Gaza के हालात को लेकर चिंतित Priyanka Vadra ने Sandeshkhali में हिंदू महिलाओं पर हुए अत्याचार को लेकर चुप्पी क्यों साधी हुई है?

कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा आजकल गाजा के हालात को लेकर बहुत चिंतित हैं। प्रियंका गांधी वाड्रा का कहना है कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने गाजा में जो होने दिया वह इतिहास में न केवल पूरी मानवता के लिए बड़ी शर्म, बल्कि मानव जाति के लिए एक परिवर्तनकारी मोड़ के रूप में भी दर्ज किया जाएगा। उन्होंने यह भी कहा कि गाजा में न्याय, मानवता और अंतरराष्ट्रीय मर्यादा के सभी नियमों को तार-तार किया गया है। देखा जाये तो प्रियंका गांधी वाड्रा को भारत से हजारों किलोमीटर दूर गाजा में हो रहा अत्याचार तो दिख गया लेकिन दिल्ली से 20-25 घंटे की दूरी पर मौजूद पश्चिम बंगाल का संदेशखाली नहीं दिखा जहां महिलाओं के साथ यौनाचार और अत्याचार हुआ।

इसलिए सवाल उठता है कि कहीं ऐसा तो नहीं कि पश्चिम बंगाल में जिन महिलाओं का उत्पीड़न हुआ चूंकि वह हिंदू हैं इसलिए उनकी बात नहीं की जा रही है और गाजा में हो रहे हमले से प्रभावित लोगों का धर्म दूसरा है और उनकी बात करने से चूंकि तुष्टिकरण की राजनीति फलती फूलती है और अपना एक वोटबैंक खुश होता है इसलिए उनकी बात की जा रही है? देखा जाये तो किसी भाजपा शासित राज्य के घटनाक्रम पर ट्वीट से लेकर सड़कों पर प्रदर्शन करने की सियासत करने से नहीं चूकने वालीं प्रियंका गांधी वाड्रा की संदेशखाली की घटना पर चुप्पी हैरानी खुद ही कई सवाल उठाती है। संदेशखाली की महिलाओं की व्यथा से मुंह मोड़ कर प्रियंका गांधी वाड्रा सिर्फ महिलाओं के प्रति अपने दोहरे रवैये का प्रदर्शन कर रही हैं। उत्तर प्रदेश के हाथरस और उन्नाव की घटना के दौरान वहां जाने की जिद करने वाली प्रियंका गांधी वाड्रा अब तक ना तो संदेशखाली गई हैं ना ही वहां की पीड़िताओं की आवाज उठाते हुए कोई पोस्ट किया है ना ही उन्होंने इस मुद्दे पर अपने इंडिया गठबंधन की सहयोगी तृणमूल कांग्रेस की प्रमुख ममता बनर्जी से बात की है और ना ही कोई ऐसा संकेत दिया है कि निकट भविष्य में वह संदेशखाली जाना चाहती हैं।

यही नहीं, इस समय भारत जोड़ो न्याय यात्रा निकाल रहे प्रियंका गांधी वाड्रा के भाई राहुल गांधी भी संदेशखाली की महिलाओं के लिए न्याय की मांग नहीं कर रहे हैं। वह हाल ही में बंगाल में भी थे लेकिन उस दौरान भी ना तो संदेशखाली गये ना ही वहां की पीड़िताओं के पक्ष में कोई आवाज उठाई। राहुल गांधी मणिपुर कई बार हो आये लेकिन संदेशखाली एक बार भी नहीं गये। इसलिए सवाल उठता है कि पीड़िताओं का धर्म देखकर ही उनके लिए न्याय की मांग क्यों की जाती है? पीड़िता किस पार्टी के शासन वाले राज्य से है यह देखकर ही क्यों उनके लिए न्याय की मांग की जाती है? प्रियंका गांधी वाड्रा ने गाजा के लिए तो न्याय, मानवता और मर्यादा जैसे शब्दों का उपयोग किया लेकिन संदेशखाली की पीड़िताओं के लिए क्या न्याय, मानवता और मर्यादा जैसे शब्द मायने नहीं रखते? यहां गाजा या संदेशखाली के हालात की तुलना नहीं की जा रही है लेकिन अत्याचार तो अत्याचार है वह कम या ज्यादा नहीं होता। यहां सवाल सोनिया गांधी से भी है। वह अक्सर वीडियो बयान जारी करके या पत्र लिख कर तमाम समस्याओं या घटनाओं पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करती रही हैं लेकिन संदेशखाली को लेकर उन्होंने अब तक कुछ क्यों नहीं कहा? 

बहरहाल, गाजा के हालात को लेकर चिंतित प्रियंका गांधी वाड्रा को समय निकाल कर संदेशखाली की पीड़िताओं की व्यथा तो सुननी ही चाहिए साथ ही वहां के ग्रामीणों के आक्रोश को देखकर यह भी समझना चाहिए कि उन पर कितने अत्याचार किये गये होंगे। हम आपको बता दें कि पश्चिम बंगाल के उत्तर 24 परगना जिले में संकटग्रस्त संदेशखाली के कुछ हिस्सों में शुक्रवार सुबह फिर से विरोध प्रदर्शन हुए और नाराज स्थानीय लोगों ने इलाके में जबरन जमीन हड़पने एवं महिलाओं का यौन शोषण करने के आरोपी तृणमूल कांग्रेस नेताओं की संपत्तियों में आग लगा दी। लाठियों से लैस प्रदर्शनकारियों ने संदेशखाली के बेलमाजुर इलाके में मछली पकड़ने के एक यार्ड के पास छप्पर वाली संरचनाओं को आग लगा दी और फरार तृणमूल नेता शाहजहां शेख एवं उनके भाई सिराज के खिलाफ अपना रोष प्रकट किया। पता चला है कि जलाई गई संरचना सिराज शेख की थी। प्रदर्शनकारियों ने कहा कि पुलिस ने वर्षों तक कुछ नहीं किया। यही कारण है कि हम अपनी जमीन और सम्मान वापस पाने के लिए सब कुछ कर रहे हैं।

-नीरज कुमार दुबे

Source link

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *