खालिस्तान को लेकर बातचीत होना कोई नई बात नहीं है। खालिस्तान को लेकर वर्षों से बात हो रही है। कई देशों का कहना है कि हम बोलने की स्वतंत्रता देते है। विभिन्न देशों में खालिस्तानियों द्वारा होने वाले प्रदर्शन पर सरकारें कहती है कि कानूनी दायरे में प्रदर्शन करने पर कोई कार्रवाई नहीं की जा सकती।
दिल्ली में 9 और 10 सितंबर को जी20 शिखर सम्मेलन के लिए राष्ट्राध्यक्षों की महत्वपूर्ण बैठक हो चुकी है। जी20 शिखर सम्मेलन के सफल आयोजन को पूरी दुनिया में देखा है जिससे भारत का कद पूरी दुनिया में बढ़ा है। इस सम्मेलन में कई ऐसे पहलु सामने आए हैं जिन पर चर्चा होना बाकी है। विदेश मामलों से विशेषज्ञ रविंदर सिंह रॉबिन से प्रभासाक्षी के संपादक नीरज कुमार दुबे ने जी20 सम्मेलन के आयोजन, ग्लोबल साउथ, भारत, खालिस्तान जैसे कई मुद्दों पर अपने विचार साझा किए है।
भारत ने जी20 शिखर सम्मेलन को कूटनीतिक आयोजन में बदला है। पूरे साल भर में 60 शहरों में 200 बैठकों के आयोजन के साथ अब जी20 शिखर सम्मेलन की बैठक दिल्ली में हो रही है, जिसके साथ इसका समापन होगा। शिखर सम्मेलन में सभी राष्ट्राध्यक्षों के साथ संयुक्त बयान जारी करने का अहम पड़ाव अभी शेष है। हालांकि माना जा रहा है कि भारत के लिए सभी देशों को एक प्लेटफॉर्म पर लाना और साझा बायन जारी करना बड़ी चुनौती हो सकती है। दरअसल इस बार सम्मेलन कई मुद्दों पर बंटा हुआ है, जिसमें रूस-यूक्रेन युद्ध सबसे बड़ा मुद्दा है। इस बार जी20 सम्मेलन में रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और उनके चीनी समकक्ष शी जिनपिंग ने हिस्सा नहीं लिया है, जिससे फैसला लेना मुश्किल हो सकता है।
हालांकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में देश ने हमेशा ही सबका साथ और सबका विकास की भावना से काम किया है। अब यही मंत्र वैश्विक स्तर पर भी देखने को मिल रहा है, जिससे उम्मीद है कि सभी नेता और देश एकजुट होंगे। कई देश रूस-यूक्रेन युद्ध के खिलाफ है, जिसे देखते हुए भारत सोच समझ कर काम कर रहा है।
ग्लोबल साउथ पर भी होगी चर्चा
इस बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई में ही अफ्रीकन संघ जो कि 55 देशों का संघ है, उसे जी21 का हिस्सा बनाया गया है। हालांकि ये पहला मौका नहीं था जब अफ्रीकन संघ को जी21 में शामिल करने की पहल की गई हो। इससे पहले रूस और चीन भी अफ्रीकन संघ को जी20 में शामिल करने की मांग कर चुके है। मगर ये भारत की धरती पर भारत की अध्यक्षता में ही संभव हो सका है कि अफ्रीकन संघ को जी21 का सदस्य बनाया गया है। ऐसे में अफ्रीकन संघ को जी21 में शामिल करने का श्रेय पूरी तरह से भारत को ही जाता है। मगर अब देखने को मिलेगा कि अफ्रीकन संघ को जी21 का हिस्सा बनाने की श्रेय लेने की होड़ भी देशों में लगेगी। अफ्रिकन संघ के जी20 में शामिल होने से विकसित देशों को भी नया बाजार मिलेगा। वहीं अफ्रिकन देश जो वर्तमान में वित्तीय संकट का सामना कर रहे हैं उनके लिए आने वाले समय में सकारात्मक कदम उठाए जाएंगे। उन्होंने साउथ ग्लोबल का जिक्र करते हुए कहा कि भारत कुछ ही समय में विकसित देशों की सूची में शामिल होगा। ऐसे में आने वाले समय में ग्लोबल साउथ भी बेहद अहम रहने वाला है।
खालिस्तान के मुद्दे पर बातचीत जरूरी
विदेश मामलों से विशेषज्ञ रविंदर सिंह रॉबिन ने कहा कि खालिस्तान को लेकर बातचीत होना कोई नई बात नहीं है। खालिस्तान को लेकर वर्षों से बात हो रही है। कई देशों का कहना है कि हम बोलने की स्वतंत्रता देते है। विभिन्न देशों में खालिस्तानियों द्वारा होने वाले प्रदर्शन पर सरकारें कहती है कि कानूनी दायरे में प्रदर्शन करने पर कोई कार्रवाई नहीं की जा सकती। हिंसा होने की स्थिति में ही सरकार कदम उठा सकती है। उन्होंने कहा कि खालिस्तानियों को रोकने के लिए विभिन्न देशों को उनके खिलाफ सख्त कदम उठाने जरुरी है।
संयुक्त राष्ट्र में भारत की स्थायी सदस्यता
गौरतलब है कि जी20 शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेने संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुतारेस भारत आए है। एंतोनियो गुतारेस ने कहा कि भारत संयुक्त राष्ट्र परिषद का स्थायी सदस्य बनाने का फैसला करना सदस्यों देशों का कम है। सुरक्षा परिषद में कौन होगा और कौन नहीं ये फैसला मेरा नहीं है। हमें ऐसी सुरक्षा परिषद की आवश्यकता है जो दुनिया का प्रतिनिधित्व कर सके। उन्होंने कहा कि वर्तमान में जो सुरक्षा परिषद है वो द्वितीय विश्व युद्ध के बाद की दुनिया का प्रतिनिधित्व करती है। मगर आज की दुनिया बेहद अलग है।
बता दें कि आज के समय में भारत एससीओ, आसियान, समेत कई विभिन्न सम्मेलनों में अहम भूमिका निभाता है। अगर भारत को अन्य देशों का साथ मिल जाए तो भारत भी संयुक्त राष्ट्र का सदस्य बन सकता है। हालांकि ये उपलब्धि हासिल करने के लिए भी खास प्रक्रिया का पालन करना जरुरी होगा।