Ground Report: कोई शादी में बैंड वाला,तो कोई डिलीवरी बॉय…फिर भी देश के लिए खेलना है हॉकी, सुनिए इन खिलाड़ियों की संघर्ष गाथा

रिपोर्ट : विशाल झा/गाजियाबादः चीन के हांगझोऊ में चल रहे एशियन गेम्स 2023 में भारतीय हॉकी टीम ने कमाल कर दिया. भारतीय हॉकी टीम ने जापान को फाइनल मुकाबले में 5-1 से हराकर गोल्ड मेडल अपने नाम किया. भारत की ऐतिहासिक जीत से पूरे देश में उत्साह का माहौल है. हॉकी से जुड़े खिलाड़ी इस जीत को एक प्रेरणा के रूप में देख रहे है.

एक और जहां पूरी दुनिया में भारतीय हॉकी टीम की पीठ थपथपाई जा रही है. तो वहीं दूसरी ओर हॉकी के खिलाड़ियों के संघर्ष के बारे में भी जानना जरूरी है. गाजियाबाद के जिला महामाया स्टेडियम में करीब 30 से भी ज्यादा हॉकी खिलाड़ी दिनभर पसीना बहा के सिर्फ एक ही सपना देख रहे है. वो सपना है भारत के लिए हॉकी खेलने का, लेकिन वह कब और कैसे पूरा होगा यह नहीं पता.

संघर्ष की ऐसी कहानी
Local 18 की टीम जब इन खिलाड़ियों के बीच पहुंची तो संघर्ष की ऐसी कहानी सुनाने को मिली जो शायद आपके रोंगटे खड़े कर दे. इनमें से एक खिलाड़ी ऐसा है जो शादी बारात में लाइट पकड़ने का काम करता है, कोई खिलाड़ी डिलीवरी बॉय है तो कोई बिना हॉकी किट के ही प्रेक्टिस करने को मजबूर है. बस कमी है तो उनके पास संसाधन की. जो उनके पंखों को जकड़ रखा है.

सुनिए खिलाड़ियों की संघर्ष भरी कहानी
खिलाड़ी पूजा चौहान :पूजा चौहान ने बताया की पापा लेबर का काम करते है. जब सिलेक्शन होता है तो माता-पिता सपोर्ट करते है. अगर सिलेक्शन नहीं होता है तो आगे के लिए मोटिवेट करते है. घर की आर्थिक स्थिति बहुत कमजोर है, इस कारण से हॉकी खेलने में कई परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. टूर्नामेंट में जाने से पहले टूर्नामेंट जीतने से ज्यादा वहां पहुंचने वाले बजट की चिंता मन में सताने लगती है.

खिलाड़ी दीपक :हॉकी खिलाड़ी दीपक ने बताया कि स्कूल में स्कूल खेल अध्यापक द्वारा दो खेलों के लिए विकल्प दिए गए थे. जिसमें एक क्रिकेट था और दूसरा हॉकी. क्रिकेट खेलने वाले बच्चों को अपनी निजी किट का इंतजाम करना था. लेकिन जिन बच्चों को हॉकी में इंटरेस्ट था उनको स्कूल की तरफ से ही किट वितरण की जानी थी. ऐसे में अपना नाम हॉकी में डाला और फिर फ्री किट के साथ खेलना शुरू किया, मनोरंजन के लिए खेले गए इस खेल से प्यार बढ़ता गया और अब देश के लिए हॉकी खेलने का जुनून बन गया है. आर्थिक तंगी के कारण अपने हॉकी के भविष्य को लेकर डर लगता है.

खिलाड़ी संगम :हॉकी खिलाड़ी संगम ने बताया कि हॉकी खेलने के लिए दूसरे बच्चों से किट उधर लेनी पड़ती थी. पिताजी पंडित का काम करते है और आर्थिक समस्याओं से परिवार गुजर रहा है. आर्थिक समस्याओं के कारण पापा ने खेलने से मना कर दिया था लेकिन मेरी मां ने सहयोग किया और मुझे ग्राउंड भेजा .परिवार में मामा की तरफ से भी काफी आत्मविश्वास बढ़ाया जाता है पर मैं आर्थिक चुनौतियों के आगे मजबूर हूं.

खिलाड़ी आकाश : हॉकी खिलाड़ी आकाश ने बताया कि परिवार को सहयोग देने के लिए रात में कई प्रकार के काम करने पड़ते है. जिनमे बारातों में लाइट-मैन की भूमिका भी है. जब शादियों का सीजन नहीं होता तो डिलीवरी बॉय बन के घर चलाना पड़ता है. इसके बाद सुबह स्कूल और फिर शाम में हॉकी प्रैक्टिस के लिए मैदान में आता हूं.

परिवारिक परिस्थितियों को नजरअंदाज करके जुनून से खेलते हैं यह बच्चे
महामाया स्टेडियम की हॉकी कोच श्वेता चौहान ने बताया कि यह सभी खिलाड़ी पारिवारिक परिस्थितियों को नजर अंदाज करके अपना बेस्ट देने में हमेशा लगे रहते है. यह बच्चे अपने प्रैक्टिस के समय से पहले ही स्टेडियम आ जाते है और खेलने में जुट जाते है. यहां पर कई बच्चे ऐसे है, जिनके पास दो जोड़ी जूते भी नहीं है लेकिन उनमें देश के लिए खेलने का एक जज्बा है और यही इन्हें आगे लेकर जाएगा. सभी खिलाड़ियों में भारतीय हॉकी टीम के जीतने के बाद कमाल का उत्साह है और इस जीत को प्रेरणा लेकर यह खिलाड़ी अपने सपने को साकार करने के लिए पसीना बहा रहें है.

Tags: Ghaziabad News, Hockey, Indian Hockey, Local18

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