नई दिल्ली. वित्त मंत्रालय जी-20 शिखर सम्मेलन के एजेंडे को लेकर साल भर से जारी विचार-विमर्श में क्रिप्टोकरेंसी (Cryptocurrency) की अंधेरी और अनिश्चित, लेकिन अपरिहार्य दुनिया को प्रमुखता से उठाता रहा है. और अब एक बड़ी जीत में, भारत जी20 समिट में भाग लेने वाले सदस्य देशों को यह समझाने में कामयाब रहा है कि क्रिप्टोकरेंसी को इस समिट के एजेंडे में शामिल होना चाहिए. भारत के ठोस तर्कों के बाद और कुछ देशों की शुरुआती झिझक के बावजूद अधिकांश देश इस पर चर्चा के लिए सहमत हो गए हैं.
यह तर्क दिया गया कि क्रिप्टोकरेंसी कई लोगों के लिए एक अपरिहार्य विकल्प है और इसने लोकप्रियता हासिल की है. हालांकि, इंटरनेट की विशाल दुनिया क्रिप्टोकरेंसी के मुफ्त और निर्बाध उपयोग की अनुमति देती है. इसके दुरुपयोग और यहां तक कि आपराधिक गतिविधियों और आतंकी कृत्यों में शामिल होने की भी खबरें आई हैं. भारत एक क्रिप्टो रेग्यूलेशन कानून पर काम कर रहा है और उसने भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) और एक समान नियामक तंत्र के माध्यम से निगरानी का सुझाव दिया है.
पीएम मोदी ने अगस्त में भी उठाया था यही मुद्दा
अगस्त में B20 शिखर सम्मेलन में, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि क्रिप्टोकरेंसी से जुड़ी एक चुनौती है. इस मामले में अधिकतम एकीकृत दृष्टिकोण की जरूरत है. एक वैश्विक ढांचा तैयार करने की जरूरत है जिसमें सभी हितधारकों के हितों का ध्यान रखा जाए.’ जबकि क्रिप्टोकरेंसी में व्यापार की अनुमति है, भारत सरकार ने इस पर 30% कर लगाया है. हालाँकि, इसकी कानूनी निविदा नहीं है और इसका उपयोग बैंकिंग उद्देश्यों के लिए नहीं किया जा सकता है.
क्रिप्टोकरेंसी की निगरानी के लिए सभी को तत्पर रहने की जरूरत
सूत्रों का कहना है कि भारत को क्रिप्टो कानून बनाने के लिए जी-20 देशों के समझौते पर निर्भर रहने की जरूरत नहीं है, लेकिन उसने इसे एजेंडे में रखने पर जोर दिया है. भारत ने कहा है: “सिर्फ एक ही देश नहीं हो सकता जो क्रिप्टो मुद्दे को संभालेगा. इसके व्यापक वैश्विक व्यापक आर्थिक निहितार्थ हैं, इसलिए हमें इसकी निगरानी के लिए सभी को तत्पर रहने की जरूरत है.”
क्रिप्टो पर आम सहमति बनने की उम्मीद
भारत ने G20 देशों को क्रिप्टो के लिए एक सामान्य टेम्पलेट की आवश्यकता पर जोर दिया है और आश्वस्त किया है. इसकी पूरी संभावना है कि नई दिल्ली में शिखर सम्मेलन खत्म होने तक क्रिप्टो पर आम सहमति बन जाएगी क्योंकि कोई भी देश अपनी सुरक्षा के लिए ख़तरा मोल नहीं ले सकता.
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FIRST PUBLISHED : September 06, 2023, 22:30 IST