अमरूतानी में नहीं बना है रोड।
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अमरूतानी की पहचान वक्त के साथ बदली है। पहले यहां पर शहर के शौकीन लोग अमरूद के लिए जाते थे। पुराने लोग बताते हैं, यहां पर पहले बच्चे भी खेलने के लिए आते थे, लेकिन वर्ष 1980 के बाद धीरे-धीरे यह इलाका पहले कच्ची शराब और फिर स्मैक के लिए बदनाम हो गया। शहर के करीब के इस हिस्से में शौकीन लोगों ने जमीन भी खरीदी, लेकिन मूलभूत सुविधाएं न होने की वजह से विकास नहीं हो सका।
जिन लोगों ने जमीन ली है, वह भी कभी कभार ही आते हैं। वक्त के साथ ही इस इलाके का नाम आते ही लोगों के जेहन में अपराध ही आता है। अब इस तस्वीर को सिर्फ विकास के दम पर ही बदला जा सकता है। यहां के लोग भी चाहते है कि उनके इलाके की पहचान बदले।
शहर को करीब से जानने वाले साहित्यकार रविंद्र श्रीवास्तव उर्फ जुगानी भाई बताते हैं- मुझे अच्छे से याद है, यह घना जंगल था। इतने पेड़ थे कि दिन में भी अंधेरा रहता था। अमरूद यहां का प्रसिद्ध था, लेकिन बाद में यह इलाका कच्ची शराब और स्मैक के लिए पहचाना जाने लगा। इसी वजह से यहां पर कोई रहना, बसना भी नहीं चाहता है।
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