नई दिल्ली:
चीन की सेना दुनिया की सबसे ताक़तवर सेनाओं में से एक मानी जाती है. अमेरिका के बाद सेना पर सबसे अधिक चीन ही खर्च करता है, लेकिन इसी चीन की सेना के भीतर क्या किसी तरह की फ़ूट पड़ गई है? ये सवाल इसलिए पूछा जा रहा है, क्योंकि चीनी सेना के एक उच्च अधिकारी ने ये कहा है कि वास्तविक युद्ध क्षमता की जगह फ़र्ज़ी युद्धक्षमता वाले युद्धाभ्यासों पर अंकुश लगाने की ज़रुरत है. ये बयान जेनरल ही वेईदोंग का बताया गया है जो कि चीन के शक्तिशाली सेंट्रल मिलिटरी कमीशन के उपाध्यक्ष हैं.
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सेंट्रल मिलिटरी कमीशन, जो कि चीनी सेना के तीनों अंगों का सर्वोच्च कमांड है और इसके प्रमुख ख़ुद चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग हैं. वेईदोंग का ओहदा चीनी सेना में तीसरे सबसे बड़े अधिकारी का है. वेईदोंग ने ये टिप्पणी चीनी सेना पीपुल्स लिब्रेशन आर्मी के एक दल के साथ चर्चा के दौरान कही. चर्चा के बाद मीडिया को जो उसका ब्योरा उपलब्ध कराया गया, उससे ये जानकारी निकल कर सामने आयी है.
जेनरल वेईदोंग ने जो एक लाइन कही कि फ़र्ज़ी युद्ध क्षमताओं पर कार्रवाई की ज़रूरत है, इसके व्यापक अर्थ लगाए जा रहे हैं. सैन्य मामलों के विशेषज्ञों के मुताबिक़ उस पृष्ठभूमि में ये और अहम हो जाता है, जब चीन के राष्ट्रपति सेना में सब कुछ दुरुस्त करने के लिए कई अहम क़दम उठाए हैं. ये न सिर्फ़ उन वास्तविक युद्धाभ्यासों पर सवाल उठाता है जो शी जिनपिंग के आदेश पर 2013-14 से किए जा रहे हैं, बल्कि सैन्य उपकरणों की क्वालिटी पर भी संदेह पैदा करता है. ये हांग-कांग से प्रकाशित होने वाले साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट में लिखा गया है.
चीन की सेना में सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है, इसका संकेत इस बात से भी मिलता है कि शी ने पिछले साल रक्षा मंत्री जेनरल ली शांगफू को बर्ख़ास्त कर दिया. इतना ही नहीं नौ बड़े सैन्य अधिकारियों को भी हटा दिया गया. इनमें से अधिकतर चीन के मिसाइल चलाने वाले रॉकेट फोर्स से जुड़े थे.
साथ ही वेईदोंग ने ट्रेनिंग के दौरान रैंकों की, की जाने वाली धोखाधड़ी की ओर भी इशारा किया है. जब नौ सैन्य अधिकारियों को हटाया गया तो उनकी जगह उन अधिकारियों को लाया गया, जो शी के शुरुआती दिनों के साथी रहे. इस कवायद में सेना के इस नियम को भी तोड़ा गया कि जिस अंग के अधिकारी होंगे, उनको प्रमोशन या तबादला उसी अंग में होगा. माना जा रहा है कि शी सत्ता और सेना पर अपनी और मज़बूत पकड़ के लिए वे तमाम काम कर रहे हैं जो सेना के कई अधिकारियों को रास नहीं आ रहा. वईदोंग का बयान उसी परिपेक्ष्य में देखा जा रहा है.