G20 Leaders ने Mahatama Gandhi को श्रद्धांजलि दी, फिर किया ये अहम काम

जी20 नेताओं ने महात्मा गांधी की समाधि पर पुष्पचक्र अर्पित कर उन्हें श्रद्धांजलि दी। इस दौरान, मोदी और सुनक सहित कुछ नेता नंगे पांव चलते नजर आए, जबकि अन्य को राजघाट पर आगंतुकों को प्रदान किए गए सफेद जूते पहने देखा गया।

नयी दिल्ली। अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन, ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक और संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुतारेस सहित जी20 देशों के नेताओं ने रविवार सुबह महात्मा गांधी के समाधि स्थल राजघाट पर पहुंचकर राष्ट्रपिता को श्रद्धांजलि अर्पित की। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने राजघाट पर जी20 नेताओं की अगवानी की। 

प्रधानमंत्री मोदी ने जी20 नेताओं को ‘अंगवस्त्र’ पहनाकर उनका स्वागत किया। इस दौरान, पृष्ठभूमि में गुजरात के साबरमती आश्रम का चित्र दिख रहा था। आश्रम 1917 से 1930 तक महात्मा गांधी का निवास स्थान था और भारत के स्वतंत्रता संग्राम के मुख्य केंद्रों में शामिल था। मोदी को नेताओं को आश्रम के महत्व के बारे में बताते, समझाते देखा गया। 

जी20 नेताओं ने महात्मा गांधी की समाधि पर पुष्पचक्र अर्पित कर उन्हें श्रद्धांजलि दी। इस दौरान, मोदी और सुनक सहित कुछ नेता नंगे पांव चलते नजर आए, जबकि अन्य को राजघाट पर आगंतुकों को प्रदान किए गए सफेद जूते पहने देखा गया। मोदी ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा कि राजघाट पर जी20 परिवार ने शांति, सेवा, करुणा और अहिंसा के प्रतीक महात्मा गांधी को श्रद्धांजलि अर्पित की। 

उन्होंने लिखा, ‘‘अलग-अलग राष्ट्र जैसे-जैसे एकजुट हो रहे हैं, गांधी जी के शाश्वत आदर्श एक सामंजस्यपूर्ण, समावेशी और समृद्ध वैश्विक भविष्य के लिए हमारी सामूहिक दृष्टि का मार्गदर्शन कर रहे हैं।’’ मोदी ने ‘एक्स’ पर एक वीडियो भी साझा किया है, जिसमें नेताओं को ‘लीडर्स लाउंज’ में ‘शांति दीवार’ पर हस्ताक्षर करते हुए देखा जा सकता है। प्रधानमंत्री ने लिखा, ‘‘महात्मा गांधी के सिद्धांत पूरी दुनिया में गूंज रहे हैं। 

ऐसा रहा था पहला दिन
जी20 शिखर सम्मेलन के पहले दिन राष्ट्राध्यक्षों ने नई दिल्ली घोषणा को 100 प्रतिशत सर्वसम्मति से अपनाया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को संयुक्त अरब अमीरात, सऊदी अरब, यूरोपीय संघ, फ्रांस, इटली, जर्मनी और अमेरिका के सहयोग से आईएमईसी के शुभारंभ की घोषणा की।

यह एक बड़ी कूटनीतिक जीत थी और इसने भारत की नेतृत्व क्षमता को दिखाया क्योंकि रूस-यूक्रेन युद्ध पर मतभेदों के बावजूद घोषणा को अपनाया गया था। 

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