नीतीश कुमार का लालू की पार्टी से टकराव
सूत्रों ने कहा कि बिहार के सीएम नीतीश कुमार कुछ समय से लालू की पार्टी राष्ट्रीय जनता दल (RJD) से नाराज चल रहे हैं. नीतीश बिहार के शासन को प्रभावित करने के लिए अपने सहयोगी दल को जिम्मेदार ठहराते हैं. RJD के पास कानून मंत्रालय है. नीतीश कुमार ने कई मौकों पर उनसे सलाह-मशवरा किए बिना अहम फैसले लेने के लिए RJD मंत्रियों की भी आलोचना की है.
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हालांकि, विवाद के बाद रोहिणी ने अपने सभी ट्वीट डिलीट कर दिए हैं. लेकिन ऐसा लगता है कि जो नुकसान होना था, वो हो चुका है. भले ही JDU ने तुरंत स्पष्ट कर दिया कि नीतीश कुमार का बयान RJD या लालू यादव के लिए नहीं था. लेकिन जो आग लगी, वो बढ़ती जा रही है.
बीजेपी भी इस मामले में शामिल हो गई. बीजेपी ने नीतीश कुमार का समर्थन किया और जोर देकर कहा कि रोहिणी आचार्य ने उनका अपमान किया है. उन्हें सीएम से माफी मांगनी चाहिए. बाद में यह बात सामने आई कि बीजेपी समर्थकों और नेताओं को जेडीयू के बॉस (नीतीश कुमार) को निशाना बनाने से परहेज करने की हिदायत दी गई थी.
वहीं, INDIA अलायंस को आकार देने वाले नीतीश कुमार को ही दरकिनार कर दिया गया. इससे उनका INDIA अलायंस के साथ मतभेद सामने आने लगा. नीतीश ने सीट-शेयरिंग की बात में हो रही देरी को लेकर कांग्रेस पर निशाना साधा. और यही एक और बड़ा कारण है कि नीतीश कुमार फिर से पाला बदलने की कगार पर हैं.
नीतीश कुमार और INDIA अलायंस
INDIA अलायंस काफी हद तक नीतीश कुमार का क्रिएशन है. उन्होंने देशभर में विपक्षी दलों को एक साथ लाने के लिए काम किया. इनमें वे दल भी शामिल थे, जिनके कांग्रेस के साथ अच्छे रिश्ते नहीं थे. इसलिए अलायंस में उन्हें संभावित पीएम उम्मीदवार के रूप में मान्यता नहीं मिली, तो उनकी नाराजगी साफ देखी गई थी.
वहीं, INDIA अलायंस के कंविनर (संयोजक) के लिए भी नीतीश कुमार का नाम नहीं लिया गया. उनके बजाय कांग्रेस के अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे का नाम आगे बढ़ाया गया.
नीतीश कुमार के पास क्या है ऑप्शन?
सूत्रों ने कहा कि अगर नीतीश कुमार बीजेपी के साथ फिर से गठबंधन करते हैं, तो 2025 में होने वाले बिहार विधानसभा चुनाव तक मुख्यमंत्री बने रहेंगे. फिर दोनों दल मिलकर चुनाव लड़ेंगे. आगे का फैसला बीजेपी ही लेगी. सूत्रों के मुताबिक, JDU-BJP लोकसभा चुनाव भी एक साथ लड़ेंगे, इससे BJP को राजनीतिक रूप से महत्वपूर्ण राज्य में बढ़त मिलेगी.
बिहार में लोकसभा की 40 सीटें हैं. इस मामले में उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र और बंगाल के बाद बिहार का नंबर आता है. 2019 में BJP-JDU गठबंधन ने 33 सीटें जीती थी. इनमें से 6 सीटें दिवंगत राम विलास पासवान की लोक जनशक्ति पार्टी ने जीतीं, जिसका मतलब है कि एनडीए ने राज्य में जीत हासिल की थी.
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