Explainer : घर में कितनी रख सकते हैं शराब, क्या हैं कानून, क्या सजा

हाइलाइट्स

भारत के हर राज्य में इसका घरेलू स्टॉक कोटा अलग है हालांकि गोवा और हिमाचल जैसे राज्य में ज्यादा
05 राज्यों में शराब का सेवन प्रतिबंधित है लेकिन इनमें कुछ राज्यों के 05 स्टार होटलों के बार में विदेशियों के लिए उपलब्ध

नया साल आने को है. 31 दिसंबर को पार्टियों में जब लोग पुराने साल को विदा कर रहे होंगे और नये साल का स्वागत कर रहे होंगे तो इन पार्टियों में जाम भी खनकाएंगे. माना जाता है कि उस दिन घर से लेकर बार तक में शराब की खपत सबसे ज्यादा होती है. अगर आप में इन पार्टियों के लिए अल्कोहल का स्टॉक की तैयारी में जुट गए हों तो आपको मालूम होना चाहिए कि घर में कितनी शराब रखने की इजाजत है.

हालांकि शराब यानि अल्कोहल राज्य का विषय है और हर राज्य के आबकारी कानून और नीतियां अलग हैं. लेकिन हर राज्य में इसे लेकर भी नियम और प्रावधान जरूर हैं कि घर में शराब रखने की मात्रा कितनी होनी चाहिए.

सवाल – घर में कितनी शराब रख सकते हैं?
– बहुत से शौकीन लोग अपने घरों में अल्कोहल की बहुत सी बोतलें इकट्ठा रखते हैं. किसी को घर में ही मिनी बार जैसा बनाने का शौक होता है लेकिन कई बार आपका ये शौक भारी भी पड़ सकता है क्योंकि इसे लेकर तय कानून और प्रावधान हैं.

नोएडा में जिला आबकारी अधिकारी सुबोध कुमार ने बताया कि उत्तर प्रदेश में एक घर में विदेशी शराब को रखने की मात्रा 4.5 लीटर है. हालांकि 06 बोतल तक घर में रखी जा सकती है. इसके लिए रसीद रखने की कोई जरूर नहीं है. इसमें बीयर की मात्रा भी तय है. आपके फ्रीज या बार में बीयर की अधिकतम 12 केन रखी जा सकती हैं. देशी शराब अगर घर में रख रहे हैं तो इसकी संख्या एक लीटर हो सकती है. पाउच में 05 पौवे (200 मिली) रखे जा सकते हैं.

सवाल – दिल्ली में इसके लिए क्या कानून है?
वैसे इंडियन वाइन एकेडमी के एक लेख के अनुसार दिल्ली में कोई भी व्यक्ति 18 लीटर से अधिक वाइन, बीयर, साइडर और देशी-विदेशी शराब (व्हिस्की, रम, जिन और वोदका) का स्टॉक नहीं कर सकता.

सवाल – माना जाता है कि पंजाब जैसे राज्य में अल्कोहल की खपत बहुत ज्यादा होती है. वहां घर पर इसको रखने की क्या सीमा है और इसके पड़ोसी राज्य हरियाणा में भी?
– बेशक पंजाब को ज्यादा पीने के लिए ग्लैमराइज किया जाता रहा है लेकिन वहां की सरकार घर पर ज्यादा शराब रखने की अनुमति नहीं देती. घर पर अल्कोहल की दो बोतलें, बीयर की एक पेटी, किसी भी आकार की आयातित शराब की दो बोतलें, देशी शराब की दो बोतलें और ब्रांडी की एक बोतल स्टॉक कर सकते हैं. वैसे बहुत से पंजाबी घर में स्टॉक करने के लिए एल-50 परमिट हासिल कर लेते हैं.
हरियाणा में देशी शराब की 06 बोतलें और विदेशी शराब की 18 बोतलें स्टाक कर सकते हैं. इसमें बीयर की मात्रा अलग होती है. विदेश से आयातित शराब की बोतलों की संख्या अलग.

सवाल – ये एल-50 परमिट क्या होता है, इसका क्या शुल्क होता है?
– एल-52 परमिट को बार और शराबखाने के लिए जारी किया जाता है लेकिन घर में ज्यादा शराब रखने के लिए ये लाइसेंस मिल जाता है. इसके लिए आनलाइन आवेदन किया जा सकता है. हालांकि इसका व्यावसायिक शुल्क दिल्ली में 10 लाख रुपए सालाना होता है लेकिन घरेलू फीस कम होती है. मसलन पंजाब में ये 2000 रुपए सालाना और 10000 रुपए आजीवन है.

सवाल – जब हम सरकार के घरेलू स्टॉक कोटे की नियमावली पढ़ते हैं तो इसमें इस्तेमाल होने वाले शब्द आईएमएफएल (IMFL) का क्या मतलब है?
– आईएमएफ का मतलब है भारतीय निर्मित विदेशी शराब, ये भारत में उत्पादित अल्कोहल के लिए आधिकारिक शब्द है. आईएमएफएल में रम, व्हिस्की और वोदका जैसी स्पिरिट शामिल हैं. आईएमएफएल अपनी सामग्री और उत्पादन विधियों के कारण बीयर या देशी शराब जैसी अन्य शराब या अल्कोहलिक पेय से अलग है.

सवाल – क्या पहाड़ी या ठंडे भारतीय राज्यों में घरेलू स्टाक अधिक होता है. ये कितना होता है?
– हां, पहाड़ी राज्यों में अल्कोहल की घरेलू स्टॉक सीमा अलग होती है. हिमाचल प्रदेश में हर व्यक्ति 36 बोतल व्हिस्की रख सकता है तो 48 बोतल बीयर. इसमें एक एल-50 लाइसेंस होता है, जिससे ये सीमा बढ़ाई जा सकती है.
उत्तराखंड सरकार ने 2023-24 की अपनी आबकारी नीति में घरेलू मिनी बार बनाए रखने के लिए व्यक्तियों को लाइसेंस जारी करने का एक नया प्रावधान जारी किया है. 12,000 रुपये की वार्षिक लाइसेंस फीस और कुछ शर्तों के साथ, लाइसेंस धारक को घर पर किसी भी समय अधिकतम 9 लीटर भारतीय निर्मित विदेशी शराब (आईएमएफएल), 18 लीटर विदेशी शराब, 9 लीटर के साथ कुछ मात्रा में शराब स्टोर करने की अनुमति होगी. बीयर की सीमा 15.6 लीटर की है.

सवाल – दिल्ली के करीब दूसरे राज्यों में रहने वाले लोग अगर अपने राज्य के बाहर से शराब ला सकते हैं?
– हर राज्य के इसे लेकर अपने नियम हैं लेकिन आमतौर पर दूसरे राज्य से अल्कोहल को खरीदकर नहीं ला सकते. अगर आप कार में हैं तो ध्यान रखें कि दूसरे राज्य से आते समय आपके पास केवल 01 लीटर की ही बोतल हो सकती है, वो भी खुली हुई. इसकी रसीद भी होनी चाहिए. अन्यथा जांच करते समय आप फंस सकते हैं.
अगर आप विदेश से आ रहे हैं तो अपने साथ 02 लीटर शराब ला सकते हैं लेकिन रसीद होनी चाहिए. गोवा एक ऐसा राज्य है. जहां जाने पर आप वहां से 06 शराब की बोतलें खरीद कर हवाई यात्रा में साथ ले जा सकते हैं लेकिन रसीद साथ जरूर रखें. अलबत्ता गोवा से सड़क मार्ग से आप ये काम नहीं कर सकते.

सवाल – किन राज्यों में शराब पीना प्रतिबंधित है?
– 05 भारतीय राज्यों में शराब की खपत पर पूर्ण प्रतिबंध है, ये राज्य हैं- बिहार, गुजरात, लक्षद्वीप, नागालैंड, मिजोरम. मणिपुर में आंशिक प्रतिबंध है. नागालैंड शराब पर पूर्ण निषेध अधिनियम 03 दशकों से लागू है.
हालांकि इन सभी राज्यों में पांच सितारा होटलों में विदेशियों के लिए बार में शराब की अनुमति है. साथ ही अगर स्वास्थ्यगत तौर पर अगर डॉक्टर सीमित तरीके से आपको अल्कोहल पीने के लिए प्रिस्क्रिप्शन में लिखता है तो भी आप शराब लेकर पी सकते हैं.

सवाल – भारत में शराब पीने की न्यूनतम उम्र क्या है?
– भारत में अलग अलग राज्यों में शराब पीने की न्यूनतम उम्र अलग अलग है. ये अधिकांश राज्यों में 21 या 25 वर्ष है लेकिन कुछ राज्यों में ये उम्र 18 साल भी है. ये राज्य गोवा, हिमाचल, कश्मीर, लद्दाख, पुडुचेरी, राजस्थान और सिक्किम हैं. महाराष्ट्र, पंजाब, दिल्ली और चंडीगढ़ में ये उम्र न्यूनतम 25 वर्ष है. जबकि केरल में शराब पीने की कानूनी उम्र 23 वर्ष है.

सवाल – भारत में पहली बार शराबबंदी कब हुई थी और ये किसने की थी?
– शराब पर प्रतिबंध सबसे पहले 1954 में मोरारजी देसाई ने लगाया था, तब वह बॉम्बे प्रांत के मुख्यमंत्री थे. इस प्रतिबंध का मुंबई के कोली समुदाय ने कड़ा विरोध किया. रैलियां निकालीं. कोलियों ने देसाई पर आरोप लगाया कि ‘यह दारू बंदी नहीं है, यह देश बंदी है’ क्योंकि देसाई राज्य में विदेशी शराब बेचते हैं लेकिन हमारी घरेलू शराब पर प्रतिबंध लगाते हैं. शराब पर प्रतिबंध से पहले धारावी के कोली कानूनी रूप से शराब का निर्माण करते थे.

भो
– इस पर सजा और जुर्माना हो सकता है. इसकी सजा सभी राज्यों में अलग अलग है. हालांकि गोवा में इसकी सजा कड़ी है लेकिन आमतौर पर इसमें 10 साल की सजा या जुर्माना हो सकता है, ये इस पर निर्भर करता है कि आपने घर में कितनी शराब स्टॉक की हुई है. गोवा में उल्लंघन करने पर 7 साल तक का कठोर कारावास है तो न्यूनतम 6 महीने की कैद और कुछ मामलों में जुर्माना भी.

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