कुंदन कुमार/गया. प्रत्येक वर्ष मार्गशीर्ष महीने की शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को गीता जयंती का पर्व मनाया जाता है. इस दिन भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को गीता का उपदेश दिया था. गीता जयंती के दिन पूजा और उपवास करने का विधान है. मान्यता है कि ऐसा करने से साधक का मन पवित्र होता है. साथ ही सुख-सौभाग्य की प्राप्ति होती है. इस साल 23 दिसंबर को गीता जयंती है.
गीता ही एकमात्र ऐसा ग्रंथ है, जिसकी हर साल जयंती मनाई जाती है. गीता को श्रीमद्भगवद्गीता और गीतोपनिषद के नाम से भी जाना जाता है. ऐसा कहा जाता है कि गीता के उपदेशों का अनुसरण करने से समस्त कठिनाइयों और शंकाओं का निवारण होता है.
कठिन परिस्थितियों में सही निर्णय की होती है क्षमता
गया वैदिक मंत्रालय पाठशाला के पंडित राजा आचार्य बताते हैं कि गीता में श्रीकृष्ण के द्वारा बताए गए उपदेशों पर चलने से व्यक्ति को कठिन से कठिन परिस्थितियों में सही निर्णय लेने की क्षमता का विकास होता है. गीता के उपदेश में जीवन को जीने की कला, प्रबंधन और कर्म सब कुछ है. इसलिए इस दिन गीता का पाठ अवश्य करना चाहिए. इस दिन श्री कृष्ण ने अर्जुन को गीता का ज्ञान दिया था. उस दिन मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी थी, इसीलिए इस दिन को गीता जयंती के रूप में मनाई जाती है.
उपवास करने से मन होता है पवित्र
इस दिन उपवास करने की मान्यता है. गीता जयंती के दिन उपवास करने से मन पवित्र होता है और शरीर स्वस्थ रहता है. साथ ही समस्त पापों से भी छुटकारा मिलता है. इस दिन भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को धर्म और कर्म को समझाते हुए उपदेश दिया था. महाभारत के युद्ध में श्रीकृष्ण के द्वारा जो उपदेश दिए गए उसे गीता कहा जाता है. गीता के उपदेश में जीवन जीने, धर्म का अनुसरण करने और कर्म के महत्व को समझाया गया है.
गीता दुनिया के उन चंद ग्रंथों में शुमार है, जो आज भी सबसे ज्यादा पढ़ी जा रही है. जीवन के हर पहलू को गीता से जोड़कर व्याख्या की जा रही है. इसके 18 अध्यायों के करीब 700 श्लोकों में हर उस समस्या का समाधान है जो कभी ना कभी हर इंसान के सामने आती है.
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FIRST PUBLISHED : December 21, 2023, 19:10 IST