढांचा स्पष्ट तौर पर हिंदू मंदिर का भग्नावशेष है। एक अवशेष ऐसा मिला है, जिस पर तीन अलग-अलग भाषाओं में श्लोकों के साथ जनार्दन, रुद्र और उमेश्वर के नाम लिखे हैं। एक ऐसा स्थान भी मिला है जहां ‘महामुक्ति मंडप’ लिखा है। सर्वे में 34 अवशेष और भग्नावेष और 32 ऐसे साक्ष्य मिले हैं, जो पूरी तरह दावा कर रहे हैं कि मस्जिद से पहले हिंदू मंदिर था और वर्तमान ढांचा यानी मस्जिद 17 वीं शताब्दी की है। रिपोर्ट में कहा गया है कि जो पहले स्ट्रक्चर (हिंदू मंदिर) था, उसे 17वीं शताब्दी में तोड़े जाने के बाद उसके पिलर और अन्य सामग्री का इस्तेमाल मस्जिद वनाने में किया गया। 

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