दिल्ली में यमुना नदी बहती है, जिसके घाटों का कायाकल्प किया जा रहा है। दिल्ली की यमुना नदी के किनारे बसे वासुदेव घाट पर यमुना आरती की जाएगी। इस आरती का आयोजन घाट पर होगा, जिसके लिए डीडीए की तरफ से कवायद शुरू हो गई है। इसकी कड़ी में डीडीए की देखरेख में यमुना के वासुदेव घाट का कायाकल्प किया जा रहा है। इस घाट को सुनियोजित तरीके से सजाया जा रहा है। इसे संवारने का काम भी जोरो से जारी है।
यमुना नदी के घाटों पर हर शनिवार और रविवार को यमुना आरती की जाएगी, बिलकुल वैसे ही जैसे काशी के घाटों पर गंगा आरती हर रोज होती है। बता दें कि इससे पहले भी यमुना आरती की गई है, जो कि 22 जनवरी को रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के मौके पर दिल्ली के उपराज्यपाल ने भी यमुना नदी के किनारे वासुदेव घाट पर यमुना आरती की थी। जिस घाट पर यमुना आरती की जाएगी उसका नाम पहले कुदसिया घाट था, मगर अब इसका नाम बदलकर वासुदेव घाट किया गया है। इस घाट पर यमुना आरती शानदार तरीके से हो सके इसके लिए पर्याप्त इंतजाम भी किए जा रहे है।
वासुदेव घाट कुल 16 हेक्टेयर में फैला हुआ है। इस वासुदेव घाट का कायाकल्प पश्चिमी तट पर वजीराबाद से पुराने रेलवे पुल तक किया जाएगा। ये कायाकल्प डीडीए की खास पहल का हिस्सा है, जिसके जरिए 66 हेक्टेयर घाटों को पुनर्जीवित करने पर जोर दिया जाएगा। इसी बीच दिल्ली में वासुदेव घाट का सौंदर्यीकरण किया जा रहा है। इसके साथ ही इसका जीर्णोद्धार कार्य भी हो रहा है, जो जल्द ही पूरा होने वाला है। इसमें वाराणसी में गंगा आरती के समान नियमित यमुना आरती आयोजित करने की योजना है।
यमुना आरती सुचारू रूप से हो सके, इसके लिए घाट से गाद हटाने का काम भी जारी है। घाट पर हो रहे काम में ये भी ध्यान दिया जा रहा है कि नदी का पानी नवनिर्मित सीढ़ियों तक पहुंच सके। इससे नियमित रूप से होने वाली आरती में सुविधा हो सकेगी। जीर्णोद्धार पूरा होने के बाद हर शाम आरती आयोजित करने के लिए एक संगठन के साथ एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए हैं।
खास है घाट का डिजाइन
यमुना आरती के लिए घाट को कुछ इस तरह से डिजाइन किया गया है कि इसमें ऐतिहासिक महत्व के तत्वों को भी शामिल किया गया है। इसके जरिए आधुनिक सुविधाओं को भी जोड़ा गया है। इसमें हरे लॉन, साइकिल ट्रैक, बारादरी और छतरियों के साथ चारबाग शैली में पैदल चलने की जगह का निर्माण किया जा रहा है। वासुदेव घाट पर प्राकृतिक वातावरण को बेहतर बनाने के लिए बाढ़ क्षेत्र में 1,700 नदी देशी और प्राकृतिक प्रजातियों को लगाया गया है। इस घाट पर शानदार आकर्षणों में राजस्थान से प्राप्त 250 किलोग्राम की धातु की घंटी और गुलाबी कोटा पत्थर से बनी हाथी की मूर्तियां भी हैं, जिसे देख यमुना आरती में आने वाले लोगों को शानदार राहत मिलेगी।